ये है Mini Pakistan, 1947 में नहीं 1957 में मिली थी इन हिन्दू परिवारों को आजादी

Edited By Vatika,Updated: 14 Aug, 2019 09:47 AM

mini pakistan in amritsar

2008 में इस गली में पाकिस्तान की बेटी लेकर आई थी बारात

अमृतसर (सफर) : देश भर में आजादी का पर्व भले ही 15 अगस्त 1947 को मनाया जाता है लेकिन अमृतसर के छहर्टा कस्बे के पास गली पेशावरी वाली में रहने वाले 70-80 परिवारों को आजादी 1957 में तब मिली थी जब पाकिस्तान के पेशावर शहर से पलायन करके हिन्दू परिवार भारत आकर इस गली में बसे थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पाकिस्तान से आए इन हिन्दू परिवारों के हरेक घर को 2-2 हजार रुपए तब दिए थे। इस गली का नाम ‘पिशौरी मोहल्ला’ पड़ गया है वैसे ‘मिनी पाकिस्तान’ भी कहा जाता है। लेकिन इस ‘मिनी पाकिस्तान’ में रहने वाले हिन्दू परिवार भारत माता की जय कहता है और पाकिस्तान को कोसता है। 
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पिशौरी मुहल्ले में पेशावरी भाषा बोली जाती है। मंदिर व गुरुद्वारा एक साथ हैं जहां एक साथ आरती व अरदास होती है। 2008 में इसी गली में पाकिस्तान की बेटी अनीता बारात लेकर आई थी। यहां के रहने वाले पवन के साथ सात फेरे लिए थे। लेकिन अब तक अनीता को भारत की नागरिकता नहीं मिली है। मुहल्ले के लोग जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने पर खुशी जताते हैं कहते हैं कि अखंड भारत पाकिस्तान के कब्जे में कश्मीर के बिना अधूरा है। इस मुहल्ले के बुजुर्ग बताते हैं कि वह 1957 में जब से आए तब से पाकिस्तान नहीं लौटे। पाकिस्तान में जो हिन्दू परिवार भारत नहीं आए थे, आज उनकी हालत पाकिस्तान में बेहद खराब है। पाकिस्तानी हिन्दू भारत में बसना चाहते हैं, अगर सरकार उन्हें इजाजत दे तो।

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धर्म बच गया, परिवार भारत लौट आया यही सबसे बड़ी खुशी है : सत्यादेवी 
पेशावरी मुहल्ले में रहने वाली 85 साल की सत्यादेवी अपने पोते के साथ जिंदगी के आखिरी पड़ाव में खुशियां बांटती दिखीं। कहने लगी कि पाकिस्तान में फरमान जारी हो गया था ‘मुसलमान बनो या देश छोड़ो’। हमारा परिवार 1957 में खाली हाथ पेशावर से 25 मील दूर से भारत आ गया। धर्म बच गया बस यही सबसे बड़ी खुशी है। सत्यादेवी का छोटा बेटा बनवारी लाल आतंक की भेंट चढ़ गया जबकि दूसरा बेटा शेरनाथ दिव्यांग है। सत्यादेवी 370 के बारे में नहीं जानती लेकिन कहती है कि सारा कश्मीर हमारा है।

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आजादी क्या होती है यहां बसने के बाद ही पता चला : कृष्ण दास 
कृष्ण दास ने कहते हैं कि आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी लेकिन हमारा परिवार 10 साल बाद पाकिस्तान छोड़कर भारत आया। पेशावरी मुहल्ले के लोगों को 1957 में आजादी मिली थी। पाकिस्तान ने बंटवारे के दौरान जो जुल्म-ओ-सितम हिन्दू-सिख परिवारों पर किए हैं वह दृश्य सोचकर ही रूह कांप जाती है। कहते हैं कि आजादी क्या होती है यह हमें 1957 में यहां बसने के बाद ही पता चला। 

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‘पाक’ नहीं पाकिस्तान, आतंक से ‘समझौता’ न करे भारत
पाकिस्तान के पेशावर से आकर बसे हिन्दू परिवार में कीर्तनचंद, बलबीर कुमार, राजकुमार व शरणचंद कहते हैं कि ‘पाक’ नहीं है पाकिस्तान, आतंक से ‘समझौता’ न करे भारत। पाकिस्तान सदैव भारत के खिलाफ जहर उगलता रहा, आतंकी घटनाओं को अंजाम देता रहा। भारत बार-बार पाकिस्तान को चेतावनी देता रहा लेकिन वो बाज नहीं आया। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाना बेहतर कदम है। पाकिस्तान में कुछ रिश्तेदार रह रहे हैं लेकिन पाकिस्तान में हिन्दू परिवारों को वो आजादी नहीं जो भारत में हम सभी को मिल रही है।

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