मोदी ही पंजाब को निकालेंगे गर्त से बाहर, 2027 में राज्य में सरकार बनना तयः तरूण चुघ

Edited By Vatika,Updated: 03 Jul, 2024 01:05 PM

bjp tarun chugh interview

केंद्र में राजग 3.0 सरकार के गठन में बेशक भाजपा को पहले जैसा बहुमत नहीं मिला था लेकिन

जालंधर (अनिल पाहवा): केंद्र में राजग 3.0 सरकार के गठन में बेशक भाजपा को पहले जैसा बहुमत नहीं मिला था लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरूण चुघ ने दावा किया है कि सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बेहतर तरीके से काम कर रही है। उन्होंने कई मुद्दों पर बात की है, प्रस्तुत हैं उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंश:-

इस बार भाजपा को देश में गठबंधन करना पड़ा, आप क्या कहेंगे
पिछले 10 साल से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एन.डी.ए. की सरकार थी और आज भी 2024 में दिल्ली में एन.डी.ए. की सरकार है। हमने तीनों चुनाव एन.डी.ए. के नाम पर लड़े थे और इस बार भी एन.डी.ए. के नाम पर ही चुनाव लड़े और तीनों सरकारें पूर्ण बहुमत की सरकारें थी और यह सरकार भी पूर्ण बहुमत की सरकार है।

भाजपा की सीटें इस बार कम हुई है, क्या कारण रहे 
देखिए, गणित अलग विषय है। लेकिन देश की जनता का आशीर्वाद पी.एम. मोदी पर था,है और रहेगा। पी.एम. मोदी पर जनता का अटूट प्रेम व विश्वास बना हुआ है। पी.एम. मोदी देश की चमक व दमक को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं और मुझे उम्मीद है कि इस बार की सरकार भी पहले की सरकारों की तरह देश के गरीबों के लिए काम करेगी और पी.एम. मोदी ने जो मिशन लिया है, उसे देश की जनता पूरा करेगी।

भाजपा की 60 के करीब सीटें कम हो गई, क्या इसका भाजपा की राजनीति पर कोई असर पडे़गा
पी.एम. मोदी पर लोगों का अटूट विश्वास है। केरल में पहली बार भाजपा जीत कर आई है। तेलंगाना में भी हमारी सीटों की संख्या 4 की जगह 8 हो गई है। तमिलनाडु में भी हमारा वोट बैंक बढ़ा है। ओडिशा में हमने कभी सोचा नहीं था, जनता ने इतना आशीर्वाद दिया है और ओडिशा में आज भाजपा की एक मजबूत सरकार है। अरुणाचल में भाजपा की तीसरी बार सरकार बनी है। इसी तरह आंध्र के अंदर भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेतृत्व में सरकार बनाई है। यह भारतीय जनता पार्टी की एक विजय यात्रा है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गरीबों के लिए काम करने वाली सरकार पर जनता ने इस बार मोहर लगाई है, क्योंकि लोगों को पता है कि मोदी के नेतृत्व में ही देश आगे बढ़ सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी कितनी सफल रही 
प्रधामंत्री मोदी की गारंटी का मतलब है एन.डी.ए. की गारंटी। पी.एम. मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं और 50 साल में यह पहली बार है कि पी.एम. मोदी पर जनता ने विश्वास किया है। जो बड़ी-बड़ी डींगे मार रहे थे, आप उनका रिकार्ड उठाकर देख लीजिए। यही कांग्रेस होती थी जिसका 2/3 बहुमत होता था, लेकिन आज कांग्रेस का पाप इतने भारी हो गया कि 3 डिजिट तक नहीं पहुंच पाई। यह पहला चुनाव नहीं है, लगभग 18 चुनाव कांग्रेस हारी है और इसी नेतृत्व के बल पर हारी है। कांग्रेस अभी के लोकसभा चुनाव हारी, इसके बाद बिना वजह स्पीकर का चुनाव करवाया, वहां भी कांग्रेस हारी। अगर उन्हें यही ग्रोथ अच्छी लगती है तो भगवान उन्हें इसी ग्रोथ पर रखे।

आपको लगता है कि नीतिश व नायडु 5 साल सरकार चलने देंगे, अगर कोई यू-टर्न ले गया तो 
हमने टी.डी.पी. का सहयोग नहीं लिया, टी.डी.पी. और हमने मिलकर चुनाव लड़ा है। यह प्रीपोल एलायंस है, पोस्ट पोल अलायंस नहीं है। बिहार में नरेंद्र मोदी के नाम पर नीतिश के साथ मिलकर चुनाव लड़ा है, इसी तरह आंध्र में भी। जिन सभी के साथ हमारा एलायंस है, एक ही नाम पर चुनाव लड़ा है। नीतिश कुमार ने स्पष्ट किया है कि वह चट्टान की तरह भाजपा के साथ खड़े हैं और जनादेश सबको साथ लेकर चलने का दिया गया है। इस तरह से हम सभी के साथ मिलकर चलेंगे और भारत को विश्व में सबसे श्रेष्ठ बनाने का जो जसंकल्प पी.एम. मोदी ने लिया है, वह निश्चित रूप में पूरा होगा।

नई कैबिनेट में कई मंत्रियों की छुट्टी कर दी गई है, कई चेहरे नहीं दिख रहे, क्या रहा कारण
मोदी जी की टीम भी वही है, कप्तान भी वही है, काम भी वही है और जज्बा भी वही है। सभी अपने अपने काम में लगे हैं और निरंतर लगे हैं। देखिए, इतनी बड़ी सरकार का गठन हो गया और किसी ने एक शब्द भी तक नहीं कहा, क्योंकि हमारे नेता व कार्यकर्ता सत्ता के लिए काम नहीं करते, वे एक मिशन के लिए काम करते हैं। इसलिए कौन पांचवे नंबर पर खेलेगा और कौन दूसरे पर यह मायने नहीं रखता।

यू.पी. में भाजपा को लोकसभा चुनावों में काफी नुक्सान हुआ, क्या कारण है
यह भ्रम कांग्रेस ने फैलाया। देखिए, देश में जब आपातकाल लगा और 26 जून को देश में लोगों को पकड़ना शुरू कर दिया। पंजाब केसरी अखबार, जिसने आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी जंग लड़ी और देश की पहरेदारी की है, उस अखबार की आवाज दबाने के लिए इंदिरा गांधी ने बिजली तक काट दी। कांग्रेस ने पंजाब केसरी समूह को दबाने व झुकाने के लिए बिजली काट दी, लेकिन लाला जी झुके नहीं, शहादत दी है उन्होंने। लाला जी इंदिरा गांधी के तानाशाही के आगे झुके नहीं और ट्रैक्टर के जरिए अखबार चलाया और पूरे विश्व में न्यूज थी 'ट्रैक्टर सेफ इंडियन प्रैस पंजाब केसरी'। कांग्रेस ने देश की सभी प्रैस बंद कर दिए, अखबार बंद कर दिए, पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया, पूरा देश जेल बन चुका था। जब सभी लोग झुक रहे थे तो पंजाब केसरी झुकी नहीं और जमकर लड़ाई लड़ी। एमरजैंसी का मतलब है तानाशाही की प्रकाष्ठा। उस समय भी इंदिरा गांधी की तानाशाही थी, कांग्रेस के लोग फैसले करते थे। उस समय भी परिवार हावी था, आज भी वही परिवार हावी है। आज भी राहुल गांधी कहते है कि न खाता न बही, जो राहुल गांधी कहते है वही सही। और इस समय पूरी कांग्रेस घुटन में है।

क्या प्रियंका के खिलाफ स्मृति इरानी चुनाव लड़ेंगी
देखिए इससे भी बड़ा सवाल ये है कि आखिर राहुल ने दो सीटों में से रायबरेली सीट क्यों नहीं छोड़ी वायनाड ही क्यों छोड़ी, क्योंकि रायबरेली प्रियंका गांधी की सीट थी। अगर छोड़नी ही थी तो रायबरेली छोड़ते। क्योंकि उनको पता है कि प्रियंका कांग्रेस के लिए सैल्फ गोल है। प्रियंका गांधी केरल से हारे, ताकि आंतरिक परिवार का झगड़ा भी समाप्त हो।

चर्चा है कि राहुल गांधी पहले से ज्यादा स्ट्रांग हो गए हैं, क्या सोचती है भाजपा 
जिस कांग्रेस को चलते चुनाव में आर्डीनैंस लाना पड़े कि केरल के अंदर कोई भी झंडा नहीं उठाएगा, जिस पार्टी ने मुस्लिम लीग का एजैंडा उठा लिया हो। पं. जवाहर लाल नेहरू और जिन्ना ने कहा था कि धर्म  के आधार पर देश नहीं चलाएंगे। लेकिन राहुल ने पं. जवाहर लाल नेहरू की इस सोच को तिलांजलि देकर मुस्लिम लीग की सोच को अपना लिया। अगर देश के अंदर सबसे ज्यादा गिरावट आई है, तो वह है कांग्रेस। कांग्रेस पार्टी अपना एजैंडा तक नहीं तय कर पा रही। पार्टी की मीटिंग में कभी ममता बनर्जी नहीं आती तो कभी डी.एम.के. नहीं आता। क्योंकि पार्टी में गठबंधन के नेता ही राहुल गांधी को अपना नेता नहीं मानते।


भाजपा को लेकर संघ के पदाधिकारी खासकर इंद्रेश जी भी कुछ खफा लग रहे हैं 
संघ हमारी वैचारिक पृष्ठभूमि है। संघ का विचार हमारे लिए श्रेष्ठ विचार है। संघ ने कई कार्यकर्ता देश भक्ति के लिए तैयार किए हैं। संघ का स्वयंसेवक देश पर आई हर विपत्ता के लिए लड़ता रहा है। इंद्रेश जी ने भी साफ किया है कि उनका कहने का वो मतलब नहीं था, जिस तरह से लिया गया। 


पंजाब में भाजपा को सफलता क्यों नहीं मिल रही
पंजाब में भाजपा ने निरंतर विजय यात्रा शुरू की है। हमने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा तो जनता का वोट प्रतिशत कम था, लेकिन इस बार पहली बार लोकसभा चुनावों में जनता ने खुलकर प्यार दिया। तरनतारन में अकाली दल से ज्यादा वोट भाजपा ने हासिल किया है। इसी तरह से अगर 6-8 हजार वोट ज्यादा पड़ता तो हम फिरोजपुर सीट जीत जाते। अतः यह मिलने वाला वोट प्रतिशत बताता है कि 2027 में हम विधानसभा में पहुंचने वाले हैं, क्योंकि पंजाब के लोगों को पता है कि अगर पंजाब को कोई गर्त से निकाल सकता है तो वह है मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार। और पंजाब में इस समय जिनके हाथों में सरकार है, वे बिल्कुल नौसिखिए व नासमझ है। पंजाब की भगवंत मान सरकार ने सत्ता हासिल करने के दौरान नशा खत्म करने का वायदा किया था, लेकिन अब 26 महीने बाद नशा खत्म करने को लेकर 10000 पुलिस कर्मियों का तबादला कर दिया गया। पंजाब सरकार के पास किसी तरह की कोई प्लानिंग नहीं है। पंजाब में तीनों सैक्टर इंडस्ट्री, किसानी, कामर्स बुरी तरह से फेल हैं। जिस सरकार ने भ्रष्टाचार को राज्य से खत्म करने की बात कही थी, आज उनका किंगपिन ही भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद है।


पहले जाखड़ और अब रवनीत बिट्टू को लेकर भाजपा पंजाब में एक्सपैरीमैंट कर रही है, क्या 2027 में सत्ता हासिल कर पाएगी
यह कोई एक्सपैरीमैंट नहीं है। हम पहले राज्य में बहुत कम सीटों पर चुनाव लड़ते थे, लेकिन आज हम ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिसके चलते हम ज्यादा लोगों को एडजस्ट कर सकते हैं। जहां तक रवनीत बिट्टू की बात है तो वह स्व. बेअंत सिंह के परिवार से हैं। बेअंत सिंह जिन्होंने पूरे पंजाब से आतंकवाद का विनाश किया, अगर उनका परिवार पार्टी में आना चाहता है तो स्वागत है।  अतः देशभक्तों का हमारी सरकार में भरपूर स्वागत है। जो लोग देश की सेवा करना चाहते हैं, उनका पार्टी में स्वागत है। 2027 में भाजपा को जरूर इस तरह की सफलता मिलेगी। पंजाब को गर्त से निकालना भाजपा को आता है और 2027 में पंजाब में भाजपा जरूर आएगी।


जालंधर उपचुनाव में भाजपा की क्या स्थिति है
निश्चित रूप से जालंधर में 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी व कांग्रेस हारी है और हम जीते हैं और अब भी हम जीतेंगे। जनता मोदी जी के साथ चलना चाहती है। जालंधर वैस्ट के अंदर जनता आम आदमी पार्टी को जवाब देने के मूड में है। अतः निश्चित रूप से जालंधर का यह उपचुनाव भाजपा जीतेगी। इस बार के लोकसभा चुनाव बेशक हम हारे हैं, लेकिन विधानसभा तो हम जीतेंगे ही।

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