Edited By Vatika,Updated: 11 Mar, 2023 12:51 PM

150 करोड़ रुपए से अधिक की आय का अतिरिक्त इजाफा होगा।
जालंधर (नरेन्द्र मोहन): भले ही पंजाब सरकार ने अपने बजट में कोई टैक्स न लगाया हो परंतु पंजाब सरकार ने राज्य के तमाम नगर निगम, नगर परिषदों और नगर पंचायतों के अधीन आती उनकी किराए की संपत्ति का किराया बढ़ाने को कहा है। इस संदर्भ में पंजाब सरकार ने राज्य के तमाम स्थानीय निकाय बॉडी को पत्र लिखकर कहा कि अपनी बैठकों में इस संदर्भ में प्रस्ताव पारित किया जाए। ऐसा अनुमान है कि नगर निगम की किराए पर दी दुकानों के किरायों में वृद्धि से स्थानीय निकायों को करीब 150 करोड़ रुपए से अधिक की आय का अतिरिक्त इजाफा होगा।
पंजाब सरकार ने पिछले वर्ष 11 नवम्बर को तमाम जिलों के डिप्टी कमिश्नरों के माध्यम से राज्य की तमाम नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को एक पत्र भेजा था जिसमें कहा गया था कि वर्षों से मामूली किराए पर चली आ रही इन संस्थाओं की संपत्ति के किराए बढ़ाए जाने के लिए सभी संस्थाएं अपनी-अपनी होने वाली बैठक में इस बारे में प्रस्ताव पारित करें। पंजाब सरकार ने इसी पत्र का एक रिमाइंडर भी अब नए वर्ष में निकाला और सभी लोकल बॉडी संस्थाओं को शीघ्र ऐसा करने के लिए कहा है। गौरतलब है कि नगर निगम, नगर परिषदों और नगर पंचायतों द्वारा किराए पर दी गई दुकानों, कार्यालयों, रिहायशी स्थानों का किराया अधिकतम 3000 रुपए प्रतिमाह है, जबकि न्यूनतम 400 रुपए प्रतिमाह है।
मामूली किराए पर चढ़ी दुकानों के मालिक बने बैठे दुकानदार न्यूनतम किराया भी अदा नहीं कर रहे। अमृतसर में इस बारे में मामला उठा था जिसमें 1100 दुकानदारों ने नगर निगम का किराया वक्त पर नहीं दिया था तो दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी। इसी प्रकार बङ्क्षठडा में नगर निगम की 400 दुकानों का किराया महज 2000 से 3000 रुपए प्रतिमाह के बीच है, जबकि प्राइवेट संपत्ति के अधीन आती इतनी ही साइज की दुकानों का किराया 15 से 30,000 रुपए प्रतिमाह है। लुधियाना में तो नगर निगम की संपत्तियों की संख्या 40,000 है जिसमें नगर निगम परिषद द्वारा दिए किराए के घर, किराए के कार्यालय, दुकानें और अन्य स्थान भी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार राज्य की 10 नगर निगमों के कमर्शियल स्थानों की संख्या 6500 से अधिक है, ए श्रेणी की नगर परिषदों में कमर्शियल किराए पर दी कमर्शियल दुकानों की संख्या 7000 है। बी श्रेणी की नगर पालिकाओं द्वारा किराए पर दी उनकी कमर्शियल संपत्ति की संख्या भी 7000 है, जबकि सी श्रेणी की नगर पालिकाओं द्वारा किराए पर दी कमर्शियल संपत्ति की संख्या 2200 है।