Edited By Urmila,Updated: 12 May, 2025 12:41 PM
जहां एक ओर भारत-पाकिस्तान युद्ध में अमेरिका की मध्यस्थता के चलते संघर्ष विराम हो चुका है।
अमृतसर (नीरज) : जहां एक ओर भारत-पाकिस्तान युद्ध में अमेरिका की मध्यस्थता के चलते संघर्ष विराम हो चुका है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की नापाक हरकतों को देखते हुए जिला प्रशासन अभी भी पूरी तरह अलर्ट पर है। जानकारी के अनुसार जिला मजिस्ट्रेट एवं उपायुक्त साक्षी साहनी ने 12 मई को भी जिले के सभी स्कूल व शिक्षण संस्थान बंद रखने के आदेश जारी किए हैं। आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि कोई भी स्कूल अपने शिक्षकों को स्कूल नहीं बुलाएगा, हालांकि प्रशासन ने स्कूलों को ऑनलाइन पढ़ाई कराने का विकल्प दिया है।
हालात को देखते हुए प्रशासन ने ब्लैकआउट की घोषणा तो नहीं की है, लेकिन फिर भी आम जनता से सतर्क रहने की अपील की है, क्योंकि पाकिस्तान जैसे देश पर भरोसा नहीं किया जा सकता। पाकिस्तान ने पीठ में छुरा घोंपने का काम 1965 और 71 के युद्ध में भी किया था और कारगिल युद्ध में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला, इसलिए केंद्र और राज्य सरकारें हर कदम सावधानी से उठा रही हैं ताकि कोई नुकसान न हो और आम लोग खुशी से रह सकें।
मई और जून माह में स्कूलों की छुट्टियों के कारण अमृतसर समेत पूरे उत्तर भारत में पर्यटन कारोबार चरम पर होता है। इन दो महीनों में विशेषकर अमृतसर में पर्यटकों की भारी उम्मीद रहती है, लेकिन युद्ध के माहौल में 99 प्रतिशत पर्यटन कारोबार ठप्प हो गया है और होटल व्यवसायी गहरी निराशा में हैं।
अमृतसर जिले की बात करें तो यहां बड़ी संख्या में होटल मालिकों ने होटल लीज पर ले रखे हैं और उन्हें हर महीने किराया देना पड़ता है, लेकिन युद्ध के माहौल में किराया देना मुश्किल हो गया है। अमृतसर की अर्थव्यवस्था की बात करें तो सीमावर्ती जिला होने के कारण इसमें बदलाव आया है। ऐसे में जिले के लोगों के लिए पर्यटन व्यवसाय ही एकमात्र सहारा था। पर्यटकों के आने से होटल व्यवसायियों, रेस्टोरेंट व ढाबा संचालकों, टैक्सी व ऑटो चालकों सहित अन्य व्यवसायियों का कारोबार चमकता था, लेकिन अभी सब कुछ बिगड़ा हुआ है और लोग प्रार्थना कर रहे हैं कि स्थिति सुधर जाए।
युद्ध के माहौल ने लोगों के चरित्र को उजागर कर दिया।
हालांकि पाकिस्तान के साथ कोई सीधा युद्ध नहीं हुआ, जिसमें आमने-सामने की लड़ाई नहीं हुई और लगातार तीन दिनों तक हवाई हमले हुए, लेकिन इस माहौल ने कई लोगों, खासकर किराना दुकानदारों, खाद्य पदार्थों के थोक विक्रेताओं और यहां तक कि सब्जी विक्रेताओं के चरित्र को जरूर उजागर कर दिया है। कुछ व्यापारियों ने आम जनता को लूटना शुरू कर दिया और कालाबाजारी शुरू कर दी। ऐसे माहौल में इन सफेदपोश लोगों का चरित्र भी उजागर हुआ, लेकिन कुछ व्यापारी ऐसे भी थे जिन्होंने ईमानदारी का पालन किया और किसी भी नागरिक का आर्थिक शोषण नहीं किया।
युद्ध के माहौल में लोगों ने दो महीने तक का राशन जमा कर लिया था और किराने की दुकानों पर इतनी भीड़ थी कि दो-तीन दिन में ही कुछ दुकानें खाली हो जाती थीं, जिसका फायदा कालाबाजारियों ने उठाया।
भविष्य में कमियों को दूर करने की आवश्यकता
जिला प्रशासन ने आम जनता की सुविधा के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए हैं, लेकिन इस दौरान कुछ कमियां भी देखने को मिलीं, जैसे महानगर के कई इलाकों में सायरन की आवाज सुनाई नहीं दी। अधिकारियों के अनुसार सभी इलाकों में सायरन बज रहे थे, लेकिन उनकी आवाज इतनी धीमी थी कि लोगों तक नहीं पहुंच पाई। भविष्य में ऐसी कमियों को दूर करने की आवश्यकता है। गनीमत रही कि पाकिस्तान द्वारा दागी गई मिसाइलें और ड्रोन हवा में ही गिर गए, अन्यथा सायरन की लापरवाही से जनता को भारी नुकसान हो सकता था।
कोई ब्लैकआउट नहीं, लेकिन जनता को सतर्क रहना चाहिए: डी.सी.
जिला मजिस्ट्रेट एवं डी.सी. साक्षी साहनी ने बताया कि जिला प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए फिलहाल ब्लैकआउट नहीं लगाया है, लेकिन आम जनता को सतर्क रहने की जरूरत है। फिलहाल स्कूल बंद कर दिए गए हैं और आने वाले दिनों में स्थिति को देखते हुए निर्णय लिया जाएगा।
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