कंडम हो चुकी स्कूली वैनों से बच्चों की जिंदगी से हो रहा खिलवाड़

Edited By Sunita sarangal,Updated: 24 Feb, 2020 10:22 AM

condensed school vans being played with children s life

सेफ स्कूल वाहन पॉलिसी 2014 की उड़ाई जा रही सरेआम धज्जियां

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): चाहे सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह सख्त निर्देश दिए हुए हैं कि सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों/कालेजों में विद्यार्थियों को ले जाने वाली वैनें, बसें, जीपें आदि नियम व शर्तों के अनुसार ही चलनी चाहिएं। साथ ही सुरक्षा पक्ष से स्कूली वाहन पूरी तरह तैयार होने चाहिए परन्तु इसके बावजूद कुछ स्कूलों वाले ऐसे हैं जो माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना नहीं करते और ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, जिस कारण कई दर्दनाक हादसे घट रहे हैं। कुछ स्कूल प्रबंधक ऐसे हैं जो बच्चों को ले जाने वाली वैनें व अन्य वाहन ऐसे रखते हैं, जो अपनी मियाद पूरा चुके हैं परन्तु फिर भी यह कंडम वाहन सड़कों पर चल रहे हैं। न तो शिक्षा विभाग इस तरफ ध्यान दे रहा है और न ही ट्रांसपोर्ट विभाग व पंजाब सरकार।

राजनीतिज्ञ तो हादसे के बाद पीड़ित परिवार के साथ दुख प्रकट करने के लिए पहुंच जाते हैं लेकिन घट रहे दर्दनाक हादसों की तरफ उनका कोई ध्यान नहीं। प्रशासन के अधिकारी भी कई स्थानों से अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं। स्कूलों में दाखिले संबंधी जब प्रचार किया जाता है तब यह कहा जाता है कि बच्चों को घर से ले जाने और छोड़ने के लिए बढ़िया वैनों/बसों का प्रबंध है। बच्चों के मां-बाप को चाहिए कि जिन स्कूलों में बच्चों के लिए यातायात व्यवस्था घटिया है, उनके प्रबंधकों विरुद्ध जोरदार आवाज उठानी चाहिए। बच्चों के मरने के बाद सरकार अगर सहायता देती है तो उसका कोई लाभ नहीं क्योंकि जिन घरों के चिराग बुझ गए, उन घरों में शायद ही खुशियां दोबारा आ सकें। पीड़ित मां-बाप के दर्द को समझना बड़ा मुश्किल है। इस गंभीर मामले को लेकर ‘पंजाब केसरी’ द्वारा इस सप्ताह की यह विशेष रिपोर्ट तैयार की गई है।

सेफ स्कूल वाहन पॉलिसी के तहत कंडम स्कूली वैनें/बसें नहीं चल सकतीं
माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा साल 2014 में सेफ स्कूल वाहन पॉलिसी बनाई गई थी, जिसके अनुसार कोई भी कंडम वैन/बस स्कूलों के बच्चों को लाने के लिए नहीं चल सकती है। वहीं प्रत्येक वाहन चालक ट्रैफिक नियमों की पालना करने वाला होना चाहिए तथा उसके पास हैवी वाहन लाइसैंस, वर्दी व एक सहायक मौजूद होना चाहिए। वैन में रिकॉर्डिंग कैमरा, जी.पी.एस. सिस्टम लगा होना चाहिए लेकिन उपरोक्त शर्तें सभी स्कूल पूरा नहीं करते, जिस कारण वाहन पॉलिसी की कई वैन वाले धज्जियां उड़ा रहे हैं।

स्कूल वैनों की चैकिंग के लिए 4 विभागों की जिम्मेदारी
चाहे स्कूल वैनों की चैकिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 4 विभागों की जिम्मेदारी लगाई है जिनमें न्याय प्रणाली, पुलिस, ट्रांसपोर्ट विभाग व सामाजिक सुरक्षा विभाग शामिल हैं। इसके अलावा डिप्टी कमिश्नर व एस.डी.एम. भी जिम्मेदार हैं परन्तु सब खानापूर्ति करते हैं। वहीं, वाहन पॉलिसी के अनुसार वाहनों की मियाद 15 साल रखी गई है। उसके बाद वाहन की न आर.सी. बनती है व न टैक्स भरा जाता है। 

ट्रैफिक नियमों की उल्लंघना करने वालों से प्रशासन संजीदगी से पेश आए : हरचरन सिंह 
सी.बी.एस.ई. व आई.सी.एच.ई. स्कूल फैडरेशन जिला श्री मुक्तसर साहिब के नेता हरचरन सिंह बराड़ जो पंजाब पब्लिक स्कूल लक्खेवाली के चेयरमैन हैं, ने माना कि सड़क हादसे घटिया स्कूलों व कालेजों की वैनों/बसें आदि से घट रहे हैं। स्कूल प्रबंधकों को चाहिए कि वे बच्चों को ले जाने वाले वाहनों के लिए रखी गई शर्तों को पूरे करें। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक नियमों को पूरा न करने वालों से प्रशासन संजीदगी से पेश आए।

क्या कहना है समाज सेवकों का
जब कंडम हो चुके स्कूली वाहनों कारण घट रहे हादसों बारे कुछ समाज सेवकों के साथ ‘पंजाब केसरी’ की तरफ से बातचीत की गई तो सभी का यही कहना था कि ट्रैफिक नियमों को सख्ती से लागू किया जाए और जो उल्लंघना हो रही है उसे रोका जाए। गांव भंगचड़ी के सरपंच एडवोकेट यादविन्द्र सिंह, नवदीप सिंह सुखी, मंतव्य फाऊंडेशन के प्रधान अर्शप्रीत सिंह, बब्बलजीत सिंह बराड़ भागसर, गुरप्रीत सिंह बावा, गुरमीत सिंह हांडा, आलम बराड़ ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों/कालेजों वालों ने अपनी जत्थेबंदियां बनाईं हुई हैं। प्रबंधकों को चाहिए कि वे अपनी मीटिंगों में ऐसे मसले उठाएं जिससे बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ न हो और उनका भविष्य तबाह न हो। 

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