Operation Sindoor पर छिड़ी बहस के बीच पंजाब के ये दिग्गज नेता हुए Ignore! पढ़ें Inside Story

Edited By Vatika,Updated: 31 Jul, 2025 05:19 PM

these big leaders of punjab were ignored

आप्रेशन सिंदूर' को लेकर लोकसभा में चर्चा के दौरान माहौल काफी गर्माहट भरा रहा।

जालंधर(अनिल पाहवा): 'आप्रेशन सिंदूर' को लेकर लोकसभा में चर्चा के दौरान माहौल काफी गर्माहट भरा रहा। विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच कई मुद्दों को लेकर नोक झोंक हुई। लेकिन इस सबके बीच कांग्रेस और भाजपा की राजनीति को लेकर कुछ अलग तरह की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। कांग्रेस की तरफ से आप्रेशन सिंदूर के मुद्दों पर सदन में कई नेताओं को बोलने का अवसर दिया गया, लेकिन पंजाब से संबंधित दो बड़े नेताओं को बोलने न दिए जाने को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। चंडीगढ़ से सांसद मनीष तिवारी जो पंजाब से संबंधित हैं और फतेहगढ़ साहिब से सांसद डा. अमर सिंह को सदन में बोलने का समय नहीं दिया गया। इसे लेकर मनीष तिवारी ने सोशल मीडिया पर रोष भी जाहिर किया। 

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प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होने पर कांग्रेस को शंका
वैसे इस सूची में शशि थरूर का नाम भी शामिल है, जिन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया गया और इन तीनों नेताओं को लेकर बड़ी खबर यह है कि ये तीनों सांसद भारत सरकार की वैश्विक कूटनीतिक पहल के तहत अलग-अलग देशों में भेजे गए प्रतिनिधिमंडलों में शामिल थे। चर्चा इस तरह की भी चल रही है कि कांग्रेस पार्टी इन सांसदों को भाजपा के करीब समझ रही है और इसीलिए इन्हें शायद समय नहीं दिया गया। दिलचस्प बात है कि अगर किसी देश के प्रतिनिधिमंडल में विपक्ष के लोगों को शामिल किया गया है तो यह विपक्षी पार्टी के लिए भी सीना चौड़ा करने वाली बात थी। लेकिन कांग्रेस शायद इस मसले को अलग तरीके से देख रही है। 

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मनीष तिवारी को दरकिनार करना कांग्रेस को पड़ सकता है भारी
मनीष तिवारी कांग्रेस में वर्षों से काम कर रहे हैं और वह राजनीतिज्ञ के साथ-साथ वकील भी हैं। उन्होंने भारतीय सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ दिल्ली उच्च न्यायालय में भी काम किया है। इस तरह के पढ़े-लिखे राजनेता को दरकिनार करना शायद कांग्रेस को आने वाले समय में नुक्सान पहुंचा सकता है। मनीष तिवारी को अगर बोलने का समय दिया जाता तो वह अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ विदेश दौरे के अनुभवों को भी सांझा कर सकते थे। और इस मसले पर दूसरे देशों के लोग क्या सोचते हैं, वह अनुभव भी वह सदन में रख सकते थे। लेकिन शायद कांग्रेस अपने एक अच्छे वक्ता को लेकर पालीटिकिली बोल्ड हो गई। 

पूर्व आई.ए.एस. डा. अमर सिंह का अनुभव भी कैश नहीं कर पाई कांग्रेस
फतेहगढ़ साहिब से सांसद डा. अमर सिंह पंजाब की राजनीति में एक अहम स्थान रखते हैं। ब्यूरोक्रेसी में भी डा. अमर सिंह एक जाना पहचाना नाम रहे हैं। आई.ए.एस. आफिसर के तौर पर उन्होंने कई साल तक काम किया और अब राजनीति में वह पंजाब में कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। कांग्रेस एक तरफ तो पंजाब में 2027 में सरकार बनाने के सपने देख रही है, लेकिन दूसरी तरफ एक ब्यूरोक्रेट जो अब एक बेहतर राजनेता के तौर पर काम कर रहा है, उसके अनुभव को प्रयोग करने में विफल साबित हो रही। डा. अमर सिंह भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। लेकिन उनको सदन में अपने अनुभव सांझे न कर देना कांग्रेस की छोटी सोच का परिणाम है। 

भाजपा के पालिटिकल स्टंट का तोड़ नहीं निकाल पाई कांग्रेस
भाजपा ने बेशक कांग्रेस के नेताओं को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल में पालिटिकल स्टंट के तौर पर ही शामिल किया हो, लेकिन कांग्रेस इस स्टंट का जवाब देने में विफल साबित हुई। कांग्रेस अगर बड़ा दिल दिखाती और सदन में बोलने वालों की सूची बनाते समय बड़ी सोच रखती तो शायद यह स्थिति पैदा नहीं होती। शायद कांग्रेस को यही लगता है कि ये लोग भाजपा के करीब हो गए हैं, जिन्हें प्रतिनिधिमंडल में आप्रेशन सिंदूर के लिए विदेशों में भेजा गया था। लेकिन अगर देश को सर्वोपरि रखकर सोचा जाए तो यह किसी भी नेता या किसी भी पार्टी के लिए फक्र की बात थी कि दुश्मन देश की नापाक हरकतों का जवाब देने में देश ने किस तरह से सक्षमता से काम किया।

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