Edited By Subhash Kapoor,Updated: 09 Aug, 2024 11:12 PM
जन सेहत के मामले में नगर निगम पेयजल की सैंपलिंग से सदैव ही मुंह मोड़ता आया है और इसकी जिम्मेवारी स्वास्थ्य विभाग पर डाल दी जाती है। हाल ही में 81 स्कूलों के सैंपल फेल होने के मामले में भी यह सेंपलिंग स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई थी।
लुधियाना (सहगल) : जन सेहत के मामले में नगर निगम पेयजल की सैंपलिंग से सदैव ही मुंह मोड़ता आया है और इसकी जिम्मेवारी स्वास्थ्य विभाग पर डाल दी जाती है। हाल ही में 81 स्कूलों के सैंपल फेल होने के मामले में भी यह सेंपलिंग स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई थी। इसमें स्कूलों में लगे सबमर्सिबल पंप, नगर निगम के नलके तथा अन्य सैंपल शामिल थे। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि यह वाटर सैंपलिंग नगर निगम को करनी चाहिए थी।
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2021 में पंजाब सरकार की तरफ से कहा गया था कि लोगों को पेयजल जनित महामारियों से बचने के लिए प्रोटीन सैंपलिंग आवश्यक है। इसमें स्थानीय सरकार तथा वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड की जिम्मेदारी लोगों को शुद्ध पेयजल की सप्लाई उपलब्ध कराने के लिए तय की गई थी जिसमें शहरी इलाकों में दोनों विभागों रूटिंग वाटर सैंपलिंग के लिए कहा गया था, जबकि वाटर सप्लाई तथा सेनिटेशन विभाग को ग्रामीण इलाकों में शुद्ध पेयजल की सप्लाई के लिए जिम्मेवारी तय की गई थी। इसके अलावा स्थानीय सरकार तथा वाटर सप्लाई तथा सेनिटेशन विभाग को पानी की निरंतर क्लोरिनेशन करने को कहा गया था।
स्वास्थ्य मंत्री भी दे चुके हैं स्पष्टीकरण
पिछले दिनों लुधियाना आगमन के दौरान स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर बलबीर सिंह भी कह चुके हैं कि पानी से होने वाली बीमारियों के बारे में स्वास्थ्य विभाग का रोल बीमारी फैलने के बाद शुरू होता है, जबिक
पहले अपनी वाटर सप्लाई का ख्याल नगर निगम को ही करना होता है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई क्रास चेकिंग में अधिकतर पानी के सैंपल्स में क्लोरीन नहीं पाई गई और इस मामले में एक बड़ा घोटाला भी सामने आ चुका है।