Edited By Urmila,Updated: 24 May, 2025 03:18 PM

संगीत की दुनिया में तंतु वाद्ययंत्रों का अपना अलग स्थान है, विशेषकर गुरबानी कीर्तन का उनसे अटूट संबंध है।
अमृतसर : संगीत की दुनिया में तंतु वाद्ययंत्रों का अपना अलग स्थान है, विशेषकर गुरबानी कीर्तन का उनसे अटूट संबंध है। अमृतसर स्थित गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में तंतु वाद्यों और तबला में विशेष डिग्री प्रदान की जाती थी, लेकिन अब यूनवर्सिटी में यह डिग्री प्रदान नहीं की जा रही है, जिससे विशेष रूप से सिख छात्रों में नाराजगी है। इसको लेकर सिख विद्यार्थियों ने श्री अकाल तख्त साहिब के सचिवालय में पहुंचकर जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब के नाम ज्ञापन सौंपकर उनसे इस संबंध में सहयोग की मांग की।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए विद्यार्थियों ने कहा कि तंतु वाद्य यंत्र गुरमत का अभिन्न अंग है, लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन इसे प्राथमिकता न देकर अन्य विषयों को प्राथमिकता दे रहा है और यहां तबले की डिग्री भी बंद की जा रही है। उन्हें तबले की डिग्री लेने के लिए शिमला या चंडीगढ़ जैसे शहरों में जाने के लिए कहा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अमृतसर शहर एक गुरु नगरी है और चौथे गुरु द्वारा बसाया गया शहर है और गुरु नगरी में गुरु को गुरमत शिक्षा से वंचित रखना बहुत गलत है और इसी को लेकर आज वह श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से मिलने पहुंचे हैं और मांग करते हैं कि इसमें उनका सहयोग किया जाए और सिख संगठनों से भी मांग करते हैं कि वह इस मामले में साथ दें ताकि गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से तंतु वाद्ययंत्रों में डिग्री हासिल की जा सके।
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