स्मार्ट सिटी जालंधर : कैग रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

Edited By Kalash,Updated: 02 Jun, 2024 10:24 AM

smart city jalandhar

प्रधानमंत्री के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जालंधर में करीब 60 प्रोजेक्ट चलाए गए जिनमें से कई अभी भी लटक रहे हैं

जालंधर (खुराना): प्रधानमंत्री के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जालंधर में करीब 60 प्रोजेक्ट चलाए गए जिनमें से कई अभी भी लटक रहे हैं और पूरे नहीं हो रहे परंतु शायद ही कोई प्रोजेक्ट ऐसा हो जिसमें गड़बड़ी सामने न आई हो। ऐसे में पंजाब सरकार ने जहां स्मार्ट सिटी के तमाम प्रोजेक्टों की विजिलेंस जांच के आदेश दे रखे हैं वहीं केंद्र सरकार की एजेंसी ने भी स्मार्ट सिटी जालंधर में हुए भ्रष्टाचार की जांच का काम शुरू कर रखा है। यह टीम जालंधर का एक चक्कर लगा भी चुकी है और चुनावों के बाद जांच और तेज होने की संभावना है। विजिलेंस ने भी सबसे पहले इसी घोटाले की जांच शुरू कर रखी है।

जालंधर स्मार्ट सिटी में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद ओस साल के शुरू में केंद्र सरकार के संस्थान कैग (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया) की टीम ने जालंधर स्मार्ट सिटी के खातों का ऑडिट किया। यह ऑडिट 2015-16 से लेकर 2022-23 तक की समय अवधि का किया गया। कैग ने अपनी जो रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को भेजी है उसमें जालंधर स्मार्ट सिटी में पिछले समय दौरान हुए कई घोटालों का पर्दाफाश किया गया है पर इस रिपोर्ट में सबसे पहले एल.ई.डी. स्ट्रीट लाईट प्रोजेक्ट का जिक्र है और रिपोर्ट में साफ आरोप लगाया गया है कि कांट्रैक्ट लेने वाली कंपनी को करोड़ों रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाया गया।

ठेकेदार कंपनी को फेवर देने संबंधी दिए गए तर्क

- दिल्ली की एच.पी.एल कंपनी को स्ट्रीट लाइटें लगाने हेतु 43.83 करोड़ का टेंडर अलाट किया गया परंतु उसे मनमर्जी से बढ़ाकर 57.92 करोड़ तक पहुंचा दिया गया। यह राशि 25 प्रतिशत बढ़ौतरी से भी अधिक हो गई जिसकी किसी से अनुमति नहीं ली गई। काम खत्म होने के बाद कंपनी ने 5 साल तक ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस करनी थी जिसकी एवज में उसे 13.14 करोड़ का भुगतान होना था। कंपनी का काम अभी तक पूरा खत्म नहीं हुआ परंतु स्मार्ट सिटी द्वारा कंपनी को ऑपरेशन एंड मेंटिनेस चार्ज अदा किए जा रहे हैं। फरवरी 2024 तक कंपनी को इस हेतु 2.56 करोड़ दिए गए जो सरासर गड़बड़ी है।

- एल.ई.डी प्रोजेक्ट पर काम 31 मार्च 2022 को खत्म होना था परंतु काम अभी तक समाप्त नहीं हुआ। शर्त के मुताबिक कंपनी पर 7.5 प्रतिशत के हिसाब से 4 करोड़ 34 लाख की पेनल्टी लगनी थी जो स्मार्ट सिटी द्वारा नहीं लगाई गई।

- स्मार्ट सिटी कंपनी ने ठेकेदार कंपनी को 5.54 करोड़ रूपए की ज्यादा पेमैंट कर दी। ठेकेदार कंपनी ने 1.04 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी भी देनी थी। ठेकेदार कंपनी को अतिरिक्त पेमेंट हो जाने संबंधी पता चलने पर भी कोई एक्शन नहीं लिया गया और ज्यादातर राशि ठेकेदार कंपनी ने अभी तक स्मार्ट सिटी को वापस नहीं दी है।

प्रोजेक्ट में हर लैवल पर हुई गड़बड़ी

- शहर में 30 हजार के करीब ज्यादा लाईटें लगा दीं गईं परंतु उनकी चंडीगढ़ में बैठी स्टेट लैवल कमेटी से मंजूरी ही नहीं ली गई।
- काफी समय तक सिस्टम को पूरे तरीके से ‘अर्थ ‘ नहीं किया गया जबकि यह कांट्रैक्ट में शामिल था।
- पुरानी स्ट्रीट लाईटों को ऐसे ठेकेदार के हवाले कर दिया गया जिसके पास टैंडर ही नहीं था।
- 12 गांवों में कम वाट की लाईटें लगाकर टैंडर की शर्तों का सीधा सीधा उल्लंघन किया गया।
- लाईटों को लगाने के लिए क्लम्प के स्थान पर तारों को बांध दिया।

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