Edited By Urmila,Updated: 01 Oct, 2024 12:07 PM
स्मार्ट सिटी कहे जाने वाले जालंधर शहर के व्यापारी भी काफी स्मार्ट होते हुए नजर आ रहे है खास कर रबड़, कपड़ा, शूज के व्यापारी जोकि जालंधर शहर में अपनी फैक्टरियों में खुद का माल तो तैयार करते है।
जालंधर : स्मार्ट सिटी कहे जाने वाले जालंधर शहर के व्यापारी भी काफी स्मार्ट होते हुए नजर आ रहे है खास कर रबड़, कपड़ा, शूज के व्यापारी जोकि जालंधर शहर में अपनी फैक्टरियों में खुद का माल तो तैयार करते है लेकिन ब्रांडिग अपनी खुद की नहीं बल्कि बड़े ब्रांडों की लगाने की होड़ में लगे हुए है जिससे इन कॉपी राइट करने वाले व्यापारियों को लाखों-करोड़ों रुपए का फायदा हो रहा है।
हाल ही में नकली फूड रिफाइंड बनाने की फैक्टरी का भंडाफोड़ हुआ है लेकिन हैरानी की बात ये है कि नकली प्रोडैक्ट बनाने वाली फैक्टरी पर कार्रवाई करने के लिए फॉरच्यून कंपनी के अफसरों को खुद इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा क्योकि कॉपीराइट विभाग की ढीले व्यवहार का फायदा लेते हुए और विभाग से नजरें बचा कर महानगर में कई फैक्टरियां धड़ल्ले से डुप्लीकेट प्रोडेक्ट बनाये जा रहे है। चाहे वो खाद्य प्रोडक्ट हो, रबड़ टायर हो, हैंड टूल्स या रबड़ बैल्टस की फैक्टरियां क्यों न हो विभाग से नजरें बचाकर पिछले काफी समय से कपूरथला रोड, वरियाना काम्पलैक्स, सर्जिकल काम्पलैक्स और फोकल प्वाइंट में कई कारखाने कई महंगे ब्रांडों की मोहरे बनवा कर नकली समानों में लगा रहे हैं और मंडियों में डुप्लीकेट माल बेच रहे है। महानगर में डुप्लीकेट मार्क का धंधा इस कदर बढ़ चुका है कि विभाग अगर जानकारी विस्तार से लेना चाहे तो कोई बच्चा भी उन्हें ऊंगलियों पर गिना सकता है लेकिन कॉपीराइट विभाग सब कुछ जान कर भी अनजान बन कर बैठा हुआ है। जबकि देश में किसी मार्क का कॉपी बनाना या करना में गंभीर दंड व फैक्टरियों को सील तक करने का प्रावधान है लेकिन यह सब नियम जालंधर शहर में कागजों तक ही सीमित होते हुए नजर आ रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी से पता चला है कि इन कॉपीराइट फैक्टरियों में एम.आर.एफ., सीयट टायर , लखानी चप्पल, नाइक, एडिडैस शूज के मार्कर लगा कर बाजारों में धड़ल्ले से बेचे जा रहे है और रोजमर्रा का खरीदार सिर्फ ब्रांड के नाम पर नकली सामान खरीद रहा है। महानगर में कॉपीराइट की जड़े इस कदर बढ़ चुकी है कि इन्हे रोकना शायद विभाग के हाथ से जाता हुआ दिख रहा है इसका एक कारण यह भी है कि कॉपीराइट विभाग पहले ही अपने काम को सही ढंग से करता तो शायद आज महानगर कॉपीराइट बनाने वालों में डर का माहौल होता। हैरानी की बात ये है कि इन बड़े ब्रांडों की फैक्टरियां राज्य से बाहर है और इसी का फायदा उठा नकली मार्के लगा कर फैक्टरी मालिक धड़ल्ले से बड़े ब्रांडों का नाम इस्तेमाल कर रहे है।
‘कस्टम और एक्सपोर्ट शूज व कपड़ो’ के नाम पर कर रहे फ्रॉड
सिटी में ब्रांडेड स्पोर्ट्स शूज और कपड़ों के कई आउटलेट हैं। मगर उसके साथ मॉडल टाउन, रैणक बाजार, ज्योति चौक, भार्गव कैंप, अटारी बाजार, रेडक्रॉस मार्केट में कुछ दुकानदार कस्टमर को ब्रांडेड शूज व कपड़ो के नाम पर फर्स्ट कॉपी, कस्टम का माल और एक्सपोर्ट के कपड़े व शूज कहकर धड़ल्ले से नाइक, प्यूमा, एडीडास, रीबॉक, स्कैचर, अंडरआर्मर, फिला, जॉर्डन, एसिक्स के शूज व कपड़े बेच रहे हैं। रेडक्रॉस मार्केट में तो कुछ दुकानदार ओरिजनल शूज की फर्स्ट कॉपी सरेआम बेच रहे हैं। किसी भी ब्रांड का कोई भी मॉडल यहां आसानी से मिल जाता है।
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