विजिलेंस को सौंपी जा सकती है मुख्यमंत्री की ग्रांट से जालंधर निगम में हुए कामों की जांच

Edited By Kalash,Updated: 14 Sep, 2023 10:58 AM

vigilance can investigate the work done in jalandhar with cm s grant

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज से करीब 6-8 माह पहले जालंधर शहर के विकास हेतु 50 करोड़ रूपए की ग्रांट जारी की थी

जालंधर : मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज से करीब 6-8 माह पहले जालंधर शहर के विकास हेतु 50 करोड़ रूपए की ग्रांट जारी की थी। जालंधर निगम के अधिकारी सी.एम. द्वारा दी गई ग्रांट का सही उपयोग नहीं कर सके। ग्रांट के कामों संबंधी टैंडर ही बहुत देर बाद लगे और उसके बाद आए बरसाती सीजन ने कामों में व्यवधान डाला।

इस ग्रांट से जालंधर निगम के अधिकारियों ने ऐसे कामों के एस्टीमेट बना डाले, जिनकी कोई जरूरत ही नहीं थी। उसके बाद ज़्यादातर काम करवाते समय क्वालिटी का कोई ध्यान नहीं रखा गया और ठेकेदारों ने खूब मनमर्जी की। अब ग्रांट से हुए कामों की सैंपलिंग भी लुधियाना की लैब से करवाई जा रही है जबकि चंडीगढ़ बैठे अधिकारी चाह रहे हैं कि कामों के सैंपल एन.आई.टी. जालंधर या पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ से चैक करवाए जाएं।

माना जा रहा है कि जिस प्रकार जालंधर निगम के बी. एंड आर. विभाग के अधिकारी ग्रांट खर्च करने में लापरवाही बरत रहे हैं और बड़े अधिकारी उनपर कोई एक्शन नहीं ले रहे ऐसे में अगर मुख्यमंत्री कार्यलय गंभीर हुआ तो ग्रांट से हुए कामों की जांच स्टेट विजिलेंस को भी सौंपी जा सकती है। वैसे भी कुछ दिन पहले यह चर्चा चली थी कि कमिश्नर ने कुछ फाइलें विजिलेंस के हवाले कर दी हैं।

खास बात यह है कि सी.एम. की ग्रांट में हो रही इस गड़बड़ी बाबत पंजाब केसरी ने जब नियमित रूप से अभियान चलाया, तब मुख्यमंत्री कार्यालय हरकत में आया और उसने सी.एम द्वारा जालंधर निगम को दी गई ग्रांट से चल रहे कामों की चैकिंग लोकल बॉडीज विभाग के चीफ इंजीनियर अश्विनी चौधरी से करवाई जिन्होंने विशेष रूप से चंडीगढ़ से आकर ग्रांट से चल रहे कामों के कई मौके देखे।

अपने दौरे दौरान सबसे पहले वह बबरीक चौक गए जहां रेनोवेशन का काम करवाया जा रहा था। बस्ती गुजा अड्डे पर पोस्ट ऑफिस वाली गली में सी.सी. फ्लोरिंग और कबीर बिहार में सी.सी. फ्लोरिंग से बनी सड़कों का काम देखा गया। रसीला नगर में भी सड़क निर्माण संबंधी मौका देखा गया।

गौरतलब है कि कबीर बिहार में 59 लाख की लागत से सड़कों का काम हुआ है परंतु ठेकेदार ने 37.62 प्रतिशत डिस्काऊंट देकर टैंडर लिया है। पता चला है कि चीफ इंजीनियर ने जिन साइट्स की विजिट की, ज्यादातर मौकों पर काम तसल्लीबख्श नहीं पाया गया। अब उन कामों को कैसे ठीक किया जाता है यह देखने वाली बात होगी?

रेत महंगी हुई, 30-40 प्रतिशत डिस्काऊंट वाले काम अब कैसे होंगे

गौरतलब है कि ग्रांट वाले कामों के टैंडर प्राप्त करने के लिए निगम के कई ठेकेदारों ने 30-40 प्रतिशत डिस्काऊंट ऑफर करके काम ले रखे हैं। इसके अलावा उन्हें अधिकारियों को कमीशन भी देनी पड़ रही हैं और अर्नेस्ट मनी, जी.एस.टी., लेबर सैस जैसे खर्च भी उठाने पड़ रहे हैं। बाकी बची 40 प्रतिशत राशि से काम कैसे पूरे किए जाएंगे, इस बाबत निगम के गलियारों में चर्चा चल रही है। एक चर्चा यह भी है कि आजकल रेत काफी महंगी हो गई है। आने वाले समय में कामों के सैंपल एन आई टी या चंडीगढ़ से भी चैक करवाए जा सकते हैं। ऐसे में ठेकेदार अपने आपको फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं।

10 लाख वाले काम का एस्टीमेट 45 लाख का बना दिया

सी.एम. की ग्रांट से होने वाले कामों के एस्टीमेट बनाते समय जालंधर निगम के अधिकारियों ने किस प्रकार गड़बड़ी की इसकी एक मिसाल ऑक्सफोर्ड अस्पताल के पीछे वाली सड़क है जहां सड़क किनारे इंटरलॉकिंग टाइलें लगाने का 45 लाख का एस्टीमेट बना दिया गया जबकि वहां ज्यादा से ज्यादा 10 लाख की टाइलें लगाने का काम भी नहीं है। इसी प्रकार दशमेश नगर में सड़कों का जो एस्टीमेट बना वो भी कई गुणा ज्यादा बना दिया गया। आदर्श नगर में फुटपाथों के एस्टीमेट में गड़बड़ी साफ सामने आ चुकी है। ऐसी गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों को भी जिस प्रकार बचाया जा रहा है, उससे माना जा रहा है कि यह केस विजिलेंस को सौंपे जाने के लिए फिट केस है।

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