Edited By Vatika,Updated: 18 Jan, 2025 02:53 PM
इससे उन छात्रों की पहचान में मदद मिल सकती है जो केवल वर्क परमिट के उद्देश्य से स्टडी
पंजाब डेस्क: भारत-कनाडा तनाव के बीच 'इमिग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटीजनशिप कनाडा' (आई. आर. सी.सी.) की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि कनाडा पहुंचे लगभग 20 हजार भारतीय छात्र कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से लापता हैं। वे अपने कॉलेज या विश्वविद्यालयों में नो-शो' के रूप में चिह्नित किए गए है मतलब उन्हें वहां लंबे वक्त से देखा ही नहीं गया है।
लापता होने का कैसे चला पता
कनाडा में 2014 में इंटरनेशनल स्टूडेंट कम्प्लायंस रिजाइम लागू किया गयाथा, जिसका मकसद फर्जी छात्रों की पहचान करना और संदिग्ध स्कूलों को चिन्हित करना था। आव्रजन विभाग साल में दो बार कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से छात्रों की उपस्थिति की रिपोर्ट मांगता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपने स्टडी परमिट का पालन कर रहे हैं। बता दें कि भारतीय छात्रों की अनुपस्थिति के मामले ने भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ई डी.) का ध्यान भी आकर्षित किया है, जो कनाडा से अमरीका में भारतीयों की तस्करी के एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रहा है। यह जांच गुजरात के डिंगुचा गांव के एक भारतीय परिवार की मौत के बाद शुरू हुई थी, जो कनाडा-अमरीका सीमा को अवैध रूप से पार करने की कोशिश में अत्यधिक ठंड से मारे गए थे।
अमरीकी सीमा के पार भी नहीं गए छात्र
विशेषज्ञों का कहना है कि अनुपस्थित रहने वाले अधिकांश छात्र कनाडा में ही काम कर रहे हैं और स्थायी निवासी बनने का सपना रखते हैं। पूर्व संघीय अर्थशास्त्री और आवजन मामलों के विशेषज्ञ हेनरी लोटिन के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश छात्र अमरीका की सीमा पार नहीं कर रहे हैं, बल्कि कनाडा में काम कर रहे हैं। इसके पीछे उनका उद्देश्य स्थायी रूप से कनाडा में बसना हो सकता है। हेनरी लोटिन ने सुझाव दिया कि अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को कजाडा आने से पहले फीस का अग्रिम भुगतान करना अनिवार्य किया जा सकता है, जिससे सिस्टम के दुरुपयोग को कम किया जा सके। इससे उन छात्रों की पहचान में मदद मिल सकती है जो केवल वर्क परमिट के उद्देश्य से स्टडी परमिट का उपयोग कर रहे हैं।