सोम प्रकाश हैवीवेट मंत्रालय लेकर बने पंजाब में भाजपा राजनीति के सिरमौर

Edited By Vatika,Updated: 01 Jun, 2019 08:18 AM

som prakash elected union state minister

देश की 17वीं लोकसभा का गठन होने के बाद नरेन्द्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री पद पर सुशोभित हुए हैं। पी.एम. ने मंत्रिमंडल के 57 सहयोगियों के साथ पद व गोपनीयता की शपथ ली है।

होशियारपुर/पठानकोट(शारदा): देश की 17वीं लोकसभा का गठन होने के बाद नरेन्द्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री पद पर सुशोभित हुए हैं। पी.एम. ने मंत्रिमंडल के 57 सहयोगियों के साथ पद व गोपनीयता की शपथ ली है। आगामी भविष्य में हर प्रदेश में किस प्रकार की राजनीतिक परिस्थितियां बनेंगी उसकी छाप भी प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में साफ दिखाई देती है। जिन प्रदेशों में आगामी 6 महीनों या एक साल के भीतर वि.स. चुनाव होने हैं, वहां पर भाजपा ने अधिक फोकस किया है। 
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लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद पंजाब में कांग्रेस द्वारा 8 सीटें जीत जाना प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली केन्द्र की भाजपा सरकार व संगठन को पच नहीं पा रहा है, क्योंकि अगर इस प्रदेश से कांग्रेस की कम सीटें आती तो कांग्रेस फिर से अपने पुराने 44 सीटों के आंकड़े के आस-पास ही रह सकती थी। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जो पंजाब की स्थिति उभरकर सामने आई है उसमें भाजपा ने अपने हिस्से में 3 से 2 सीटें जीती थीं, परन्तु मंत्रिमंडल में हरदीप सिंह पुरी के साथ सोम प्रकाश को मंत्रिमंडल में स्थान देना केन्द्र सरकार का एक बड़ा संकेत प्रदेश की राजनीति को है। लोकसभा चुनावों में एक सिंटिग एम.पी. एवं राज्यमंत्री सांपला का टिकट काटकर भाजपा ने एक बड़ा कदम उठाया था तथा उसके बाद सोमप्रकाश होशियारपुर से टिकट लेने में तो कामयाब हो गए।
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कांग्रेस ने आपेक्षाकृत उनके मुकाबले में डा.राजकुमार चब्बेवाल के रूप में स्ट्रांग प्रत्याशी उतारा था, परन्तु मोदी लहर पर सवार सोमप्रकाश न केवल आसानी से जीत दर्ज करने में सफल रहे, बल्कि अब वह हैवीवेट विभाग भी केन्द्रीय मंत्रिमंडल में लेने में सफल रहे। सोमप्रकाश इस प्रकार मुकद्दर का सिकंदर साबित होंगे इसकी दूर-दूर तक किसी को खबर तक नहीं थी क्योंकि सांपला के पीछे भी एक बड़ी लॉबी थी। वहीं अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल को वही पुराना विभाग खाद्य प्रसंस्करण एवं उद्योग मंत्रालय दिया गया है  । पिछली बार जब उन्हें यह विभाग सौंपा गया था तो उस समय अकाली दल के 4 सांसद थे तथा इतने ही सदन राज्य सभा सदस्य थे। वहीं दूसरा अकाली-भाजपा गठबंधन की स्थिति भी ट्वंटी-20 मैच की तरह है जैसे हर बॉल पर मैच का रुख बदल जाता है। वैसे ही हर महीने दोनों ही सहयोग दल एक दूसरे पर निगाह रखेंगे कि लोगों में इनकी पैठ किस तरह से बढ़ रही है। 
 

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