Edited By Urmila,Updated: 21 May, 2024 12:32 PM
पंजाब में लोकसभा चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है। इसी बीच मोहाली के गांव चटौली से एक बड़ी खबर सामने आई है।
पंजाब डेस्क: पंजाब में लोकसभा चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है। इसी बीच मोहाली के गांव चटौली से एक बड़ी खबर सामने आई है। जानकारी मिली है कि गांव के लोगों ने वोट डालने से मना कर दिया है। उन्होंने पूरी तरह से चुनावों में बायकॉट करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि वे किसी भी पार्टी को वोट नहीं डालेंगे। उन्होंने कहा कि पिछली और मौजूदा सरकार ने उनके गांव की सार नहीं ली, नेता लोग वादे करते हैं पर निभाते नहीं है।
गांववासियों की मांग है कि जब तक उनके गांव की सड़क नहीं बन जाती है वह वोट नहीं डालेंगे। उन्होंने गुहार लगाई है कि सड़कों पर गहरे गड्ढे बने हुए हैं लोग आए दिन हादसों का सिकार हो रहे हैं। किसी की टांग, चूले तो किसी आर्थिक व शारीरिक नुकसान हो रहा है। लोग हादसे का शिकार होने के बाद बैड पर पड़े हैं। स्कूल में पढ़ने जा रहे बच्चों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जब बच्चों को अभिभावक मोटरसाइकिल जा गाड़ियों से छोड़ने जाते हैं तो वह कई बार हादसे का शिकार हो जाते हैं। इलाज करवाने के लिए डाक्टरों हजारों-लाखों रुपए देने पड़ते हैं। हर रोज कोई न कोई नुकसान बर्दाश्त नहीं होता है।
वहीं चटौली गांव इंडस्ट्रियल एरिया हैं जहां हर रोज भारी वाहन डगमगाते हुए गुजरते हैं। गांववासियों ने कहा कि जहां सबसे बड़ी फैक्टरी लाहौरी जीरा की है जिसके 120-130 वाहन जहां से गुजरते हैं। गांववासियों ने कहा कि वह किसी एक पार्टी को मुख्य रखकर नहीं कह रहे हैं। सड़कों का बहुत बुरा हाल है। उनके गांव की 1000 वोट हैं। उन्होंने कहा कि जी.टी. रोड से खिदराबाद के बीच 40-45 गांव हैं। वह एक मुहिम चला रहे हैं जिसके चलते वह गांव-गांव जाकर चुनावों का बायकॉट करने के लिए कहेंगे। जब तक सड़क नहीं बनाई जाती उनकी सार नहीं ली जाती तब तक वह भी चुनावों का बायकॉट करें।
गांव की न तो अकाली दल , न ही कांग्रेस पार्टी ने सार ली है। अभी मौजूदा सरकार से उम्मीदें लगाई बैठे हैं। उन्होंने गांव चटौली से खिदराबाद तक 11 किलोमीटर का टोटा है जो 40-45 गांव को जोडता है। खिदराबाद एक ऐतिहासिक गांव है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई लीडर गांव आता है तो उन्हें पहले ट्रैक्टर-ट्राली में बैठाकर गांव का चक्कर लगवाया जाएगा फिर उनसे बात की जाएगी। अगर कोई पार्टी उनकी गांव का सार लेगा तो ठीक है नहीं तो उनके किसी भी गांव को पार्टी की जरूरत नहीं।
गांव वालों ने कहा कि पिछले 5-6 महीने पहले जो बाढ़ आई थी तो तब जी.टी. रोड से खिदराबाद जाने का लिंक टूट गया तो उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। यूथ ने इकट्ठे होकर दरार को भरा। दोफाड़ होने से स्कूल के बच्चे प्रभावित हो रहे थे। कभी ट्रक उलट जाता, कोई न कोई नुकसान हो जाता। उन्होंने खुद 1 लाख 24 हजार रुपए लगाकर उस दरार को भरा। उनके गांव की सड़क देखकर रिश्तेदार भी आना बंद हो गए हैं। बच्चों को जब स्कूल छोड़ने जाना या लेकर आना होता तो धूल मिट्टी के कारण हादसे का डर रहता है। कई बार तो मोटरसाइकिल डगमगा गिर जाते हैं और टूट जाते हैं। मानिसक, आर्थिक परेशानी होती है।
गांववासियों ने कहा कि अगर सरकार ने सुनवाई नहीं की , सार नहीं ली तो वह 10 जून के बाद एक रणनीति तैयार करके जी.टी. रोड पर धरना लगाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर उनके गांव की सड़क बन जाएगी तो वोट डाल देंगे नहीं तो किसी भी लीडर को गांव में आने नहीं दिया जाएगा। लोगों में काफी गुस्सा भरा हुआ है। अगर वोटों से पहले उनके गांव में कोई लीडर आता है तो पहले उसे ट्रैक्टर-ट्राली में बैठाकर गांव का चक्कर जरूर लगवाएंगे। उसके बाद सवाल पूछेंगे और पूछेंगे कि उनका क्या हाल है? उसके बाद ही बात करेंगे। अगर बैठकर कोई बात सिरे चढ़ती है तो वोट डालने पर विचार किया जा सकता है नहीं तो चुनावों का बायकॉट है।
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