Edited By Kalash,Updated: 11 Feb, 2025 10:39 AM
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देश के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक महाकुंभ 2025 का प्रभाव न केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से देखा जा रहा है
दोरांगला (नंदा): देश के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक महाकुंभ 2025 का प्रभाव न केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से देखा जा रहा है, बल्कि इसका असर कई व्यापारिक क्षेत्रों पर भी पड़ा है। प्रमुख क्षेत्रों में से एक पोल्ट्री उद्योग है, जहां अंडे और चिकन की मांग में तेजी से गिरावट आई है। मंदी का मुख्य कारण धार्मिक आस्था और शाकाहार है, साथ ही महाकुंभ जैसे आयोजनों में भाग लेने वाले लाखों श्रद्धालु भी हैं, जो आमतौर पर मांसाहारी भोजन से परहेज करते हैं।
पंजाब से अण्डों की मुख्य मांग उत्तर प्रदेश में है। कुंभ मेले के दौरान प्राग और आसपास के शहरों में अंडे और चिकन की खपत में भी कमी आई है। होटलों और रेस्तरां में शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा जा रहा है, जिससे पोल्ट्री उद्योग को झटका लगा है। दूसरी ओर, कुछ व्यापारी सतर्क भी हैं। भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, कई व्यापारी खुद ही मांस और अंडे का स्टॉक कम कर देते हैं। इससे बाजार में मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे कीमतें गिर जाती हैं।
इस धार्मिक आयोजन का असर सिर्फ प्रयागराज में ही नहीं बल्कि पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में भी देखने को मिल रहा है। इन क्षेत्रों में अण्डों की बिक्री में भी गिरावट आई है। आज के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर भारत में अंडे की कीमतों में 20-25% की गिरावट आई है। पोल्ट्री फार्म मालिकों को अपना स्टॉक कम कीमत पर बेचना पड़ता है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है। यह मंदी अस्थायी है और कुंभ के बाद और होली से पहले अंडा बाजार सामान्य हो सकता है। इस दौरान कारोबारियों को अपनी रणनीति में बदलाव लाना चाहिए और नुकसान को कम करने के लिए काम करना चाहिए।
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