केन्द्र सरकार ने नहीं बढ़ाई रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख, उद्यमियों के करोड़ों रुपए डूबने की आशंका

Edited By Mohit,Updated: 03 Nov, 2018 05:28 PM

central government has not extended the last date for filing returns

देश में उद्यमियों के इनपुट क्रैडिट टैक्स के करोड़ों रुपए की राशि डूबने की आशंका पैदा हो गई है क्योंकि इनपुट क्रैडिट टैक्स पर दावा करने के लिए उद्यमियों को 25 अक्तूबर 2018 तक अपनी रिटर्नें दाखिल करनी अनिवार्य थी।

जालंधर(धवन): देश में उद्यमियों के इनपुट क्रैडिट टैक्स के करोड़ों रुपए की राशि डूबने की आशंका पैदा हो गई है क्योंकि इनपुट क्रैडिट टैक्स पर दावा करने के लिए उद्यमियों को 25 अक्तूबर 2018 तक अपनी रिटर्नें दाखिल करनी अनिवार्य थी। प्रमुख चार्टेड अकाऊंटैंट पुनीत ओबराय ने आज बातचीत करते हुए बताया कि अगर किसी ने 2017-18 के लिए इनपुट क्रैडिट टैक्स पर दावा करना है तो उसके लिए पहले रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 20 अक्तूबर 2018 थी परन्तु केन्द्र सरकार ने इसे बढ़ाकर 25 अक्तूबर कर दिया। मात्र पांच दिनों की मियाद बढ़ाई गई, जोकि पर्याप्त नहीं है। 

पुनीत ओबराय ने बताया कि जी.एस.टी. लागू होने के बाद जनवरी-फरवरी 2018 तक तो इसके विभिन्न प्रावधानों व नियमों को लेकर सशंय की स्थिति बनी रही। इंडस्ट्री को अभी भी पूरी तरह से जी.एस.टी. के बारे में जानकारी नहीं मिली है तथा कई प्रावधानों को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में केन्द्रीय वित्त मंत्रालय को 31 दिसम्बर 2018 तक का समय इंडस्ट्री को देना चाहिए था ताकि वह अपनी रिटर्नें दाखिल कर सकें परन्तु अब 25 अक्तूबर की अंतिम तारीख निकल चुकी है। ऐसी स्थिति में नए कठोर नियमों के अनुसार कोई भी उद्यमी रिटर्न दाखिल न करने की स्थिति में इनपुट क्रैडिट टैक्स पर अपना दावा नहीं कर सकेगा। 

उन्होंने कहा कि इनपुट क्रैडिट टैक्स के रूप में देश में उद्यमियों के हजारों करोड़ रुपए फंस जाएंगे। अंतत: उन्हें यह राशि सरकार के पास सरैंडर ही करनी पड़ेगी। इनपुट क्रैडिट टैक्स की राशि पर वह अपना दावा नहींं कर सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इनपुट क्रैडिट टैक्स के मामले में तो उल्टा उद्यमियों को अपनी तरफ से टैक्स, ब्याज, जुर्माना भी भरना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इन्कम टैक्स एंड जी.एस.टी. कंसल्टैंट्स फोरम ने इस संबंध में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली को ज्ञापन भी भेजने का निर्णय लिया है। कई चार्टर्ड अकाऊटैंट्स व कर विशेषज्ञों ने कई बार टवीट करके इसमें संशोधन करने की बात कही है।

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