जालंधर वेस्ट के उपचुनाव में दिखेंगे नए उम्मीदवा! निगम चुनावों को लेकर अभी अनिश्चितता बरकरार

Edited By Kalash,Updated: 10 Jun, 2024 02:30 PM

new candidates will be seen in jalandhar west by election

पंजाब सरकार ने वेस्ट विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के विधायक रहे शीतल अंगुराल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है

जालंधर : पंजाब सरकार ने वेस्ट विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के विधायक रहे शीतल अंगुराल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, इसलिए वेस्ट विधानसभा क्षेत्र जालंधर का उपचुनाव करवाया जाएगा। वैसे सरकार ने कुछ अन्य विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव करवाना है इसलिए कहा जा रहा है कि यह प्रक्रिया जल्द शुरू कर दी जाएगी। जालंधर वेस्ट विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां पिछले एक दो साल में समीकरण बड़ी तेजी से बदले हैं।

शीतल अंगुराल कभी बी.जे.पी. में हुआ करते थे परंतु वह आम आदमी पार्टी की टिकट से विधायक बन गए और बाद में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली और अपना इस्तीफा भी सौंप दिया। यहां से विधायक का चुनाव सुशील रिंकू हारे थे और वह कांग्रेस में थे परंतु बाद में वह आम आदमी पार्टी में चले गए और लोकसभा उपचुनाव जीतकर सांसद बन गए। लोकसभा चुनाव के दौरान भी आप ने सुशील रिंकू पर दांव खेला परंतु इसी दौरान वह भाजपा में चले गए और उस पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा परंतु हार गए।

अब वेस्ट क्षेत्र के उपचुनाव में नए-नए उम्मीदवार देखने को मिल सकते हैं। आम आदमी पार्टी की ओर से टिकट के दावेदार महेंद्र भगत हो सकते है जो कभी भाजपाई हुआ करते थे। कांग्रेस की ओर से दावेदार कौन होगा इस बारे अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। भाजपा की ओर से इस उप चुनाव में किसे टिकट मिलेगी, इस बारे भी अभी कोई अंदाजा नहीं है। इस उपचुनाव को लेकर फिलहाल किसी पार्टी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं परंतु माना जा रहा है कि जल्द ही वेस्ट विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में सरगर्मी शुरू हो जाएगी। वैसे लोकसभा चुनाव के दौरान वेस्ट क्षेत्र से कांग्रेस को बाकी दलों के मुकाबले मामूली बढ़त प्राप्त हुई है और कांग्रेसी यहां से सरगर्म हो चुके हैं।

निगम चुनाव की टिकटों को लेकर चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं सभी पार्टियों के नेता

जालंधर में पिछले साल जब लोकसभा उपचुनाव हुए थे, तब वह चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी ने पंजाब में नगर निगमों के चुनाव करवाने का मन बना लिया था जिसके लिए वार्ड बंदी की प्रक्रिया को भी फाइनल टच दे दिया गया था। तब माना जा रहा था कि उपचुनाव खत्म होने के 2 महीने के भीतर निगमों के चुनाव करवा लिए जाएंगे परंतु ऐसा हो नहीं सका और सरकार ने आम चुनावों की तैयारी शुरू कर दी।

अब लोकसभा चुनाव भी संपन्न हो चुके हैं इसके बावजूद निगम चुनावों को लेकर अनिश्चितता बरकरार है। जालंधर नगर निगम की बात करें तो पिछले दो सालों के दौरान जालंधर के आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। कभी जिन नेताओं की तूती बोला करती थी वह अब निचले पायदान पर चले गए हैं। जबकि कई तो सर्वोच्च शिखर पर पहुंच गए हैं ।

ऐसे में जालंधर निगम हेतु टिकटों की दावेदारी को लेकर आम आदमी पार्टी के ज्यादातर नेता आशा और निराशा के चक्रव्यूह में फंसे हुए दिख रहे हैं । आम आदमी पार्टी के बदल रहे समीकरणों को देखते हुए कई नेता तो खेमे बदलने को मजबूर हो गए हैं और कई टिकटों का जुगाड़ लगाने के लिए नए नए गॉडफादर ढूंढ रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में निगम की टिकटों को लेकर आम आदमी पार्टी में अच्छी खासी उठापटक देखने को मिल सकती है क्योंकि किसी को समझ नहीं आ रहा कि आखिर टिकट वितरण में किसकी चलेगी।

वार्ड बंदी को लेकर सबसे ज्यादा एक्टिव रहे हैं कांग्रेसी

जालंधर निगम की वार्डबंदी का ड्राफ्ट नोटिफाई हो चुका है और सभी वार्डों के नक्शे भी डिस्प्ले किए जा चुके हैं। पिछले समय दौरान देखने में आया है कि वार्ड बंदी के मामले में सबसे ज्यादा एक्टिव कांग्रेसी टिकटों के दावेदार ही रहे हैं जबकि इस मामले में आम आदमी पार्टी के साथ-साथ अकाली और भाजपा की टिकटों के दावेदार काफी पीछे चल रहे हैं।

आज कांग्रेसी नेता तो निगम में लगातार आ रहे हैं पर खास बात यह है कि आम आदमी पार्टी की टिकटों के ज्यादातर दावेदार नगर निगम में बहुत ही कम दिखाई देते हैं। माना जा रहा है कि ज्यादातर कांग्रेसियों ने वार्ड बंदी के हिसाब से अपने-अपने वार्डों का चयन कर लिया है। इसलिए उन्होंने अपनी अपनी तैयारी शुरू भी कर रखी है।

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