‘आप’ बिखरी, 20 में से 11 विधायक ही सदन में रहेंगे मौजूद

Edited By swetha,Updated: 30 Jul, 2019 12:20 PM

punjab assembly session

मानसून सत्र के लिए सत्तापक्ष निश्चित मन से तैयारी में जुटा है, जिसकी सबसे बड़ी वजह बिखरा हुआ विपक्ष है।

चंडीगढ़(रमनजीत): मानसून सत्र के लिए सत्तापक्ष निश्चित मन से तैयारी में जुटा है, जिसकी सबसे बड़ी वजह बिखरा हुआ विपक्ष है। प्रचंड बहुमत के साथ 2017 में विधानसभा पहुंची कांग्रेस वैसे तो शुरू से ही अपने संख्या बल की वजह से सदन में विपक्ष पर भारी रही है। मौजूदा समय में विपक्ष के बिखराव ने कांग्रेस को फ्लोर मैनेजमैंट के लिए और भी आसानी प्रदान कर दी है। विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर नेता विपक्ष पद पाने वाली आम आदमी पार्टी भले ही कागजों में अभी भी 20 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन असलियत में औपचारिकताएं पूरी होने की देरीभर तक ऐसी स्थिति है। 

आप के बचे बाकी विधायकों में है तालमेल की कमी

विधानसभा में लंबे अरसे से अटकी पड़ीं औपचारिकताएं पूरी होते ही यह आंकड़ा 5 अंक कम हो जाएगा और 4 बागी विधायकों को भी अलग कर दें तो मात्र 11 विधायक ही पार्टी के एजैंडे को सदन में आगे बढ़ाने के लिए मौजूद रहेंगे। आप के बाकी बचे विधायकों में से कंवर संधू, जगतार सिंह जग्गा, जगदेव सिंह कमालू व पिरमल सिंह खालसा पार्टी सुरों से अलग अपनी बंसरी बजा रहे हैं।  वहीं, बाकी 11 में से भी एक अमन अरोड़ा पार्टी विधायक दल के नेता से नाराज चल रहे हैं और अपने बयान तक पार्टी से अलग भेजते हैं। ‘आप’ विधायक एच.एस. फूलका ने करीब 11 माह पहले पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था। इसके पीछे उन्होंने सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के केसों में व्यस्तता को कारण बताया था, लेकिन इतना समय बीतने के बावजूद भी उनका  इस्तीफा विधानसभा स्पीकर द्वारा मंजूर नहीं किया गया है। 

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सुखपाल खैहरा ने बनाया था 8 विधायकों का बागी गुट

पिछले वर्ष जुलाई में नेता विपक्ष के पद से हटाए गए सुखपाल सिंह खैहरा ने 8 विधायकों का एक ‘बागी’ गुट जोड़ा था और उसके दम पर काफी देर तक आप के नेतृत्व पर प्रहार किए। फिर खैहरा और जैतो से विधायक मास्टर बलदेव सिंह ने खैहरा की बनाई हुई नई पार्टी पंजाब एकता पार्टी के झंडे तले लोकसभा चुनाव भी लड़ा और यह चुनाव लडऩे से पहले औपचारिकतावश अपना इस्तीफा भी भेजा, लेकिन यह इस्तीफे भी स्पीकर राणा के.पी. सिंह के कार्यालय में विचाराधीन हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव से पहले मानसा से आप विधायक नाजर सिंह मानशाहीया और रोपड़ से विधायक अमरजीत सिंह संदोआ इस्तीफा देकर सत्तासीन कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान कर गए। मजे की बात यह है कि इन दोनों के इस्तीफे भी स्पीकर कार्यालय में विचाराधीन हैं। विधानसभा में पार्टी की स्थिति संबंधी बात करने पर हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पार्टी के विधायक एकजुट हैं और सरकार को घेरने के लिए तैयार हैं। उन्होंने माना कि कुछ विधायकों में नाराजगी जरूर है लेकिन वह पार्टी के साथ हैं। खैहरा पर तंज कसते हुए चीमा ने कहा कि खैहरा को अपने जमीर से पूछना चाहिए कि क्या वो मौजूदा हालात में सदन में बैठने के लायक हैं या नहीं।

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सुखबीर व सोम प्रकाश भी गए

विपक्ष में सिर्फ आम आदमी पार्टी ही अकेली ऐसी पार्टी नहीं है जिसका संख्या बल कम हुआ है, बल्कि शिरोमणि अकाली दल और भाजपा भी इससे अछूते नहीं हैं। लोकसभा चुनाव जीतने की वजह से शिअद के सुखबीर सिंह बादल और भाजपा के सोम प्रकाश सदन से नदारद रहेंगे, क्योंकि उनके द्वारा खाली की गई सीटों पर अभी चुनाव नहीं हुआ है। 

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सत्ता पक्ष को घेरने की विपक्ष ने बनाई रणनीति

2 अगस्त से शुरू होने जा रहे पंजाब विधानसभा सत्र को लेकर विपक्ष ने रणनीति तैयार कर ली है। विपक्ष बेरोजगारी, कृषि संकट, प्रदेश में बिगड़ रही कानून व्यवस्था व किसानों की आत्महत्या के मामलों को लेकर सत्ता पक्ष को घेरेगा। विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि उनकी पार्टी बेअदबी मामले को लेकर सत्ता पक्ष पर कड़ा प्रहार करेगी। इसके अलावा नशा तस्करी, कृषि लोन और अन्य मुद्दों को लेकर भी हल्ला बोलेगी। हरपाल चीमा ने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और बहबल कला कांड को हुए 4 साल बीत गए हैं लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई जांच सिरे नहीं चढ़ी है। जांच एजैंसियों के हत्थे अभी तक कुछ खास नहीं लगा है। कांग्रेस सरकार की मिलीभगत के चलते दोषी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं। शिअद की भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध रही है। 

 

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