Pm Modi का Single Use Plastic को बंद करने का ऐलान, पढ़ें कितना घातक है पॉलिथीन

Edited By Suraj Thakur,Updated: 15 Aug, 2019 10:19 AM

pm modi announced to stop single use plastic on independence day

जहरीले रसायन युक्त पॉलीथीन बैग जमीन में दबने के बाद 1000 साल तक गलता तक नहीं है?

जालंधर। (सूरज ठाकुर) स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में अब सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने का ऐलान किया और व्यापक स्तर पर इस अभियान की शुरूआत 2 अक्टूबर से होगी। इस मौके पर आपको बताने जा रहे हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक मानव जीवन के लिए कितना घातक है। क्या आप जानते हैं कि जहरीले रसायन युक्त पॉलीथीन बैग जमीन में दबने के बाद 1000 साल तक गलता तक नहीं है? इसके रसायन यदि आपके खाद्य पर्दाथों में मिल जाएं तो आप घातक रोगों का शिकार हो सकते हैं। नदी नालों में तैरते हुए प्लास्टिक कचरे को देखकर हम इससे होने वाले नुकसान की कल्पना भी करते और स्थानीय प्रशासन को कोसने लगते हैं। ताजुब्ब तो इस बात का है कि इस खतरे से देश का पूरा शासन-प्रशासन और जनता वाकिफ है, पर खौफजदा कोई भी नहीं है।PunjabKesari

सालाना प्रतिव्यक्ति करता है 7 किलो पॉलिथीन इस्तेमाल 
पॉलिथीन बैग्स के इस्तेमाल की लोगों को इतनी ज्यादा आदत पड़ चुकी है कि पूरे विश्व में एक साल में दस खरब प्लास्टिक बैग्स इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाते हैं। केन्द्रीय पर्यावरण नियन्त्रण बोर्ड के एक अध्ययन के मुताबिक हमारे देश में एक व्यक्ति एक साल में औसतन 7 किलो प्लास्टिक कचरा (पॉलिथीन बेग्स,  प्लास्टिक रैप पैकिंग आदि) फैंकता है। पर्यावरण विज्ञानियों ने प्लास्टिक के 20 माइक्रोन या इनसे पतले उत्पाद को पर्यावरण के लिए बहुत घातक बताया है। ये प्लास्टिक बैग्स मिट्टी में दबने से फसलों के लिए उपयोगी कीटाणुओं को मार देते हैं। इन थैलियों के प्लास्टिक में पॉलीविनायल क्लोराइड होता है जो मिट्टी में दबे रहने पर भूजल को जहरीला बना देता है। खुले में फैंके हुए पॉलिथीन को सालाना लाखों गायों सहित सहित आवारा पशु चारा समझ कर खा जाते हैं और मौत का ग्रास बनते हैं।PunjabKesari
 
कितना घातक प्लास्टिक और पॉलिथीन 
भारत में ही नहीं पूरे विश्व में कई कारणों पर्यावरण दूषित हो रहा है जिसके लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पॉलिथीन इस्तेमाल से लोग कई तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। जमीन की बंजर होने की संभावनाएं बढ़ रही हैं। भूजल जलस्रोत दूषित होकर जलजनित रोगों को जन्म दे रहे हैं। प्लास्टिक के इस्तेमाल से लोगों के खून में थैलेट्स की मात्रा बढ़ जाती हैं। इससे गर्भवती महिलाओं के शिशु का विकास रुक जाता है। प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंचता है। प्लास्टिक उत्पादों में प्रयोग होने वाला बिस्फेनाल रसायन शरीर में मधुमेह और लिवर एंजाइम को असंतुलित कर देता है। इसी तरह पॉलिथीन कचरा जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और डाइऑक्सींस जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होती हैं। इनसे सांस, त्वचा आदि से सम्बन्धित बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।PunjabKesari

बढ़ सकता है हृदय आकार, हो सकते हैं मानसिक रूप से विक्षिप्त
वैज्ञाानिकों के मुताबिक प्लास्टिक बैग, प्लेट्स, कप आदि को को रंग प्रदान करने के लिए उसमें कैडमियम और जस्ता (जिंक) जैसी विषैली धातुओं के अंश मिलाए जाते हैं। जब ऐसे रंगीन प्लास्टिक से बनी थैलियों, डिब्बों या दूसरी पैकिंग में खाने-पीने के सामान रखे जाते हैं तो ये जहरीले तत्त्व धीरे-धीरे उनमें प्रवेश कर जाते हैं। कैडमियम की अल्प मात्रा के शरीर में जाने से उल्टियां हो सकती हैं, हृदय का आकार बढ़ सकता है। इसी प्रकार जस्ता (जिंक) नियमित रूप से शरीर में पहुंचता रहे तो ब्रेन टिशूश में विकार आने से मनुष्य के मानसिक रूप से विक्षिप्त होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।PunjabKesari

हमें पता नहीं चलता कि बीमारी कारण पॉलिथीन है
पॉलिथीन से जनित होने वाली बीमारियों का हम जिक्र कर रहे हैं, उनको लेकर देश में ऐसा कोई सर्वे नहीं हुआ है कि कितने लोग पॉलिथीन से पैदा होने वाली बीमारियों का शिकार होते हैं। अगर आप डॉक्टर के पास जाते हो तो वह आपको आपकी बीमारी का नाम ही बता पाएगा। पर्यावरण विदों के मुताबिक इस बात को लेकर सर्वे आवश्यक है कि देश के किन राज्यों के कौन से जिलों में सबसे ज्यादा पॉलिथीन कचरा जमा होता है। उसके बाद वहां के अस्पतालों में कौन से रोगियों की संख्या बढ़ रही है। इस तरह के सर्वेक्षण से जो आंकड़े आएंगे, वे लोगों को जागरूक करने में मददगार साबित होंगे। PunjabKesari

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने 2954.72 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। ऐसा माना जा रहा है यह बजट कि पर्यावरण संरक्षण संबंधी पेरिस समझौते के तहत कार्बन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य को पूरा करने पर केंद्रित है। हरित भारत राष्ट्रीय मिशन के बजट में इस साल 240 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। बजट में प्रोजेक्ट टाइगर के लिए इस साल भी  350 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया गया है। प्रोजेक्ट ऐलीफेंट के लिये 30 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं।PunjabKesari

क्या वर्तमान में जीने के आदि हो चुके हैं लोग 
शायद हम सभी वर्तमान में जीने के आदि हो चुके हैं। हमारी भविष्य की कल्पना अपने बच्चों की शिक्षा और उनके करियर तक ही सिमटती जा रही है। वैश्विक स्तर पर लगातार हो रहे शोधों के मुताबिक स्वच्छ पर्यावरण के अभाव में आने वाली पीढ़ियां भयंकर जानलेवा बीमारियों से जंग लड़ते हुए अल्प आयु में ही दम तोड़ देंगी। प्लास्टिक बैग की बात करें तो यह जहरीले रसायानों से तैयार होता है और लोग बड़े शौक से अपने सब्जियां, फल, व राशन आदि इसमें घर ले जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का पॉलिथीन बग्स को खत्म करने का ऐलान स्वच्छ और स्वस्थ भारत के निर्माण में अहम योगदान देने वाला है। अगर सभी देशवासी इस अभियान को सफल बनाते हैं तो हमें कई घातक बीमारियों से निजात तो मिलेगी ही साथ में स्वच्छ वातावरण आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान भी साबित होगा।   

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