हाईकोर्ट के निर्देशों की उपेक्षा, न सुरक्षा कमेटियां बनी, न जवाबदेही तय हुई

Edited By Sunita sarangal,Updated: 18 Feb, 2020 08:42 AM

ignoring orders of high court

संगरूर के लौंगोवाल में स्कूली बस से हुए दर्दनाक हादसे के बाद पंजाब सरकार की आंख खुली है। सात नवम्बर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों पर पंजाब सरकार ने.....

जालंधर(नरेंद्र मोहन): संगरूर के लौंगोवाल में स्कूली बस से हुए दर्दनाक हादसे के बाद पंजाब सरकार की आंख खुली है। सात नवम्बर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों पर पंजाब सरकार ने सेफ स्कूल वाहन स्कीम लागू की थी। परन्तु तय मापदंड अनिवार्य नहीं किए गए। 

अदालत के निर्देशों पर स्कूली बसों के सुरक्षित परिचालन के सुनिश्चित करने के लिए स्कूल प्रबंधकों, जिला प्रशासन, यातायात पुलिस के लिए जिम्मेदारियां तय की गई थीं परन्तु न जिलास्तरीय कमेटियां गठित हुईं, न स्कूल प्रबंधकों ने स्कूली बसों में गंभीरता से सुधार किए। मात्र औपचारिकता पूरी करने के बाद सबकुछ भुला दिया गया। आज राज्य के परिवहन विभाग ने ऐसे 253 स्कूली वाहनों को जब्त तो किया है परन्तु हाईकोर्ट के निर्देशों के ध्यान में रखकर अभी भी कार्रवाई नहीं की गई। इसे अदालत की अवहेलना के रूप में भी देखा जा सकता है। 

स्कूलीं बसों के लिए तय किए गए थे मापदंड 
अदालत के निर्देशों पर सुरक्षित वाहन स्कूल योजना में मोटर व्हीकल अधिनियम के तहत स्कूलीं बसों के लिए मापदंड तय किए गए थे ताकि स्कूली बच्चों की यात्रा सुरक्षित हो सके। इसके लिए बकायदा बसों की बाडी भी डिजाइन की गई थी। यह तय था कि स्कूली बसों में स्टॉपेज अलार्म लगाया जाना है, गति सीमा भी निर्धारित की गई थी, स्कूली बसों का रंग, बस ड्राइवर और कंडक्टर का वर्दी में होना, छात्राओं के लिए वाहन में महिला का होना, प्राथमिक उपचार का बक्सा, आपातकालीन द्वार के भी नियम थे। 

सरकार ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया था, जिसमें पुलिस, ट्रांसपोर्ट, लोकल बाडी विभागों के अधिकारियों को सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है। इस कमेटी को यह अधिकार दिए गए थे कि वह स्कूली बसों के लिए निर्धारित मापदंड को लागू कराए। इसके अतिरिक्त उप मंडल स्तर पर समितियों का भी गठन किया गया था, जिसमें जिला परिवहन अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, यातायात अधिकारी, स्थानीय निकाय के अधिकारी और परिवहन विभाग के तकनीकी अधिकारियों को शामिल किया गया था। 

पंजाब में ज्यादातर स्कूली बसें राज्य के बाहरी नंबरों की
इससे भी चिंता भरी बात ये भी है कि राज्य में 3 हजार से अधिक स्कूली बसें हैं, परन्तु अधिकतर पंजाब से बाहर के राज्यों के नंबरों की है और अनधिकृत रूप से स्कूलों के लिए चलाई जा रही है। बाहर के राज्यों से कंडम स्थिति वाली बसों को खरीद कर यहां पंजाब में उनको रंग रोगन करवाकर चलाया जा रहा है। फिलहाल इन मुद्दों पर कोई बड़ा अधिकारी बोलने के लिए तैयार नहीं था, परन्तु इतना सभी कह रहे थे कि सख्ती के लिए तमाम औपचारिकताओं को मुकम्मल किया जा रहा है। 

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