सावधान! कहीं आप भी तो झोलाछाप डाक्टर से नहीं करवा रहे इलाज

Edited By Vatika,Updated: 27 Jul, 2021 11:29 AM

are you even getting treatment from a fraudulent doctor

स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी एवं ढीली कार्यप्रणाली के चलते जिले मे कई झोलाछाप डॉक्टर बिना किसी डिग्री के धड़ल्ले से प्रैक्टिस कर रहे हैं।

जालंधर  (रत्ता): स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी एवं ढीली कार्यप्रणाली के चलते जिले मे कई झोलाछाप डॉक्टर बिना किसी डिग्री के धड़ल्ले से प्रैक्टिस कर रहे हैं। जिले के गांवों, बस्तियात तथा स्लम क्षेत्रों मैं एक छोटी सी दुकान मैं मेज कुर्सी लगाकर बैठे ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों में से कुछ ने तो अपने नाम के आगे इलेक्ट्रोपैथी या आर एम पी लिखा हुआ है और कई तो बिना कोई बोर्ड लगाए सिर्फ रेड क्रॉस का निशान लगाकर ही डॉक्टरी की प्रैक्टिस कर रहे हैं। ऐसे डॉक्टरों ने अपनी दुकान के अंदर विभिन्न प्रकार  एलोपैथिक दवाइयां भी रखी हुई है जोकि ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट की भी उल्लंघना है। ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर ना जाने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नजर क्यों नहीं पड़ती।

सिर्फ शिकायत मिलने पर ही कार्रवाई क्यों करता है स्वास्थ्य विभाग
हैरानी की बात है कि जिले में सैकड़ों की तादाद में झोलाछाप डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं लेकिन फिर भी किसी एक-दो पर स्वास्थ्य विभाग कभी कभार तभी कार्रवाई करता है जब उसे कोई शिकायत प्राप्त होती है। चंद रोज पहले भी स्वास्थ्य विभाग ने डिप्टी कमिश्नर के कहने पर गुरु नानक पुरा वेस्ट मैं एक ऐसे ही झोलाछाप डॉक्टर की दुकान पर जब छापामारी की थी उसे वहां से हजारों रुपए की एलोपैथी दवाइयां बरामद हुई थी जबकि उक्त झोलाछाप डॉक्टर उसी दुकान में पिछले कई वर्षों से बैठा प्रैक्टिस कर रहा था।

ड्रग्स विभाग की भी तो मिलीभुगत नहीं !
वैसे तो ड्रग इंस्पेक्टर भी समय-समय पर दवाइयों की दुकानों पर जांच करने के दावे करते हैं लेकिन फिर भी ऐसी दुकानों के अगल-बगल बिना डिग्री के प्रैक्टिस करने वालों पर ना जाने क्यों उनकी नजर नहीं पड़ती या फिर यह भी हो सकता है कि वह निजी स्वार्थ में ऐसे लोगों को अनदेखा कर देते हो। अब इस बात में सच्चाई क्या है यह तो ड्रग्स विभाग वाले ही जाने।

रोगियों को दुकान के अंदर ही ग्लूकोस भी चढ़ा देते हैं,
जिले के गांवों एवं बस्तियात क्षेत्रों में धड़ल्ले से बिना डिग्री के प्रैक्टिस करने वाले कुछ झोलाछाप डॉक्टर तो इतने शातिर हैं कि वह निम्न वर्ग के लोगों एवं दूसरे राज्यों से आए प्रवासियों को अपनी दुकान के अंदर ही ग्लूकोस की बोतल लगाकर बेंच पर ही लिटा देते हैं और यह भी नहीं सोचते कि अगर उसे कोई रिएक्शन हो गया तो उसका क्या होगा।

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