कपास की खेती का रकबा 12.5 लाख एकड़ तक बढ़ने की संभावना

Edited By Mohit,Updated: 26 May, 2020 08:08 PM

area of cotton cultivation likely to increase to 12 5 lakh acres

पंजाब के कृषि विभाग की ओर से व्यापक स्तर पर आरंभ किए गए फसल विविधीकरण...........

चंडीगढ़ः पंजाब के कृषि विभाग की ओर से व्यापक स्तर पर आरंभ किए गए फसल विविधीकरण प्रोग्राम को किसानों की ओर से मिले समर्थन के तहत इस साल कपास की खेती का रकबा 12.5 लाख क्षेत्रफल बढ़ने का लक्ष्य पूरा होने की संभावना है। ज्ञातव्य है कि पिछले साल यह आकड़ा 9.7 लाख एकड़ था। भूजल स्तर के तेजी से गिरने के कारण किसानों को धान के स्थान पर अन्य फसलें उगाने से जमीनी पानी की बचत होगी। राज्य के पानी जैसे बहुमूल्य संसाधन को बचाने, जमीन की उपजाऊ शक्ति में सुधार लाने, सर्दियों में पराली जलाने की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद मिलेगी, जिससे वातावरण में सुधार होगा। यह जानकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास विश्वजीत खन्ना ने आज यहां दी। 

उन्होंने बताया कि इन जि़लों में अब तक 10 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में कपास की बुवाई की जा चुकी है और निर्धारित लक्ष्य बहुत जल्द पूरा का लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के कारण कर्फ्यू/तालाबन्दी के मद्देनजर कृषि विभाग ने बीटी कॉटन के बीज और खादों आदि का समय पर प्रबंध कर लिया था, जिससे कपास की बीजाई में कोई रुकावट नहीं आई। दक्षिण पश्चिम जिलों में कपास, खरीफ की फसल की दूसरी बड़ी रिवायती फसल है, जिस कारण यह इलाका ‘कपास पट्टी' के नाम से मशहूर है। उन्होंने बताया कि मालवा पट्टी के इन जिलों में पिछले साल 9.80 लाख एकड़ (3.92 लाख हेक्टेयर) क्षेत्रफल में कपास की बिजाई हुई और सरकार ने इस साल 12.5 लाख एकड़ (5 लाख हेक्टेयर) क्षेत्रफल इस फसल अधीन लाने का लक्ष्य निश्चित किया हुआ है, जो जून के पहले हफ्ते तक पूरा होने की उम्मीद है। 

उन्होंने बताया कि पिछले सालों में मई महीने के आखिर तक बीजाई लगभग मुकम्मल हो जाती थी, परन्तु इस बार गेहूं की कटाई 15 दिन देरी से 15 मई को शुरू होने से बीजाई का काम कुछ दिन आगे करना पड़ा है। खन्ना ने बताया कि बठिंडा जिले में कपास की खेती अधीन सबसे अधिक क्षेत्रफल आया है, जहां 3.39 लाख एकड़ क्षेत्रफल में बीजाई हो चुकी है। इसके बाद फाजिल्का में 2.38 लाख एकड़, मानसा में 2.10 लाख एकड़, श्री मुक्तसर साहिब 2.02 लाख एकड़, संगरूर में 7800 एकड़, फरीदकोट में 5800 एकड़, बरनाला में 1870 एकड़ और मोगा में 1257 एकड़ क्षेत्रफल में कपास में बुवाई हो चुकी है। उन्होंने बताया कि राज्य में नकली बीजों की तस्करी रोकने के लिए मुख्य कृषि अफसरों और स्टाफ को सख़्त हिदायतें जारी की गई थीं, क्योंकि यह बीज रस चूसने वाले कीड़ों को आकर्षित करता है, जिससे फसल को भारी नुकसान होता है।

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