तंदरूस्त मिशन की मेहनत लाई रंग, पंजाब में यूरिया की खपत घटी

Edited By Vaneet,Updated: 04 Oct, 2019 07:10 PM

consumption of urea decreased in punjab

तंदरुस्त पंजाब मिशन के तहत पंजाब रासायनिक खादों का सही ढंग से इस्तेमाल करके यूरिया की खपत घटाकर मिट्टी...

चंडीगढ़: तंदरुस्त पंजाब मिशन के तहत पंजाब रासायनिक खादों का सही ढंग से इस्तेमाल करके यूरिया की खपत घटाकर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने में सफल रहा है। यह जानकारी मिशन के निदेशक काहन सिंह पन्नू ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि देखा गया है कि राज्य में किसान पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना की सिफारिशों के अनुसार खाद का इस्तेमाल प्रयोग कर रहे हैं। 

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इसलिए यह मामला पिछले तीन फसलों के दौरान तंदुरुस्त पंजाब मिशन के तहत पहल के आधार पर लिया गया था। नतीजे के तौर पर 2017 में खरीफ के दौरान यूरिया की खपत 15.43 लाख टन थी वो 2018 में खरीफ के दौरान 86000 कम होकर 14.57 लाख टन रह गई और 2019 में खरीफ के दौरान यूरिया की खपत 82000 टन कम होकर 13.75 लाख टन ही रह गई। उन्होंने कहा कि तंदरुस्त पंजाब मिशन की शुरुआत के दो सालों में यूरिया की खपत 168000 टन कम हो गई और इससे किसानों ने तीन सौ करोड़ रुपए की बचाए हैं। पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी की सिफारिशों के मुताबिक, धान की फसल पर डाईमोनिअम फॉस्फेट (डी.ए.पी.) बरतने की जरूरत नहीं है क्योंकि किसान गेहूंकी फसल में पहले ही डी.ए.पी. मिला देते हैं जिससे खेत में एक साल तक फॉसफोरस बरकरार रहता है। फिर भी किसान अनजाने में अनावश्यक ही धान की फसल में डी.ए.पी. का प्रयोग कर रहे थे। 

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पन्नू ने बताया कि ऐसी हालत में सरकार ने खरीफ 2018 के दौरान गांवों में किसानों को जागरूक बनाने के लिए शिविर लगाकर एक विशेष जागरूकता मुहिम चलाई गई थी। नतीजतन डी.ए.पी. की खपत जो 2017 में 2.21 लाख टन दर्ज की गई थी वो 2018 में 46000 टन कम होकर 1.75 लाख टन रह गई। इसी तरह 2019 में डी.ए.पी. की खपत 1.42 लाख टन रह गई, जिससे खरीफ, 2019 में 33000 टन की कुल कमी आई। दो सीजनों में डीएपी के प्रयोग में कुल कटौती 79000 टन रही। उन्होंने कहा कि इस तरह किसानों ने खरीफ 2018 में 115 करोड़ रुपए और साल 2019 में 82.50 करोड़ रुपए की बचत की और इस तरह डी.ए.पी. का प्रयोग न करके अब तक 197.50 करोड़ रुपए बचा लिए गए। मिशन के प्रयासों से किसानों के तकरीबन 300 करोड़ रुपए बचाने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बरकरार रखने में सफल रहा है। पन्नू ने कहा कि खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल में की गई कटौती के अलावा खाद मिलाने वाले कामगारों की बचत भी किसानों को हुई है।


 

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