सुरक्षा एजेंसियां, गृह मंत्रालय, पुलिस और जेलों के लिए मुसीबत बना ‘गैंगस्टर राजा’

Edited By Tania pathak,Updated: 20 Mar, 2021 01:15 PM

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लंबे समय से विवाद में घिरी मैक्सिमम सिक्योरिटी जिला जेल में बंद खतरनाक गैंगस्टर राजीव कुमार उर्फ राजा गृह मंत्रालय, पुलिस, जेल विभाग और खुफिया एजेंसियों के लिए मुसीबत बना हुआ है।

नाभा (जैन): लंबे समय से विवाद में घिरी मैक्सिमम सिक्योरिटी जिला जेल में बंद खतरनाक गैंगस्टर राजीव कुमार उर्फ राजा (पुत्र रामपाल निवासी लुधियाना) इस समय जेल के अंदर और बाहर गृह मंत्रालय, पुलिस, जेल विभाग और खुफिया एजेंसियों के लिए मुसीबत बना हुआ है। कोतवाली पुलिस नाभा ने 11 दिन पहले राजा खिलाफ जेल से कारोबारियों को जान से मारने की धमकी देने और ठगी मारने का गैंग चलाने के आरोप में अलग-अलग धाराओं अंतर्गत मामला दर्ज किया था। आमतौर पर बिहार और यू.पी. में तो ऐसे मामले सामने आते रहते थे परन्तु पंजाब में यह लोगों को धमका कर ठगी मारने का पहला मामला है।

सूत्रों के अनुसार इस गैंगस्टर के राजनीतिज्ञों के साथ भी संबंध हो सकते हैं क्योंकि राज्य की अलग-अलग जेलों में यह ख़तरनाक गैंगस्टर धड़ल्ले से मोबाइल इस्तेमाल करता रहा है। राजनितिक हलकों में चर्चा है कि यदि राजा मामले की जांच एन.आई.ए. (राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी) करे तो सनसनीखेज खुलासे संभव हैं। मिली जानकारी अनुसार गैंगस्टर राजा खिलाफ पहला पुलिस केस 21 अप्रैल 2003 को धारा 379, 411 आई.पी.सी. अधीन लुधियाना में दर्ज हुआ था। कुछ दिनों बाद हुए एक बम धमाके की साजिश रचने के आरोप में राजीव को गिरफ़्तार किया गया था। यह मामला 12 मई 2006 को दर्ज हुआ है। इस केस के अंडर ट्रायल दौरान राजा 4 साल एक महीना 5 दिन और सज़ा सुनाए जाने के बाद 9 साल 5 महीने 20 दिन सलाखों के पीछे रहा। राजीव राजा खिलाफ अलग-अलग थानों में 28 से अधिक मामले दर्ज हैं। कुछ मामलों में सजा भी सुनाई गई।

गैंगस्टर राजीव को लुधियाना, नाभा, संगरूर, पटियाला समेत कई जेलों में रखा गया। जेलों में मारपीट करने के मामले दर्ज हुए। अलग-अलग जेलों में बंदी दौरान मोबाइल निर्यात हुए परन्तु अभी तक पुलिस जांच में यह सामने नहीं आया कि राजीव को जेलों में मोबाइल कौन सप्लाई करता था, जिसके साथ उस का गैंग चलता रहा और राजीव कारोबारियों को धमकाता रहा। पिछले 11 दिनों से राजीव पंजाब पुलिस की इंटेलिजेंस एजेंसी की हिरासत में है, जिस बारे में जेल का कोई भी अधिकारी मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है।

संपर्क करने पर डी.एस.पी. राजेश छिब्बड़ ने बताया कि राजीव को प्रोडक्शन वारंट पर हिरासत में लेकर ठगी मारने के मामले में जांच पड़ताल करेंगे। गौरतलब है कि राजीव एक बार पुलिस हिरासत से भी फ़रार हो गया था। नाभा, पटियाला और संगरूर की जेलों में बंद रहने के दौरान मोबाइल निर्यात हुए परन्तु पुलिस ने जांच दौरान कभी भी स्पष्ट नहीं किया कि यह कब और किस ने सप्लाई किए? पंजाब के जेल मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा यदि इस गैंगस्टर के बारे में निष्पक्ष पड़ताल करवाएं तो अनेक बड़े अधिकारी और कुछ राजनीतिज्ञों के चेहरे सामने आ सकते हैं। 

यह बात करते पूर्व एडीशनल एडवोकेट जनरल पंजाब ग्यान सिंह मूंगो एडवोकेट ने कहा कि एन.आई.ए. इस सभी मामले की जांच करे जिससे वास्तविकता लोगों के सामने आ सके क्योंकि सिक्योरिटी जेल से गैंग चलाना देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।

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