लीची ने बदल डाली पठानकोट वासी की किस्मत, हो रहा खूब फायदा

Edited By Kamini,Updated: 25 Aug, 2025 01:25 PM

litchi changed the fate of the farmer

जिला निवासी एक 60 वर्षीय किसान कि किस्मत लीची ने बदल डाली।

पठानकोट :  जिला निवासी एक 60 वर्षीय किसान कि किस्मत लीची ने बदल डाली। जिले के मुरादपुर के रहने वाले राकेश डडवाल ने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से पोस्ट ग्रैजुएट की है। उनकी शुरू से खेती-बागवानी में रुचि रही है, जिसके चलते उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करके इस तरह ध्यान दिया। किसान राकेश डडवाल ने लीची के बागों को वैज्ञानिक और आधुनिक खेती से लगाया, जिससे उन्हें काफी मुनाफा हो रहा है। किसान ने अपनी चौथी पीढ़ी में लीची उत्पादन को और आधुनिक रूप देकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान दिलाई है। ये लीची सिर्फ देश ही नहीं बल्कि लंदन और दुबई तक निर्यात हो रही है।'

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किसान को उनकी उपलब्धियों के लिए कई बार जिला स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। साल 2013 में तत्कालीन सीएम प्रकाश सिंह बादल ने उन्हें श्रेष्ठ लीची उत्पादक के रूप में सम्मानित किया था। किसान ने अपने बाग में 3 टन क्षमता का कोल्ड स्टोर तैयार किया है ताकि फल लंबे समय तक सुरक्षित रह सकें। वह लगातार बागवानी विभाग से मार्गदर्शन लेकर आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। करीब 80 एकड़ जमीन पर उन्होंने पूरी तरह लीची, आम, अमरूद और अन्य फलों की खेती कर रखी है। इनमें विशेष रूप से देहरादून और कलकतिया वैरायटी की लीची का उत्पादन करते हैं। गौरतलब है कि देश के पूर्व चीफ जस्टिस मेहरचंद महाजन को पठानकोट में लीची उत्पादन का जनक माना जाता है। उन्होंने 1935 में मुजफ्फरनगर (बिहार) से लीची और आम के पौधे लाकर यहां फल उत्पादन की नींव रखी थी।

बताया जा रहा है कि, इनके दादा ऊधम सिंह ने लीची के 3 पौधे दिए थे, जिसे खेतों में लगाया। जब इस पर अच्छे फल आए तो इनके पिता रघबीर सिंह 1960 में 10 एकड़े में लीची के पौधे लगाए। इसका फायदा होने पर अब इनके पास 70 एकड़ से अधिक लीची के बाग है। इसके अलावा इनकी चौथी पीढ़ी किसान का बेटा सिद्धार्थ डडवाल (उम्र 30) ने जिसने बीएससी एवं होटल मैनेजमैंट की है। इस काम में हाथ बांट रहा है। किसान राकेश का कहना है कि, इस समय गांव में 300 एकड़ और जिले में 4 हजार एकड़ में लीची के बाग है। वहीं राकेश पठानकोट लीची ग्रोवर्स एसोसिएशन के प्रधान हैं, जिसके 400 सदस्य हैं। मिली जानकारी के अनुसार पठानकोट में कई किसानों के पास तो 20, 30, और 40 एकड़ में लीची के बाग है। जिले के गांव भोआ, सुंदरचक्क, कोटली, जमालपुर, शरीफ चक्क में लीची के बाग हर साल बढ़ रहे हैं।

गौरतलब है कि, सुजानपुर में लीची एस्टेट, जहां हर साल लीची मेला लगता है। इस दौरान आटोमैटिक फॉगिंग मशीन और ट्रैक्टर किसानों को उपलब्ध कराए जाते हैं। वहीं इस साल पठानकोट जिले में 40 हजार मीट्रिक टन लीची का उत्पादन हुआ। कई बड़े शहरों के व्यापारी यहां से लीची ले जाकर दिल्ली, मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, कोलकाता तक पहुंचाते हैं। किसान राकेश ने 2024 में सरकारी एजेंसी पेडा की मदद से 12 क्विंटल लंदन और 12 क्विंटल दुबई भी एक्सपोर्ट की है।  

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