Edited By Kalash,Updated: 03 Dec, 2024 05:02 PM
बरनाला-लुधियाना रोड पर स्थित टोल प्लाजा के बंद होने के बाद हालात पूरी तरह से नजरअंदाज किए जा रहे हैं।
महिलकलां : बरनाला-लुधियाना रोड पर स्थित टोल प्लाजा के बंद होने के बाद हालात पूरी तरह से नजरअंदाज किए जा रहे हैं। 8 महीने का समय बीत चुका है, लेकिन यह सड़क सुरक्षित यात्रा के बजाय दुर्घटनाओं के खतरे का मैदान बन चुकी है। टोल प्लाजा के ऊपर बने शेड, केबिन और डिवाइडर हटाने के बजाय वहां बड़े-बड़े मिट्टी के ढेर डाल दिए गए हैं, जो सड़क को अवरुद्ध कर रहे हैं। ये ढेर खासकर सर्दियों के मौसम में धुंध के दौरान हादसों का मुख्य कारण बन रहे हैं।
बंद टोल प्लाजा का इतिहास
2007 में पंजाब सरकार ने बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT) मॉडल के तहत बरनाला-लुधियाना रोड के सुधार के लिए काम शुरू किया। इस योजना के तहत रोहन राजदीप टोलवेज लिमिटेड ने सड़क निर्माण और देखभाल की जिम्मेदारी ली। समझौते की अवधि 17 साल रखी गई थी, जो 2 अप्रैल 2024 को समाप्त हो गई। इस परियोजना के तहत दो टोल प्लाजा बनाए गए, एक महिलकलां के पास और दूसरा मुलांपुर (लुधियाना) के पास। इन टोल प्लाजा ने राहगीरों को सुगम यात्रा की सुविधा दी, लेकिन परियोजना की अवधि खत्म होने के बाद स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती गई। कोविड काल और किसान आंदोलन के कारण कंपनी ने टोल लागू करने की अवधि 448 दिन बढ़ाने की अपील की, जिसे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खारिज कर दिया। इसके बाद, 2 अप्रैल से ये टोल प्लाजा बंद कर दिए गए।
मौजूदा हालात
टोल प्लाजा के बंद होने के बाद वहां मौजूद केबिन, शेड और डिवाइडर को हटाने के बजाय वहां मिट्टी के ढेर डाल दिए गए हैं। ये ढेर राहगीरों के लिए बड़ा खतरा बन रहे हैं। रात के समय और सबसे ज्यादा धुंध के मौसम में, ये ढेर और रुकावटें दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं। इसके अलावा, सड़क पर न तो किसी प्रकार के रिफ्लेक्टर लगे हैं और न ही रोशनी का कोई इंतजाम है। इन कारणों से सड़क की स्थिति राहगीरों के लिए अनेक समस्याएं पैदा कर रही है। टोल प्लाजा के पास धीमी गति से गाड़ियां चलाने की जरूरत होती है, जो यात्रियों को खतरे में डाल सकती है।
स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया
मार्केट कमेटी बर्नाला के पूर्व उपाध्यक्ष प्रवीण बांसल ने कहा, "यह बेहद निंदनीय है कि टोल प्लाजा के बंद होने के 8 महीने बाद भी वहां मिट्टी के ढेर और रुकावटें मौजूद हैं। यह प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है।" महिलकलां के पूर्व उपाध्यक्ष हरविंदर जिंदल ने कहा, "इलाके के लोग हमेशा इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। प्रशासन को यह सुरक्षित सड़क साफ करनी चाहिए थी। इस मसले पर चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।" स्थानीय निवासी रविंदर बांसल ने कहा, 'रात के समय सड़क सुनसान हो जाती है। धुंध के दौरान मिट्टी के ढेर दुर्घटनाओं का मुख्य कारण बन सकते हैं। यह लापरवाही लोगों की जान के लिए खतरा है।'
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि:
1. टोल प्लाजा से मिट्टी के ढेर हटाए जाएं।
2. सड़क को साफ और सुरक्षित किया जाए।
3. रोशनी का इंतजाम किया जाए।
4. सड़क पर रिफ्लेक्टर लगाए जाएं ताकि रात के समय यात्रियों को सुरक्षा मिल सके।
धुंध के मौसम में खतरे बढ़े
सर्दियों के दिन आने के साथ, धुंध के मौसम में दुर्घटनाओं का खतरा कई गुना बढ़ गया है। मिट्टी के ढेर धुंध के दौरान राहगीरों को दिखाई नहीं देते, जिससे जान-माल के नुकसान की संभावना हो सकती है।
प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
इलाके के लोगों का कहना है कि दो जिलों को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क पर वर्तमान स्थिति प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है। जब स्थानीय निवासी इस मसले को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता है। इसके कारण लोगों में निराशा है।
आर्थिक प्रभाव
सिर्फ सुरक्षा ही नहीं, सड़क की खराब स्थिति का आर्थिक गतिविधियों पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। लंबे समय तक यात्रा के कारण जहां यात्रियों का समय बर्बाद हो रहा है, वहीं यह स्थिति रोजाना व्यापार पर भी प्रभाव डाल रही है।
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