Edited By Vatika,Updated: 20 Dec, 2025 03:17 PM

उत्तर भारत में पड़ने वाली ठंड अब खतरनाक रूप धारण कर चुकी है।
चंडीगढ़: उत्तर भारत में पड़ने वाली ठंड अब खतरनाक रूप धारण कर चुकी है। एन.सी.आर.बी. के आंकड़ों के मुताबिक, देश में साल 2019 से 2023 के दौरान सिर्फ ठंड लगने के कारण 3,639 लोगों की मौत हुई। अब एक हिंदी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, आईसर मोहाली के अध्ययन में नया खुलासा हुआ है कि सडन स्ट्रैटोस्फेरिक वार्मिंग उत्तर भारत में बढ़ती ठंड और लंबे समय तक चलने वाली शीत लहर का मुख्य कारण बन चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हालात में बच्चों, बुजुर्गों, बेघर लोगों, गरीबों और बीमारों की जान को सबसे ज्यादा खतरा होता है। यदि शेल्टर होम, हीटेड स्पेस, स्वास्थ्य शिविर और अलर्ट सिस्टम मजबूत किए जाएं, तो ठंड से होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है।
क्या होती है सडन स्ट्रैटोस्फेरिक वार्मिंग?
यह धरती से 10 से 50 किलोमीटर ऊपर वायुमंडल की एक परत होती है, जहां अचानक तापमान बढ़ जाता है। इस गर्माहट के कारण ध्रुवीय क्षेत्रों की अत्यधिक ठंडी हवा का घेरा टूट जाता है। इसके बाद यह ठंडी हवा सीधे नीचे की ओर फैलती है और भारत जैसे देशों तक पहुंच जाती है। परिणामस्वरूप कई दिनों तक तेज और लगातार ठंड पड़ती है।
NHRC की चेतावनी
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने अक्टूबर में ही देश के 19 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए थे कि तुरंत शेल्टर होम, मेडिकल केयर, नाइट शेल्टर और सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत किया जाए, ताकि ठंड से होने वाली मौतों को रोका जा सके।
इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा
ठंड से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी गरीबों, बेघर लोगों, बुजुर्गों, बच्चों और नवजात शिशुओं की होती है। जहां ठंड के कारण बुजुर्गों में हार्ट अटैक का खतरा सबसे अधिक रहता है, वहीं छोटे बच्चों में कमजोर इम्युनिटी के कारण निमोनिया और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।