दिल्ली दरबार में कांग्रेसियों का जमावड़ा पंजाब का भविष्य करेगा तय

Edited By Tania pathak,Updated: 27 Jun, 2021 01:36 PM

congregation of congressmen in delhi will decide future of punjab

मौजूदा समय में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां अपनी होंद को बचाने के लिए जदोजहद  कर रही हैं। क्षेत्रीय पार्टियां जहां मज़बूती के साथ आगे बढ़ रही हैं...

कत्थूनंगल (कंबो): देश की राजनीति में अब मुद्दों की जगह मौकों ने ले ली है और राजनितिक पार्टियां सत्ता प्राप्ति के लिए कोई भी हथकंडा अपनाने से गुरेज़ नहीं करती। जिसका लाभ लेने के लिए अलग -अलग राजनितिक पार्टियों के नेता हवा मुताबिक शामिल हो कर मौकाप्रस्ती की खेल खेलते हैं। इन दलबदलूओं की ताज़ा मिसाल बंगाल से मिलती है। 

मौजूदा समय में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां अपनी होंद को बचाने के लिए जदोजहद  कर रही हैं। क्षेत्रीय पार्टियां जहां मज़बूती के साथ आगे बढ़ रही हैं, वहीं राष्ट्रीय पार्टियों को लगातार नुक्सान हो रहा है। यदि बात भाजपा और कांग्रेस की करें तो कांग्रेस की राष्ट्रीय और प्रांतीय नेताओं में बढ़ रही गहमी इसके पतन का कारण बन रही है, वही कांग्रेस हाईकमान अब बचे हुए सूबों को अपने हाथों गंवाना नहीं चाहती, जिन सूबों में 2022 में विधानसभा मतदान का बिगुल लगा हुआ है, कांग्रेस पार्टी वहां अपनी ज़मीन को बचाने की कोशिश कर रही है, जिसमें पंजाब भी एक है।

आजकल दिल्ली दरबार में पंजाब के सीनियर कांग्रेसियों नेताओं का जमवाड़ा है, जिनमें मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह समेत सांसद, मंत्री और विधायक शामिल हैं। वह अपनी हाज़री तीन सदस्यता समिति के आगे लगा चुके हैं, जहां कुछ सीनियर कांग्रेसियों ने संतुष्टि प्रकट की, वहीं ज़्यादातर मंत्रियों और विधायकों ने कैप्टन सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर रोष जाहिर किया।

पंजाब में मुख्य तौर पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह, राज्यसभा मैंबर प्रताप सिंह बाजवा, पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू अपनी प्रभावशाली शख्सियत के कारण कांग्रेस वर्करों पर गहरी छाप छोड़ते हैं परन्तु एकजुटता न होने के चलते उनके हौसले भी टूटने लगते हैं। जोड़तोड़ की राजनीति में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह पूरी महारत रखते हैं, जिस कारण कांग्रेस हाईकमान भी उनकी कमांड को चैलेंज नहीं कर रही परन्तु बाकी सीनियर कांग्रेसियों को संतुष्ट करना भी उनके लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है जिस कारण वह भी फूंक-फूंक कर पैर रख रहे हैं।

कांग्रेस हाईकमान की तरफ से जिस तरह पंजाब के लोगों के साथ किए वायदों को पूरा करने की बात की है, उससे लगता है अगले कुछ दिनों में प्रांतीय कांग्रेस को अनुशासन में लाने के लिए बड़ा फ़ैसला लिया जा सकता है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह जिस तरह दिल्ली से सोनिया गांधी को बिना मिले पंजाब लौटे, उससे उनकी नाराज़गी ख़ास तौर पर झलकती है। दूसरी तरफ प्रताप सिंह बाजवा की हाईकमान के साथ हुई मुलाकात की चचाओं के बाज़ार गर्म हो गए हैं। मौजूदा समय में नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा कांग्रेस के खिलाफ बयानबाजी राजनीति में बड़ा भूचाल ला सकती है, जिसको सभी राजनितिक पार्टियां देख रही हैं। 

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