Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jan, 2018 11:23 PM
हिमाचल प्रदेश के थप्पड़कांड की गूंज अभी कम नहीं हुई है। एक तरफ पुलिस की एफ.आई.आर. की तलवार विधायक आशा कुमारी के सिर पर लटक रही है तो दूसरी तरफ आशा कुमारी की अब पंजाब कांग्रेस के प्रभारी पद से भी छुट्टी हो सकती है। इस बात के संकेत ऑल इंडिया कांग्रेस...
जालंधर(रविंदर शर्मा): हिमाचल प्रदेश के थप्पड़कांड की गूंज अभी कम नहीं हुई है। एक तरफ पुलिस की एफ.आई.आर. की तलवार विधायक आशा कुमारी के सिर पर लटक रही है तो दूसरी तरफ आशा कुमारी की अब पंजाब कांग्रेस के प्रभारी पद से भी छुट्टी हो सकती है। इस बात के संकेत ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने दे दिए हैं।
पार्टी हाईकमान का साफ कहना है कि हिंसा करने वाले किसी भी व्यक्ति को पार्टी में उच्च पद पर नहीं रखा जाएगा। पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से इस बात का संकेत देने के बाद अब साफ हो गया है कि जल्द ही आशा कुमारी से पंजाब प्रभारी का पद छीना जा सकता है। संभावना है कि लुधियाना नगर निगम चुनाव के बाद पार्टी यह फैसला ले सकती है।
हाईकमान ने संकेत दिया है कि वह पंजाब में आशा कुमारी के जरिए किसी भी तरह का नैगेटिव मैसेज जनता के बीच डिलीवर नहीं होने देना चाहते। गौर हो कि उत्तर भारत में अकेला पंजाब ही एक राज्य है, जहां कांग्रेस की सरकार बची है। इसके अलावा पूरे उत्तर भारत से कांग्रेस का सफाया हो चुका है। एक समय था, जब कांग्रेस का उत्तर भारत में एकछत्र राज था। हर तरफ कांग्रेस का ही बोलबाला होता था और हरेक राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। उत्तर भारत में सबसे पहले पार्टी को 2 बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश व बिहार में मार पड़ी और पिछले कई सालों से यहां कांग्रेस का सफाया हो चुका है। देश में जब से नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली है, तब से तो उत्तर भारत के सभी राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल चुके हैं। अकेला पंजाब ही ऐसा राज्य है, जहां 10 साल बाद कांग्रेस की वापसी हुई है। ऐसे में पार्टी हाईकमान का पूरा फोकस पंजाब पर है।
पार्टी चाहती है कि पंजाब को बचा कर रखा जाए और 2019 तक ऐसा कोई मैसेज जनता के बीच न जाए, जिससे पंजाब में भी पार्टी की छवि खराब हो। यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश थप्पड़कांड से बदनाम हुई आशा कुमारी पर अब कांग्रेस हाईकमान ज्यादा विश्वास नहीं करना चाहती, इसलिए जल्द ही आशा कुमारी को पंजाब प्रभारी पद से हटाया जा सकता है। पार्टी हाईकमान आशा कुमारी पर कार्रवाई कर यह संकेत भी देना चाहेगी कि कांग्रेस अपना चेहरा-मोहरा बदलने की तैयारी में है। कांग्रेस में हिंसा जैसी किसी भी चीज की अब कोई वैल्यू नहीं है। ऐसा कर उत्तर भारत में कांग्रेस आने वाले 2019 की तैयारियों की नींव भी रखना चाहती है। कांग्रेस का यह भी प्लान है कि उत्तर भारत में जहां-जहां 2014 में भाजपा को ज्यादा सीटें मिली थीं, वहां पूरी तरह फोकस कर 2019 में भाजपा के रथ को रोका जाए।