तेजी से बढ़ रहा बच्चों में इस बीमार का खतरा! केंद्र सरकार से की जा रही खास अपील...

Edited By Vatika,Updated: 28 Apr, 2025 03:57 PM

the risk of this disease is increasing rapidly in children

देश में इस बीमारी के बारे में जागरूकता की भारी कमी के कारण हर साल..

अमृतसर (दलजीत): भारत में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। देश में इस बीमारी के बारे में जागरूकता की भारी कमी के कारण हर साल 10 से 15 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं। जहां उक्त बीमारी से पीड़ित बच्चों के अनमोल जीवन को बचाने के लिए हर माह करीब दो से तीन यूनिट रक्त चढ़ाया जा रहा है, वहीं सरकारी अस्पतालों में रक्त की मौजूदा भारी कमी के कारण थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों व अन्य रोगियों को रक्त मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

जानकारी के अनुसार थैलेसीमिया की बीमारी लगातार भयानक रूप लेती जा रही है। जिस प्रकार भारत सरकार हेपेटाइटिस बी, पोलियो आदि बीमारियों की रोकथाम के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता के प्रयास कर रही है। वहीं थैलेसीमिया की रोकथाम के लिए भी प्राथमिक प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र व पंजाब सरकार की ढिलाई के कारण थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अमृतसर जिले की बात करें तो यहां वर्तमान में थैलेसीमिया से पीड़ित लगभग 200 बच्चे हैं, जिन्हें सरकारी गुरु नानक देव अस्पताल में हर महीने लगभग 1 से 3 यूनिट रक्त चढ़ाया जाता है। उपरोक्त श्रेणी के बच्चों के लिए प्रति वर्ष लगभग 7,000 यूनिट होनी चाहिए। ब्लड बैंक में रक्त की लगातार कमी के कारण बच्चों और आम रोगियों को अक्सर रक्त मिलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि निजी ब्लड बैंक एक यूनिट दान करने के लिए प्रति व्यक्ति 250 रुपए उपलब्ध करवाते हैं, जबकि सरकारी स्तर पर 70 के करीब एक यूनिट के लिए प्रति व्यक्ति उपलब्ध करवाए जाते हैं। इतना ही नहीं, सरकारें भी इस बीमारी की रोकथाम के लिए पूरी तरह गंभीर नहीं हैं। सरकार गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चों की जांच के लिए कई तरह के टैस्ट कराती है, लेकिन अगर सरकार थैलेसीमिया बीमारी की जांच के लिए शुरुआती चरण में ही टेस्ट करवा ले तो इस बीमारी को रोका जा सकता है। फिलहाल थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को बचाने के लिए थैलेसीमिया वेलफेयर एसोसिएशन और कई समाज सेवी संगठनों द्वारा बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार को उक्त एसोसिएशन और समाजसेवी संस्थाओं के प्रयासों को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से उक्त बीमारी की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान तुरंत शुरू करने की जरूरत है।

डा. महाजन थैलेसीमिया की रोकथाम के लिए उठा रहे हैं विशेष कदम
सरकारी
 ब्लड बैंक गुरु नानक देव अस्पताल में तैनात डॉ. अनिल महाजन थैलेसीमिया रोग की रोकथाम के लिए अपने स्तर पर विशेष प्रयास कर रहे हैं। डॉ. महाजन के अनुसार अब तक वे अपने स्तर पर करीब 6,000 लोगों के नि:शुल्क टैस्ट करवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि यदि गर्भवती महिला की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसके पति की भी जांच की जाती है। यदि उनका टैस्ट भी सकारात्मक आता है तो उनका पुनः टोस्ट भी किया जा रहा है।

 

 

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