आस्ट्रेलिया ने खालिस्तानियों के जनमत संग्रह पर लगाई रोक

Edited By Urmila,Updated: 13 May, 2023 12:03 PM

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विदेशों में खालिस्तान का झंडा उठाकर तोड़फोड़ करने और अशांति फैलाने वाले मुट्ठी भर लोगों पर वहां की सरकारों ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

जालंधर : विदेशों में खालिस्तान का झंडा उठाकर तोड़फोड़ करने और अशांति फैलाने वाले मुट्ठी भर लोगों पर वहां की सरकारों ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में आस्ट्रेलिया ने भारत द्वारा प्रतिबंधित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एस.जे.एफ.) के सिडनी के ब्लैकटाऊन में होने वाले खालिस्तानियों के जनमत संग्रह पर रोक लगा दी है। 

आस्ट्रेलिया मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिडनी में एस.जे.एफ. द्वारा प्रस्तावित जनमत संग्रह मूल रूप से ब्लैकटाऊन लीजर सैंटर स्टैनहोप में होने वाला था लेकिन आस्ट्रेलिया के अधिकारियों ने लोगों और कौंसिल की संपत्ति की सुरक्षा को खतरा बताते हुए इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आस्ट्रेलिया में स्थानीय कौंसिल ने यह फैसला खालिस्तानियों द्वारा पूर्व में फैलाई गई अशांति और मंदिर में की गई कथित तोड़फोड़ को देखते हुए लिया है।

एस.जे.एफ. प्राइवेट लिमिटेड जांच के दायरे में

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय सुरक्षा एजैंसियों और पुलिस ने खालिस्तान प्रचार कार्यक्रम के लिए दी गई अनुमति को वापस ले लिया है। यह भी बताया गया है कि विक्टोरिया में रजिस्टर्ड ‘सिख्स फॉर जस्टिस प्राइवेट लिमिटेड’ को लेकर जांच भी चल रही है। इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि हम बेहिसाब पैसे के लेन-देन के संबंध में जांच कर रहे हैं। इस सप्ताह की शुरूआत में खालिस्तान समर्थकों द्वारा बीएपीएस श्री मीनारायण मंदिर पर बर्बरतापूर्ण हमला भी किया गया था। हिंदू, इस्लामिक और सिख धार्मिक नेताओं ने इस हमले की निंदा की थी और अधिकारियों से अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आह्वान किया था।

आतंकवादियों का प्रचार कर रहे थे खालिस्तानी

आस्ट्रेलिया टुडे की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि स्थानीय निवासी अरविंद गौड़ की ओर से परिषद को एस.एफ.जे. से संबंधित कार्यक्रम की शिकायत की गई थी। गौड़ ने सिख्स फॉर जस्टिस प्रचार कार्यक्रम द्वारा पोस्टर और बैनर के माध्यम से आतंकवादियों की प्रशंसा किए जाने की शिकायत की थी। 
गौड़ का कहना है कि उन्हें परिषद की सी.ई.ओ. केरी रॉबिन्सन से एक जवाब मिला है जिसमें बताया गया है कि परिषद के अधिकारियों द्वारा अनधिकृत बैनर और पोस्टर हटाए जा रहे हैं और उन्होंने स्थानीय पुलिस से सलाह मांगी है। रॉङ्क्षबसन कहती हैं कि हम शहर के चारों ओर सार्वजनिक संपत्ति पर लगे बैनर और पोस्टर हटा रहे हैं क्योंकि ये हमारी स्वीकृति के बिना लगाए गए हैं।

भारतीय डायस्पोरा और खालिस्तानियों के बीच बढ़ता तनाव

स्थानीय खालिस्तानियों के बीच अभियान तेज होने के बाद से आस्ट्रेलिया के बड़े और बढ़ते भारतीय डायस्पोरा के भीतर तनाव बढ़ गया है और पिछले एक पखवाड़े में मेलबोर्न में हिंदू मंदिरों पर हमलों की सूचना मिली है। आस्ट्रेलिया की हिंदू परिषद ने पूरे शहर में 3 हिंदू मंदिरों पर भित्तिचित्रों को मिटाने की निंदा की थी, जिसमें अल्बर्ट पार्क में इस्कॉन हरे कृष्णा मंदिर भी शामिल है। मंदिर प्रबंधन ने दीवार पर ‘हिंदुस्तान मुर्दाबाद’ लिखा हुआ पाया था।

ब्रिटेन में खालिस्तानियों के खिलाफ उठी है कार्रवाई की मांग

यहां उल्लेखनीय है कि गत माह ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा एक स्वतंत्र रिपोर्ट ‘द ब्लूम रिव्यू’ में आरोप लगाए गए हैं कि गैर खालिस्तानी सिखों को कुछ खालिस्तानी चरमपंथी जबरन अपने आंदोलन में शामिल करने के लिए धमकियां देते हैं। यह भी आरोप हैं कि चरमपंथियों ने ब्रिटेन के गुरुद्वारों का संचालन अपने हाथों में ले रखा है और धर्म के नाम पर पैसों की उगाही की जा रही है, जिससे खालिस्तानी आंदोलन को उग्र बनाया जा सके। इस रिपोर्ट के माध्यम से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से त्वरित कार्रवाई करने की भी मांग की गई है।

आतंकी पन्नू कराना चाहता था जनमत संग्रह

इस जनमत संग्रह को एस.जे.एफ. का कर्ताधर्ता खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू आयोजित करवाने वाला था।  ब्लैकटाऊन सिटी कौंसिल के प्रवक्ता के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कौंसिल ने कार्यक्रम से संबंधित बुकिंग को रद्द कर दिया है क्योंकि यह कौंसिल पॉलिसी के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि कौंसिल कर्मचारियों, परिषद की संपत्ति और आम लोगों की सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम नहीं उठा सकती है।
 
इससे पहले गत 29 अप्रैल को ब्रिटेन (यू.के.) में मुट्ठी भर चरमपंथियों ने सोशल मीडिया पर भारतीय उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, लेकिन सुरक्षा के कड़े इंतजामों के कारण वहां एक भी चरमपंथी नहीं पहुंचा था। जानकारों का कहना है कि पश्चिमी देशों को अब यह बात समझ आने लगी है कि ये खालिस्तानी उनके अपने लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं।

भारत ने आस्ट्रेलिया से की थी हस्तक्षेप की मांग

गौरतलब है कि गत जनवरी माह में मेलबोर्न में तथाकथित स्वतंत्रता जनमत संग्रह के दौरान खालिस्तानी कार्यकर्ताओं और भारतीय प्रदर्शनकारियों के बीच 2 अलग-अलग झगड़ों में 2 लोग घायल हो गए और कई सिख लोगों को हिरासत में लिया गया था। भारत ने पहले ही आस्ट्रेलियाई सरकार से खालिस्तानी अलगाववादियों की भारत विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाने और देश में हिंदू मंदिरों पर हमलों को रोकने के लिए कहा था। हालांकि ब्लैकटाऊन सिटी कौंसिल के एक प्रवक्ता ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा है कि कौंसिल का निर्णय किसी भी तरह से भारत या पाकिस्तान के आंतरिक मामलों से संबंधित राजनीतिक स्थिति का समर्थन या आलोचना नहीं है। इसे किसी विशेष राजनीतिक स्थिति के समर्थन के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए।

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