एक बार फिर खुलकर सामने आई कैप्टन व सिद्धू के बीच तनातनी

Edited By Vatika,Updated: 05 Apr, 2021 09:24 AM

clash between captain and sidhu

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच एक बार फिर तनातनी खुलकर सामने आ गई है।

चंडीगढ़(अश्वनी): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच एक बार फिर तनातनी खुलकर सामने आ गई है। एक तरफ मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह किसानी मामले पर केंद्र सरकार को पत्र लिख रहे हैं तो दूसरी तरफ नवजोत सिंह सिद्धू का कहना है कि चिट्ठियां लिखने से कुछ नहीं होगा, नीयत साफ होनी चाहिए।रविवार को पटियाला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सिद्धू ने कहा कि वह कई बार दोहरा चुके हैं कि पंजाब सरकार को मजबूत होना होगा। पंजाब में जल्द से जल्द एक इकोनॉमिक मॉडल तैयार करने की जरूरत है, वर्ना केंद्र सरकार गाहे-बगाहे बाजू मरोड़ती रहेगी। 

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उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह ने रविवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री को पत्र लिखकर 2020-21 के खरीफ मंडीकरण सीजन के लिए एम.एस.पी. के 3 प्रतिशत के हिसाब से भाव प्रति किं्वटल 54.64 रुपए आर.डी.एफ. अदा किए जाने की मांग की है। इससे पहले मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सीधी अदायगी के मुद्दे पर आपसी सहमति बनाने तक किसानों को अदायगी किए जाने की मौजूदा प्रणाली जारी रखने की मांग कर चुके हैं। नवजोत सिंह सिद्धू केंद्र और पंजाब सरकार के बीच होने वाले इसी पत्राचार पर तल्ख टिप्पणी कर रहे थे। सिद्धू ने कहा कि मौजूदा सियासत सच्चाई को देखने नहीं दे रही है। कहते कुछ हैं, करते कुछ हैं। इसीलिए अब वह खुद मैदान में उतरेंगे और एक इंच पीछे नहीं हटेंगे। मुख्यमंत्री ने रविवार को पीयूष गोयल के नाम लिखे अपने पत्र में कहा कि नोटीफाई की गई आर.डी.एफ., विभाग द्वारा जारी 24 फरवरी, 2020 के उस पत्र के भी उलट है जिसके अंतर्गत राज्यों से सलाह-मशविरा करके खरीद संबंधी सुधारे गए नियम तय किए गए थे। पत्र में अनुमतियां प्रदान की गईं। इसके तहत खरीद कार्यों के संबंध में किसी भी राज्य या राज्यों के लिए इस विभाग द्वारा स्वीकृत मार्कीट फीस या कोई अन्य फीस/चुंगी/कर राज्यों द्वारा नोटीफाई की गई दरें पी.सी.एस. और एफ.सी.एस. दोनों के लिए स्वीकार की जाएंगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि आर.डी.एफ. की दर में किसी भी तरह की एकतरफा कटौती न तो खरीद के सिद्धांत के अनुसार है और न ही यह राज्य की विधानसभा की तरफ से पास किए कानून के अनुसार है इसलिए यह हमारे देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब द्वारा वसूली जाती मार्कीट फीस और आर.डी.एफ. बाकायदा कानून के अंतर्गत नोटीफाई की गई है जिनको खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा मंजूरी भी दी गई है। उन्होंने कहा कि आर.डी.एफ. को खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा जारी अस्थायी कीमत सूची में पहली बार अस्वीकार किया गया है। कै. अमरेंद्र सिंह ने कहा कि पंजाब के खाद्य और सिविल सप्लाई विभाग ने 31 अक्तूबर, 2020 को इस संबंधी विस्तृत पत्र लिखा था और उसके बाद उन्होंने 13 दिसम्बर, 2020 को अपने अर्ध-सरकारी पत्र के द्वारा पीयूष गोयल को आर.डी.एफ., जो कि बीते कई सालों से कानूनी तौर पर मंजूर चुंगी है, जल्द जारी करने की अपील की थी। इसके बाद राज्य सरकार ने 14 जनवरी, 2021 को अपने एक पत्र के द्वारा भारत सरकार के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा 26 अक्तूबर, 2020 के पत्र के द्वारा मांगी गई अपेक्षित सूचना भेज दी थी। इसके बाद खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा साल 2018-19 से लेकर 2020-21 के दरमियान आर.डी.एफ. की प्राप्ति और खर्चों के विवरण संबंधी सूचना भी निर्धारित प्रोफार्मा में 17 मार्च, 2021 के पत्र के द्वारा जमा करवा दी गई थी। कै. अमरेंद्र सिंह ने यह दोहराया कि आर.डी.एफ. एक्ट के अंतर्गत इक_ी की गई चुंगी को खर्च करने के लिए कानूनी धाराएं मौजूद हैं और ग्रामीण ढांचे के विकास के लिए यह बहुत मददगार सिद्ध होती है। इससे कृषि उत्पादन और अनाज के मंडीकरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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