Edited By Vatika,Updated: 05 Mar, 2025 10:12 AM

अस्पताल प्रशासन के एक सीनियर अधिकारी की मानें तो एम. बी. बी. एस. और एम. डी. डॉक्टर सरकारी
चंडीगढ़: हैल्थ विभाग काफी वक्त से मैडिकल ऑफिसर्स और स्पैशलिस्ट की कमी झेल रहा है। विभाग ने हाल ही में मैडिकल ऑफिसर्स के लिए 18 पदों और स्पैशलिस्ट के लिए 16 पदों के लिए विज्ञापन दिया था, जिनमें से 10 पद गायनी विभाग के हैं। रेडियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, एपिडेमियोलॉजी और हर विभाग में एनेस्थीसिया को नियुक्त किया जाएगा। सभी पद नेशनल हेल्थ मिशन के तहत कॉन्ट्रैक्ट पर हैं। खास बात यह है कि विभाग ने साल 2024 में मैडिकल ऑफिसर्स और स्पेशलिस्ट की नियुक्ति के लिए विज्ञापन दिया था।
इसमें जी.एम. एस. एच., सिविल अस्पताल मनीमाजरा, सैक्टर-45 व 22 अस्पतालों में विज्ञापन देने के बावजूद किसी ने रुझान नहीं दिखाया। अस्पताल प्रशासन की मानें तो कम सैलेरी बड़ी वजह है। इसलिए डॉक्टर्स आने को तैयार नहीं होते हैं। इस साल 60 प्रतिशत तक वेतन वृद्धि के साथ विज्ञापन दिया गया है। हाल ही में इंटरव्यू किए जा चुके हैं और कुछ दिनों में रिजल्ट आ जाएंगे। अस्पताल प्रशासन के एक सीनियर अधिकारी की मानें तो एम. बी. बी. एस. और एम. डी. डॉक्टर सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं करते हैं, क्योंकि निजी अस्पतालों से वेतन में काफी अंतर है। राज्यों में मैडिकल ऑफिसर का मासिक वेतन 45,000 रुपए था। इस साल विज्ञापन में बढ़ाकर 72,000 रुपए कर दिया गया है। गायनी विभाग में स्पेशलिस्ट का वेतन 75,000 से एक लाख रुपए तक है। रेडियोलॉजिस्ट और एनेस्थेटिस्ट के लिए नया वेतनमान 1,50,000 रुपए है। माइ क्रोबायोलॉजिस्ट और एपिडेमियोलॉजिस्ट के लिए 85,000 रुपए है। मूल वेतन में वृद्धि की गई है, क्योंकि हैल्थ सुविधाओं में इजाफा हुआ है। पहले के मुकाबले मरीजों की संख्या में काफी बढ़ गई है।
33.98 प्रतिशत पद पड़े हैं खाली
जी.एम.एस.एच. की बात करें तो रोजाना 3500 मरीज और अटेंडेंट आते हैं। 500 बैड वाले अस्पताल में चंडीगढ़ समेत आसपास के एरिया से भी मरीज आते हैं। सबसे ज्यादा 400 मामले गायनी विभाग में ही आते हैं। हैल्थ विभाग पंजाब, हरियाणा और दूसरे राज्यों से डॉक्टरों को डैपुटेशन पर नियुक्त करता है, लेकिन जी. एम.एस.एच. की हालिया ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता है कि 721 सैक्शन पदों में से सिर्फ 476 ही नियमित कर्मचारियों द्वारा भरे गए हैं। 33.98 प्रतिशत पद खाली हैं। कर्मचारियों की कमी के कारण मौजूदा स्टाफ पर बोझ बढ़ गया है और विभागों के रोजाना के कामकाज पर असर पड़ रहा है।