शहर में न कोई मेयर, न कोई कौंसलर, न ही हाऊस, अभी करीब...

Edited By Urmila,Updated: 03 Jun, 2024 02:08 PM

there is no mayor no councillor no house in the city right now

नगर निगम जालंधर का पार्षद हाऊस 24 जनवरी 2023 को खत्म हो गया था और अब डेढ़ साल से ज्यादा का समय हो चुका है।

जालंधर : नगर निगम जालंधर का पार्षद हाऊस 24 जनवरी 2023 को खत्म हो गया था और अब डेढ़ साल से ज्यादा का समय हो चुका है कि शहर में अभी तक निगम चुनाव नहीं हो सके हैं। इन डेढ़ सालों दौरान जालंधर निगम पर अफसरों का राज रहा। ऐसे में शहर में न कोई मेयर है और न ही कोई कौंसलर। अगले निगम चुनाव कब होंगे, कोई निश्चित रूप से नहीं बता पा रहा परंतु माना जा रहा है कि अभी करीब 6 महीने निगम चुनाव नहीं होंगे और शहर तथा निगम पर अफसरों का ही राज रहेगा। ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि संसदीय चुनाव हाल ही में संपन्न हुए हैं और सारी ई.वी.एम. में वोटों का डाटा भरा हुआ है। कहा जाता है कि यह डाटा कम से कम 4 माह तक तो सुरक्षित रखना ही पड़ता है ताकि किसी कानूनी अड़चन आने पर वह डाटा प्रमाण के तौर पर पेश किया जा सके।

ठंडे पड चुके हैं कौंसलर बनने के इच्छुक नेता

पिछले डेढ़ साल से शहर के लोग उन नेताओं से वंचित हैं जो ज्यादातर मामलों में अपने अपने वार्ड का ख्याल रखते थे। चाहे अभी भी ज्यादातर पूर्व पार्षद और पार्षद बनने के इच्छुक कई नेता अपने अपने वार्ड में सक्रिय हैं परंतु ज्यादातर ऐसे जनप्रतिनिधियों के तेवर ठंडे पड चुके हैं क्योंकि निगम चुनावों का कुछ अता पता ही नहीं चल पा रहा।

पहले जहां 80 कौंसलर अपने अपने वार्ड की सफाई का ध्यान रखते थे परंतु अब कोई कौंसलर ना होने के कारण शहर की सफाई व्यवस्था चरमराने लगी है। शहर में हर डम्प पर कूड़े के ढेर लगे रहते हैं जिस कारण लोग काफी परेशान हैं। इस साल के शुरू में आई स्वच्छता रैंकिंग ने निगम के अफसरों की पोल खोल कर रख दी है।

जब पार्षद हाउस हुआ करता था तब अफसरों की जवाबदेही हुआ करती थी और सरकार तक उनकी शिकायत भी लगती थी पर अब सभी काम निगम कर्मचारियों और अधिकारियों के हवाले हैं और उनकी कोई जवाबदेही नहीं हैं। दस्तावेज और फार्म इत्यादि अटैस्ट करवाने, गवाही इत्यादि डलवाने के लिए भी लोगों को मुश्किलें पेश आ रही हैं।

लगातार बिगड़ रही है साफ सफाई की हालत

स्मार्ट सिटी और स्वच्छ भारत मिशन से करोड़ों रुपए की ग्रांट आने के बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले पा रही बल्कि यह और बिगड़ती चली गई जिसके चलते चौगिट्टी डम्प का मामला एन.जी.टी. तक पहुंचा और मॉडल टाऊन डंप, फोल्ड़ीवाल डंप तथा ज्योति नगर डम्प को लेकर जन आंदोलन तक हुए।

एन.जी.टी. और प्रदूषण नियंत्रण विभाग शहर की सफाई को लेकर निगम से खफा हैं। निगम से वरियाणा डंप की समस्या का भी कोई समाधान नहीं हो पाया और कूड़े को मैनेज करने के लिए बायो माइनिंग प्लांट भी नहीं लग पा रहा। नगर निगम का शिकायत सैल भी लोगों की सुनवाई नहीं कर रहा। कई बार तो निगम में छुट्टी जैसा माहौल दिखता है और चहल पहल गायब हो चुकी है।

पैसे खर्च करने में मनमानी कर रहे हैं अफसर

पिछले साल शहर की हालत सुधारने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 50 करोड़ की ग्रांट जारी की थी। पहले ऐसी ग्रांट को खर्च पार्षदों से पूछकर और उनसे प्राथमिकता लेकर खर्च किया जाता था पर इस बार अफसरों ने यह ग्रांट मनमर्जी से खर्च की और कई ऐसे कामों के एस्टीमेट भी बना दिए जिन कामों की कोई जरूरत ही नहीं थी। इससे निगम के ठेकेदार एक बार फिर मालामाल हो गए क्योंकि चुनावों के चलते उनसे सारे काम करवा लिए गए।

निगम चुनाव न होने से शहर को हुआ 40 करोड़ का नुकसान

हर साल फाइनेंस कमीशन द्वारा केंद्र सरकार के फंड में से राज्यों को ग्रांट के रूप में करोड़ों रुपए की राशि आबंटित की जाती है। जालंधर नगर निगम को भी फाइनेंस कमीशन की ग्रांट के रूप में पिछले समय दौरान करोड़ों रुपए मिलते रहे हैं, जिससे नगर निगम अपनी जरूरी पेमेंट्स इत्यादि करता आया है। इस बार 15वें फाइनेंस कमीशन ने जालंधर निगम को दी जाने वाली ग्रांट रोक ली है जो 40 करोड़ रुपए के करीब बताई जा रही है। गौरतलब है कि यह ग्रांट दो हिस्सों में यानी छमाही तौर पर दी जाती है।

फाइनेंस कमिशन की ओर से एक अप्रैल 2023 से 30 सितंबर 2023 तक और एक अक्तूबर से 31 मार्च 2024 तक जालंधर निगम को 20-20 करोड़ की दो किस्तें दी जानी थीं परंतु यह ग्रांट निगम पास नहीं आई। जब नगर निगम के अधिकारियों ने इस बाबत फाइनेंस कमीशन के प्रतिनिधियों से पता किया तो सामने आया कि जिन अर्बन लोकल बॉडीज में चुनाव नहीं हुए हैं और वहां जन प्रतिनिधि नहीं चुने गए हैं, उन्हें 15वें फाइनेंस कमीशन की ग्रांट नहीं मिलेगी।

कुल मिलाकर जालंधर निगम को इसलिए 40 करोड़ रुपए का नुकसान वहन करना पड़ा है क्योंकि जालंधर निगम के चुनाव में देरी हो चुकी है। माना जा रहा है कि अगर इस चल रही छमाही में भी चुनाव न हुए तो 20 करोड़ का घाटा निगम को और पड़ जाएगा।

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