कोविड के दौरान जिन्होंने नहीं की अपनी जान की परवाह, उनकी अब ये अधिकारी करेंगे रिपोर्ट तैयार

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 25 Jul, 2024 11:00 PM

these officers will now prepare reports

स्वास्थ्य विभाग के एन.एच.एम.  विंग द्वारा अधीनस्थ कर्मचारियों में उनकी वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट (एसीआर) अब सिविल सर्जन नहीं बल्कि ऐसे अधिकारी लिखेंगे जो इस विषय के प्रति अनट्रेंड होंगे, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे ही आदेश जारी किए गए हैं...

लुधियाना  (सहगल) : स्वास्थ्य विभाग के एन.एच.एम.  विंग द्वारा अधीनस्थ कर्मचारियों में उनकी वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट (एसीआर) अब सिविल सर्जन नहीं बल्कि ऐसे अधिकारी लिखेंगे जो इस विषय के प्रति अनट्रेंड होंगे, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे ही आदेश जारी किए गए हैं जबकि पहले नियमों के अनुसार यह रिपोर्ट सिविल सर्जन द्वारा लिखी जाती थी परंतु अब इस संबंध में एक प्रशासनिक आदेश जारी किया गया है।  इस आदेश में किसी कर्मचारी की परफॉर्मेंस रिपोर्ट भरने की जिम्मेदारी विभिन्न स्तर के अधिकारियों को सौंपी गई है। 


कौन लिखेगा किसकी वार्षिक रिपोर्ट
पंजाब पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के पदाधिकारियो का कहना है कि नए जारी आदेशों के अनुसार अब उनकी पिछले वर्ष की वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट जिला स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा लिखी जाएगी।  हालाँकि, जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने पिछले वर्ष के दौरान जिला महामारी विशेषज्ञ द्वारा किए गए किसी भी कार्य का पर्यवेक्षण नहीं किया।  इसी प्रकार, जिला कार्यक्रम प्रबंधक और जिला लेखा अधिकारी आधिकारिक तौर पर सिविल सर्जन कार्यालय में तैनात जिला परिवार कल्याण अधिकारी के अधीन काम करते हैं, लेकिन नए नियमों के अनुसार, उनकी वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट सहायक सिविल सर्जन द्वारा लिखी जाएगी।  ऐसे में ये आदेश पूरी तरह से अवैध प्रतीत होते हैं और भविष्य में यदि एन.एच.एम.  यदि सरकार द्वारा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए कोई अन्य निर्णय लिया जाता है, तो चालू वर्ष की वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट को अमान्य माना जा सकता है। कर्मचारियों का मानना है कि इससे उनके भविष्य पर तलवार लटक गई है।  

संस्था के सचिव बिधि लॉर्ड सिंह ने कहा कि इस मामले में पंजाब पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन जिला महामारी विशेषज्ञों के साथ खड़ी है, अगर सरकार ने समय रहते इन आदेशों में संशोधन नहीं किया तो एसोसिएशन अदालत का दरवाजा खटखटाने से भी गुरेज नहीं करेगी।  उन्होंने कहा कि विभाग में पहले से ही जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों और महामारी विशेषज्ञों की कमी है, वर्तमान में कई जिलों में एन.एच.एम.  रेगुलर एपिडेमियोलॉजिस्ट का काम सब-रिक्रूट एपिडेमियोलॉजिस्ट अपने काम के साथ देख रहे हैं।  उन्होंने कहा कि सरकार की ऐसी नीतियों के कारण कई महामारी विशेषज्ञों ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है और अपने क्लीनिक खोल लिए हैं। 

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