Edited By Kalash,Updated: 07 Jun, 2025 06:36 PM

पिछले एक दशक में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
पंजाब डेस्क : भारत में अत्यधिक गरीबी में पिछले एक दशक में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। वर्ल्ड बैंक की नई रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011-12 में देश में 344.47 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी में जीवन जी रहे थे, वहीं 2022-23 तक यह संख्या घटकर 75.24 मिलियन रह गई है। यानि कि इस समय दौरान 269 मिलियन (26.9 करोड़) लोग गरीबी से बाहर निकले है। इसके बाद देश में गरीबी दर घटकर मात्र 5.3% रह गई है जो कि पहले 27.1% थी। यह उपलब्धि तब हासिल हुई है जब वर्ल्ड बैंक ने गरीबी की परिभाषा को पहले से अधिक कड़ा कर दिया है। अब $2.15 की बजाय $3 प्रतिदिन की खर्च सीमा को अत्यधिक गरीबी मानक माना गया है, जो 2021 की 'पर्चेसिंग पावर पैरिटी' (PPP) पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे राज्य जहां 2011-12 में देश की सबसे अधिक 65% अत्यधिक गरीब आबादी थी यह 2022-23 तक काफी कम हो गई।
पुराने मानकों के अनुसार और भी बेहतर स्थिति
अगर पुराने $2.15 प्रतिदिन की दर (2017 की कीमतों पर आधारित) से देखा जाए, तो 2022-23 में भारत की अत्यधिक गरीबी दर घटकर सिर्फ 2.3% रह गई है यह 2011-12 में 16.2% थी। अब गरीबी में जीने वाले लोगों की संख्या 205.93 मिलियन से घटकर 33.66 मिलियन हो गई है।
निम्न-मध्यम आय वर्ग (LMIC) में भी सुधार
वर्ल्ड बैंक ने गरीबी रेखा को $3.65 से बढ़ाकर $4.20 प्रतिदिन किया है। इसके बाद भी भारत में सुधार देखा गया है। वर्ष 2011-12 में जहां इस श्रेणी में 57.7% आबादी आती थी, वहीं 2022-23 तक यह घटकर 23.9% हो गई।
वैश्विक तस्वीर में बदलाव
नई गणना पद्धति के कारण विश्व स्तर पर अत्यधिक गरीबी दर भी 9% से बढ़कर 10.5% हो गई है। इसके साथ ही, वैश्विक स्तर पर अत्यधिक गरीबों की संख्या भी बढ़कर 838 मिलियन हो गई है, जो पहले 713 मिलियन थी।
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