दिल्ली में जन्मे जेतली ने अमृतसर की गलियों में बिताया था अपना बचपन

Edited By swetha,Updated: 25 Aug, 2019 01:33 PM

arun jaitely

अमृतसर में था जेतली का ननिहाल

अमृतसर(जिया): भारतीय राजनीति के चाणक्य अरुण  जेतली के शाश्वत नींद की गोद मे चले  जाने से देश में जो शून्यता पैदा हुई उसे कभी भी भरा नहीं जा सकेगा। 28 दिसम्बर 1952 को दिल्ली में जन्मे अरुण जेतली का घर का नाम काका था। लाड़- प्यार वाला यह नाम माता रत्न प्रभा जेतली व पिता महाराज किशन ने रखा। 

विभाजन की रात लाहौर छोड़ अमृतसर पहुंच गया परिवार  
अरुण जेतली के पिता महाराज किशन जेतली, राज किशन जेतली, गोपाल किशन जेतली, किशन जेतली, माधव किशन जेतली, राम किशन जेतली तथा जय किशन जेतली सात भाई थे। सातों भाई लाहौर में उच्चकोटि के नामी वकील थे। यह सभी विभाजन की रात (14 अगस्त) लाहौर छोड़कर अमृतसर आ गए । भारत आने के बाद परिवार के सदस्यों की संख्या 38 थीं, जिन्होंने मध्य रात्रि चौक फुल्ला वाला स्थित अपनी बहन के घर  में शरण ली। अरुण जेतली के फूफा मुनी लाल पंडित ने फुल्ला वाला चौक में ही अपने एक खाली पड़े मकान में सातों भाइयों के परिवारों को ठहराया। कुछ समय बाद जेतली के 2 चाचा होशियारपुर बस गए। बाकि अन्य शहरों में चले गए। जेतली के पिता महाराज किशन जेतली अपने परिवार को लेकर दिल्ली चले गए जहां भी उन्होंने वकालत कर अपनी विशेष पैठ बना ली।

दिल्ली में हुआ था जन्म
8 दिसम्बर 1952 को अरुण जेतली का जन्म दिल्ली में हुआ। दिल्ली के श्री राम कालेज से जेतली ने शिक्षा प्राप्त की। केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी उनके सहपाठी रहे। दिल्ली में अरुण-पुरी के बीच प्यार की आज भी लोग चर्चा करते हुए देखे जा सकते हैं। अमृतसर में ननिहाल, बुआ व मासी का घर होने पर जेतली अमृतसर से जुड़े रहे। मदन लाल त्रिखा उनके मामा तथा पी.बी.एन.स्कूल के प्रिंसीपल प्राण नाथ कुमरिया मौसा थे। अमृतसर में बिताए बचपन के चलते जेतली खाने-पीने के व्यंजनों के बहुत शौकीन थे। दिल्ली में बैठे उन्हें सब पता होता था कि कौन सी खाने की चीज बढिय़ा कहां मिलती है। जेतली की दो बहनें मधु भार्गव व मंजू भार्गव जो मुम्बई में रहती हैं। अरुण जेतली की शादी पूर्व केंद्रीय मंत्री व सीनियर कांग्रेसी नेता गिरधारी लाल डोगरा की बेटी संगीता से हुई। इनके दो बच्चे सोनाली व रोहण हैं । बेटी सोनाली शादी शुदा है तथा बेटे रोहन की शादी इस वर्ष के अन्त में होनी निश्चित है।

अमृतसर में था जेतली का ननिहाल
दिल्ली में जन्मे काका ने अपने बचपन का ज्यादातर समय अमृतसर में ननिहाल होने के कारण  शहर की गलियों मे खेलते हुए गुजारा। अमृतसर की माटी से लगाव के चलते वह जब भी यहां आते तो उनका सदा यही मन करता कि वह परिवार को साथ लेकर  शहर के अन्दरूनी इलाकों में जाएं। इससे वह अपने बचपन की यादों को ताजा करते। 2005 मे अरुण जेतली जब कानून मंत्री थे तब वह अमृतसर आए तो उन्होंने अपने भतीजे नरेन्द्र शर्मा जिनके घर वह अक्सर रहते थे, से कहा कि वह खुद गाड़ी चलाकर बिना सुरक्षा गार्डों के शहर का भ्रमण करेंगे। तब वह नरेन्द्र शर्मा के साथ खुद गाड़ी चलाकर शहर घूमने निकल पड़े। बाद में दोनों ने लारेंस रोड स्थित मशहूर स्वीट शाप पर लस्सी-पूड़ी का आनंद लिया।

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बतौर संघ प्रचारक 6 वर्ष मोदी के घर रहे 
गुजरात का मुख्यमंत्री बनने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली में 6 वर्षों तक संघ के प्रचारक रहे। इस दौरान मोदी जेतली के सरकारी आवास 9 अशोक रोड में रहते रहे। गुजरात में जब मोदी को वाजपेयी ने इस्तीफा देने का इशारा दिया तब उस समय भी अरुण जेतली ने मोदी की ढाल बन गए थे और उन्हें बचा लिया था।
 
बादल परिवार ने जेतली से कहा था ‘सवा लाख से जीत दिलाएंगे हम’ 

अरुण जेतली के दिल में अमृतसर बसा था। राजनीतिक का पहला सफर व अंतिम चुनाव 2014 में अमृतसर से लड़ा। मौजूदा मुख्यमंत्री पंजाब कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने अरुण जेतली को 1 लाख से अधिक वोटों से हराया था। हार के बाद भी अरुण जेतली देश के वित्त मंत्री बने। भाजपा  अरुण जेतली को राजस्थान से चुनाव लड़ाना चाहती थी लेकिन पंजाब में सत्ता में बादल परिवार व पंजाब भाजपा के कहने पर अरुण जेतली ने अमृतसर से संसद जाने का मन बनाया था। उस समय बादल परिवार ने कहा था कि ‘जेतली साहिब आप पर्चा दाखिल करके दिल्ली लौट जाओ हम सवा लाख वोटों से जीत का सार्टीफिकेट ले आएंगे’ हालांकि हुआ इसका बिल्कुल विपरीत। 

चुनाव हारने के बाद दिए 80 करोड़, आई.आई.एम. की दी सौगात
अरुण जेतली अमृतसर से चुनाव हारने के बाद भी शहर से दिल जोड़े रखा। उन्होंने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आई.आई.एम.) की सौगात दी।  श्री हरिमंदिर साहिब जाने वाले विरासती मार्ग के लिए 80 करोड़ का की सहायता दी। 

सिद्धू को संसद पहुंचाने के लिए 3 बार पसीना बहाया
पंजाब के पूर्व निकाय मंत्री व पूर्व भाजपा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू को संसद पहुंचाने के लिए अरुण जेतली ने 3 बार खूब पसीना बहाया। सिद्धू को जिताने के लिए जेतली ने एकजुट होकर भाजपा वर्करों का नेतृत्व किया था लेकिन जब सिद्धू की टिकट काट जेतली को दे दी गई तो सिद्धू वोट डालने भी अमृतसर नहीं आए थे। जबकि सिद्धू को सांसद में भेजने की सिफारिश जेतली ने की थी। 

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