Edited By Vatika,Updated: 11 Apr, 2025 10:46 AM

मकसूदां सब्जी मंडी में सभी दस्तावेजों की प्रक्रिया खत्म होने के बाद पार्किंग और..
जालंधर(वरुण): मकसूदां सब्जी मंडी में सभी दस्तावेजों की प्रक्रिया खत्म होने के बाद पार्किंग और रिटेल फड़ियों का ठेका नरिंद्र सिंह होशियारपुर को मिल गया है। 2025-26 का यह ठेका 6 करोड़ 71 लाख 113 रुपए गया निकला जबकि 2024-25 को ठेके की फाइनल बोली 6.87 करोड़ थी। ठेकेदार ने बुधवार रात 12 बजे के बाद ही ठेका का कब्जा ले लिया था लेकिन पहले ही दिन हंगामा देखने को मिला।
दरअसल मार्कीट कमेटी ने जो सरकारी पार्किंग फीस तय की गई थी, ठेकेदार द्वारा वह पहले दिन से ही दो गुणा ज्यादा वसूली जाने लगी। आटो वाले के लिए 40 की पर्ची 100 रुपए कर दी गई। इसी तरह चाय के काउंटर लगाने वालों से प्रति दिन के हिसाब से 60 रुपए लिए जाते थे जो अब 130 रुपए कर दिए गए। अन्य छोटी मोटी दुकानें चलाने वालों से 40 की जगह 100 रुपए वसूले गए। वहीं बड़ी गाड़ियों की सरकारी फीस से दो गुणा वसूली जा रही है। इससे पहले भी पहले वाले पार्किंग ठेकेदार ने सरकारी फीस से ज्यादा दाम वसूले थे तो मंडी में आने जाने वाले वाहन के चालकों ने प्रदर्शन किया था और आढ़तियों ने भी उनका साथ दिया था लेकिन जिस हिसाब से अब नए ठेकेदार ने जबरी वसूली शुरू कर दी है, उससे साफ है कि कभी भी मंडी में विरोध हो सकता है और इसका सीधा असर आढ़तियों पर पड़ेगा।
रिटेल फड़ी वाले पहले मार्कीट कमेटी से कटवाते थे 100 रुपए की पर्ची
ठेके से पहले रिटेल की फड़ी लगाने वाले मार्कीट कमेटी से 100 रुपए की पर्ची कटवाते थे लेकिन अब उनसे ठेकेदार फीस वसूलेगा। हालांकि पहले दिन फड़ी वालों से कोई फीस नहीं ली गई है लेकिन सूत्रों की मानें तो ठेकेदार ने फड़ी वालों से 300 रुपए प्रति दिन फीस लेना तय किया है। अगर ऐसा हुआ तो फड़ी वाले भी विरोध में उतर सकते हैं। इससे पहले फड़ी एसोसिएशन ने मार्कीट कमेटी के अधिकारियों से मिल कर रिटेल फड़ी को ठेके के अधीन न करने के लिए मांग पत्र भी दिया था, लेकिन अधिकारियों ने फड़ी वालों की बात पर गौर नहीं किया।
चोरी न पकड़ी जाए इसलिए पर्ची पर वाहन या काऊंटर की कोई पहचान नहीं
ठेकेदार ने वीरवार को जब पार्किंग फीस और अलग-अलग छोटी मोटी दुकानें चलाने वालों से फीस लेने के लिए जो पर्ची काटी उस पर किसी तरह की कोई जानकारी नहीं थी। पर्ची पर सिर्फ फीस लिखी हुई थी जबकि न ही उस पर वाहन का नाम लिखा था और न ही नंबर। दुकानों की भी पहचान छिपा हुई थी। इससे पहले पर्ची 24 घंटों के लिए मान्य होती थी लेकिन अब मात्र 12 घंटों के लिए ही मान्य होगी।