संत सीचेवाल के प्रयासों से 24 साल बाद विदेश से घर लौटा पंजाबी, सुनाई आपबीती

Edited By Urmila,Updated: 21 Sep, 2024 02:51 PM

due to the efforts of sant seechewal a punjabi returned home

24 साल बाद अपने परिवार के पास लौटे गुरतेज सिंह ने राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल से मुलाकात करने के बाद भावुक होते हुए कहा के यह उसका दूसरा जन्म है।

सुल्तानपुर लोधी : 24 साल बाद अपने परिवार के पास लौटे गुरतेज सिंह ने राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल से मुलाकात करने के बाद भावुक होते हुए कहा के यह उसका दूसरा जन्म है। गुरतेज सिंह ने बताया कि ट्रैवल एजेंट ने उसे लेबनान भेजने के लिए एक लाख रुपए लिए थे। उस जमाने में उसने यह एक लाख कैसे इकट्ठा किया, यह वह या उसका भगवान ही जनता। लुधियाना जिले के मत्तेवाड़ा गांव के रहने वाले गुरतेज सिंह 33 साल के थे जब वह 2001 में अपने दो छोटे बच्चों को छोड़कर विदेश चले गए।

लेबनान में रहने के दौरान 2006 में उनका पासपोर्ट खो गया, जिससे उनके लिए घर लौटना बहुत मुश्किल हो गया। उन्होंने कहा कि कई कोशिशों के बाद भी उनके लिए पासपोर्ट बनवाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि पासपोर्ट बहुत पहले बना हुआ था। उन्होंने कहा कि जब इतनी कोशिशों के बाद भी उन्हें पासपोर्ट नहीं मिला तो उन्होंने वापसी की उम्मीद ही छोड़ दी थी। राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल से परिवार के सदस्यों ने संपर्क किया। जिन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए विदेश मंत्रालय से संपर्क किया और गुरतेज सिंह की वापसी को संभव बनाया। विदेशी धरती पर आजीविका कमाने और अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए लेबनान गए गुरतेज सिंह ने कहा कि संत सीचेवाल जी के प्रयासों से वह 24 साल बाद अपने गांव की मिट्टी को चूमने में सक्षम हुआ हैं।

सीरिया से डोंकी लगाकर पहुंचा था लेबनान

संत सीचेवाल का शुक्रिया अदा करने के लिए अपने परिवार सहित सुल्तानपुर लोधी आए गुरतेज सिंह ने आप बीती बताते हुए कहा कि विदेश जाने से पहले वह कोटियां-स्वेटर बनाने वाली फैक्ट्री में काम करते थे। जब घर में गुजारा करना मुश्किल हो गया तो उन्होंने विदेश जाने का मन बना लिया था। गुरतेज सिंह ने कहा कि लेबनान पहुंचना भी उनके लिए बड़ी चुनौती थी। एजेंट उसे पहले जॉर्डन ले गया और फिर पड़ोसी देश सीरिया में दाखिल करवाया।

वहां से डोंकी लगाकर लेबनान पहुंचे। उन्होंने कहा कि युद्ध जैसे माहौल में वहां रहकर काम करना उनके लिए बहुत मुश्किल था। सारा दिन खेतों में काम करना पड़ता था। छिपकर रहने के कारण हमेशा डर बना रहता था कि कहीं पकड़ा न जाए। किसी तरह जिंदगी अपने ढर्रे पर चलती रही और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्होंने खेतों में मेहनत-मजदूरी की।

इंतजार करते-करते पहले मां और फिर भाई  दुनिया को कह गए अलविदा

गुरतेज ने कहा कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उनका बेटे, जिसे उन्होंने 24 साल पहले जवान छोड़े थे, वे कब जवान हो गया। उन्होंने यह भी बताया कि इस दौरान उसके जवान हुए लड़कों में एक लड़के की शादी हो गई थी और उनके घर एक बेटे का भी जन्म हुआ था। गुरतेज सिंह की आंखों में उस वक्त खुशी के आंसू आ गए जब उन्होंने बताया कि जब वह 24 साल बाद घर आए तो उनका पोता उनके पैरों से लिपट गया। गुरतेज ने कहा कि उनको सबसे बड़ा दुःख इस बात का है कि लेबनान में रहते हुए उसकी प्रतीक्षा में पहले उसने उसकी मां और फिर उसके भाई को खो दिया जिसको वो अंतिम बार देख भी नहीं पाया। उन्होंने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों ने इसके पहले कई नेताओं और अधिकारियों से संपर्क किया था लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा था। गुरतेज ने कहा कि यह संत सीचेवाल जी का ही प्रयास था कि वह 24 साल बाद अपने परिवार से मिल पाए।

इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि यह पंजाबी युवक लंबे समय के बाद परिवार में लौटा है। उन्होंने कहा कि परिवार से दूर अजनबी देश में अजनबियों के साथ रहना एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहा कि पासपोर्ट काफी पुराना होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके लिए उन्होंने विदेश मंत्रालय और खासकर भारतीय दूतावास के अधिकारियों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने इस मामले को सहृदयता से लिया और इस पंजाबी युवक की भारत वापसी में हरसंभव मदद की।

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