Loksabha Elections: इन कारणों के कारण नहीं हुआ BJP-अकाली दल में गठबंधन

Edited By Vatika,Updated: 27 Mar, 2024 09:27 AM

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पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सुनील जाखड़ द्वारा सार्वजनिक रूप से पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने के ऐलान से राजनीति गर्मा गई है

पंजाब डेस्क: पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सुनील जाखड़ द्वारा सार्वजनिक रूप से पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने के ऐलान से राजनीति गर्मा गई है और ऐसा पहले ही कहा जा रहा था कि अकाली दल द्वारा पंथक मुद्दों पर भाजपा के आगे शर्तें लगाने को भाजपा लीडरशिप ने पसंद नहीं किया था।

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भाजपा के केंद्रीय नेताओं का मानना है कि अकाली दल की कुछ बातों को भाजपा ने पसंद नहीं किया था। इसमें जहां अकाली दल द्वारा भाजपा के ऊपर पंथक मुद्दों को लेकर दबाव बनाने की बात थी या फिर सीटों के तालमेल को लेकर अड़चन पैदा हो रही थी। अकाली दल पंजाब में अभी भी अपने आप को बड़े भाई की भूमिका में प्रस्तुत करना चाहता था और स्वयं अधिक सीटें लड़ने के पक्ष में था। वह भाजपा को 4 या 5 से अधिक सीटें देने के लिए तैयार नहीं था। इसके विपरीत भाजपा पहले तो पंजाब व चंडीगढ़ की 14 सीटों में 7-7 सीटों पर चुनाव लड़ने के पक्ष में थी। अकाली दल इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं था।

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इसके बाद भाजपा ने अपना रुख थोड़ा-सा नर्म करते हुए अकाली दल को संदेश भिजवाया था कि अकाली दल राज्य की 13 सीटों में से 7 पर चुनाव लड़ लें और भाजपा के लिए 6 सीटें छोड़ दी जाएं। इनमें भाजपा ने अपनी परम्परागत 3 सीटों अमृतसर, गुरदासपुर तथा होशियारपुर के अलावा श्री आनंदपुर साहिब, पाटयाला तथा लुधियाना मांगी थी। अकाली दल इसके लिए भी तैयार नहीं हुआ। जब अकाली दल किसी भी बात पर तैयार नहीं हो रहा था तो अंततः भाजपा ने स्वयं अपने बलबूते पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया। भाजपा नेताओं न का यह भी कहना है कि गठजोड़ न होने की स्थिति में उसे कम नुकसान है। सबसे ज्यादा नुकसान तो अकाली दल को ही सहना होगा क्योंकि अकाली दल हमेशा शहरों व छोटे शहरों में भाजपा के वोट बैंक के कारण जीत हासिल करता आया है। अगर उसे भाजपा की वोटें नहीं मिलती है तो राज्य में उसके लिए एक सीट पर भी अपनी जीत यकीनी बनानी कठिन हो जाएगी।

'आप' तथा कांग्रेस के संभावित गठजोड़ पर थी नजरें
पंजाब में अकाली दल तथा भाजपा के मध्य चुनावी गठजोड़ होगा या नहीं इस पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों की निगाहें टिकी हुई थी। दोनों पार्टियों का मानना था कि अगर गठजोड़ हो जाता है तो उन्हें अपनी रणनीति पर पुर्नविचार करना पड़ता। गठजोड़ न होने की स्थिति में आम आदमी पार्टी के कई उम्मीदवार खुश हैं और साथ र ही दूसरी तरफ काग्रेस के कुछ उम्मीदवारों ने भी राहत महसूस की है। न अब गठजोड़ न होने के कारण पंजाब - में अधिकतर सीटों पर चार कोणीय मुकाबले होंगे।

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