रावी दरिया में भारी कटाव, पानी नहर के रास्ते रिहायशी इलाकों तक पहुंचा

Edited By Sunita sarangal,Updated: 05 Sep, 2025 05:18 PM

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हालांकि शाहपुरकंडी डैम की ओर से इस कटाव को भरने का कार्य शुरू कर दिया गया है, लेकिन अब तक यह कार्य पूरी तरह से पूरा नहीं हो सका है।

माधोपुर/पठानकोट(जग्गी/शारदा): माधोपुर स्थित रावी दरिया में पिछले दिनों आए तेज बहाव के कारण भारी कटाव हो गया, जिसकी वजह से दरिया का पानी कटे हुए हिस्से से यूवीडीसी नहर (यू.बी.डी.सी. कैनाल) में घुस गया। यह पानी नहर के माध्यम से आगे बढ़ते हुए सुजानपुर शहर और उसके आस-पास के रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर गया, जिससे लोगों के घरों, दुकानों और अन्य सम्पत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा।

हालांकि शाहपुरकंडी डैम की ओर से इस कटाव को भरने का कार्य शुरू कर दिया गया है, लेकिन अब तक यह कार्य पूरी तरह से पूरा नहीं हो सका है। कटाव को भरने की प्रक्रिया जितनी धीमी गति से चल रही है, उतनी ही तेज़ी से दरिया का बहाव आगे की ओर कटाव को और बढ़ाता जा रहा है। विभागीय प्रयासों के बावजूद हालात काबू में नहीं हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि विभाग के अधिकारी कटाव को भरने के लिए पीछे से मिट्टी और क्रेट (रेत की बोरियां) डालने का काम कर रहे हैं, लेकिन जिस स्थान पर वे यह कार्य कर रहे हैं, वहां दरिया का स्तर अपेक्षाकृत काफी नीचा है। इसके चलते विभाग को तकनीकी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर जहां से कटाव रुक सकता था, वहां पर पहले से बने धुस्सी बांध को मज़बूत करने की कोई योजना नहीं अपनाई गई। लोगों का मानना है कि अगर धुस्सी बांध के ऊपर से ही मिट्टी और करेट डालकर भराई का काम शुरू किया जाता, तो शायद कटाव को आगे बढऩे से रोका जा सकता था।

स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि जब तक दरिया का मुख्य बहाव अपने बीचों-बीच रास्ते पर नहीं लौटता, तब तक पानी इस कटे हुए हिस्से से होता हुआ। यू.बी.डी.सी. नहर में प्रवेश करता रहेगा, जो आगे चलकर फिर से रिहायशी इलाकों को प्रभावित करेगा। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और इसके चलते आस-पास के गांवों और शहरों में रहने वाले लोग लगातार भय के साये में जीने को मजबूर हैं।

ग्रामीणों और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने डैम प्रबंधन से मांग की है कि यदि दरिया के पानी के बहाव को दो दिन के लिए पूरी तरह बंद कर दिया जाए, तो इस समय का उपयोग कर कटाव को भरने का कार्य पूरा किया जा सकता है। उनका मानना है कि पानी का बहाव जब तक चालू रहेगा, तब तक कटाव को रोकना संभव नहीं होगा, क्योंकि मिट्टी और करेट लगातार बहाव में बह जाते हैं।

यदि पहले ही दरिया के जलस्तर के बढऩे की संभावना थी, तो डैम विभाग ने पहले से ठोस प्रबंध क्यों नहीं किए?

वहीं दूसरी ओर समाज सेवक सुभाष सलारिया ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रशासन से यह भी अपील की है कि इस कटाव को राष्ट्रीय आपदा के रूप में देखते हुए त्वरित और ठोस कदम उठाए जाएं। यदि समय रहते इसे नहीं भरा गया, तो भविष्य में रावी दरिया का पानी और अधिक इलाकों में फैल सकता है, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है। डैम विभाग की ओर से फिलहाल कुछ जेसीबी मशीनें और मजदूरों की टीम काम में जुटी हुई हैं, लेकिन यह कार्य बल नाकाफी है और इसमें और अधिक संसाधनों की आवश्यकता है। अब सवाल यह उठता है कि जब पहले ही बारिश के मौसम में दरिया के जलस्तर के बढऩे की संभावना थी, तो डैम विभाग ने पहले से ठोस प्रबंध क्यों नहीं किए? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही नहीं है?

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