Edited By Urmila,Updated: 27 Aug, 2024 11:44 AM
उल्लेखनीय है कि पहले बड़े आकार के ड्रोन आते थे जिस कारण वह जल्दी पकड़ में आ जाते थे परंतु अब सीमा पार से छोटे आकार के ड्रोन भेजे जा रहे हैं।
जालंधर : सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ.) पंजाब ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एन.आई.टी.), जालंधर के सहयोग से और इलैक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एम.ई.आई.टी.वाई.) के समर्थन से, ‘ड्रोन तकनीक : सीमा प्रबंधन के लिए नैतिकता और अनुप्रयोग’ शीर्षक से 5 दिवसीय बूट- कैम्प शुरू किया है। सीमा पार से पिछले कुछ वर्षों के दौरान आ रहे ड्रोनों का मुकाबला करने के लिए सीमा सुरक्षा बल ने नई रणनीति अपनाने का फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि पहले बड़े आकार के ड्रोन आते थे जिस कारण वह जल्दी पकड़ में आ जाते थे परंतु अब सीमा पार से छोटे आकार के ड्रोन भेजे जा रहे हैं जिसका पता लगाने के लिए ही सीमा सुरक्षा बल अब विशेषज्ञों के साथ बैठक कर रही है। इससे सीमा सुरक्षा बल को नई तकनीक और नई रणनीति का पता चलेगा।
यह कार्यक्रम 26 से 30 अगस्त तक चलने के लिए डिजाइन किया गया है। बी.एस.एफ. पंजाब के महानिरीक्षक डा. अतुल फुलजेले द्वारा उद्घाटन किए गए। बूट-कैम्प का उद्देश्य बी.एस.एफ. कर्मियों की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाना है। यह पहल बी.एस.एफ. की अपने संचालन के साथ उन्नत प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
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