Edited By Urmila,Updated: 11 Dec, 2024 05:24 PM
पंजाब में बह रहे नशे के छठे दरिया को रोकने के लिए अगर अपने घरों से शुरुआत करें, खासकर अपनी माताएं और बहनें इस काम के लिए संघर्ष करें तो पंजाब से नशे को खत्म किया जा सकता है।
करतारपुर : पंजाब में बह रहे नशे के छठे दरिया को रोकने के लिए अगर अपने घरों से शुरुआत करें, खासकर अपनी माताएं और बहनें इस काम के लिए संघर्ष करें तो पंजाब से नशे को खत्म किया जा सकता है और राज्य के युवाओं को भी बचाया जा सकता है। ये विचार पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने आज करतारपुर जंग-ए-आज़ादी मेमोरियल में एक प्रेस वार्ता के दौरान व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि पंजाब जो वीरों, गुरुओं और पीरों की धरती है, जहां से स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए ही अपनी जान दी, लेकिन मौजूदा हालात में युवा या तो नशे में लिप्त हो रहे हैं या फिर विदेश जा रहे हैं। ऐसे में पंजाब लगातार खोखला होता जा रहा है। आज इस हरे-भरे पंजाब को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। इसके लिए अपने बच्चों विशेषकर 10 से 18 वर्ष तक के बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
वे अपनी इस उम्र में गलत संगत से बचकर अपना भविष्य संवार सकें। इससे पहले उन्होंने रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा शुरू की गई नशा विरोधी रैली में भाग लेते गांव भट्ठे स्थित नोबल स्कूल से पैदल यात्रा शुरू की और करीब पांच किलोमीटर का सफर तय कर जंग-ए-आजादी स्मारक पहुंचे। इस दौरान रास्ते में माता गुजरी खालसा कॉलेज के विद्यार्थियों और स्टाफ ने उनका स्वागत किया।
अपने संबोधन में उन्होंने छोटे बच्चों को देश का भविष्य बताते हुए युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और कहा कि वे नशा छोड़कर अपने खेल और संस्कृति को अपनाकर अपने समाज को मजबूत करें। इस दौरान जंग-ए-आजादी स्मारक पर उन शहीदों की शहादत स्मारक पर श्रद्धा के फूल भी चढ़ाए और दोआबे के गौरवशाली मैराथन धावक सरदार फौजा सिंह को विशेष सम्मान भी दिया। समागम दौरान सरदार फौजा सिंह ने अपने संबोधन में बहुत छोटे शब्दों में समेटते हुए कहा कि नशा बंद करवाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है, ये नशा ऊपर से शुरू होता है और ऊपर से ही रोका जा सकता है, लेकिन इसके लिए प्रयास करना जरूरी है।
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