किसान आंदोलन के कारण पंजाब नहीं आ सका 5 करोड़ बारदाना

Edited By Sunita sarangal,Updated: 15 Oct, 2020 11:06 AM

5 crore gunny bags could not come to punjab due to farmer movement

कंटेनर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के विक्रम प्रताप के मुताबिक कोलकाता से लुधियाना के मंडी अहमदगढ़ में बने.....

लुधियाना(धीमान): किसानों के हितों के लिए लड़ाई लड़कर उनकी हिमायत करने वाली कैप्टन सरकार ही उनकी दुश्मन बन गई है। पंजाब में बारदाना की कमी नहीं, बल्कि किसानों के धरना-प्रदर्शन के कारण कोलकाता में 5 करोड़ बारदाना 2100 कंटेनरों में भरा पड़ा है। किसान इसे पंजाब में आने से रोक रहे हैं और कैप्टन सरकार उन्हें समझाने की बजाय उनके साथ प्रदर्शन में जुटी हुई है। किसानों को समझ नहीं आ रहा कि धान को बाजार में बेचने के लिए उन्हें बारदाना क्यों नहीं मिल पा रहा। वे बारदाना देने वाली सरकारी एजैंसियों को कोस रहे हैं जबकि असलियत में किसानों की वजह से ही पंजाब बारदाने के लिए मोहताज हो रहा है। 

कंटेनर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के विक्रम प्रताप के मुताबिक कोलकाता से लुधियाना के मंडी अहमदगढ़ में बने उनके डिपो में बारदाने से भरे करीब 2100 कंटेनर 15 दिन पहले पहुंचने थे, जोकि आज तक नहीं आए। इनमें से 700 कंटेनर रास्ते में खड़े हैं और 200 को मजबूरन दिल्ली में उतारना पड़ा। बाकी कंटेनर कोलकाता पोर्ट पर ही खड़े हैं। एक कंटेनर में बारदाने की 48 बेल आती हैं और एक बेल में 500 बोरी होती है। इस हिसाब से एक कंटेनर में करीब 24,000 बोरियां हैं और 2100 कंटेनरों में करीब 5 करोड़ 4 लाख बोरियां हैं जो किसानों तक नहीं पहुंच पा रही। 

उक्त अधिकारी कहते हैं कि कैप्टन सरकार को किसानों को समझाना चाहिए कि वे रेल ट्रैक खाली कर दें ताकि पंजाब में बारदाना आ सके। अब अगर बारदाना यहां नहीं पहुंचा तो धान खराब हो जाएगा जिसका सीधा नुक्सान किसानों को ही होगा। वह कहते हैं कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में इतना लंबा रेल ट्रैक जाम कभी नहीं देखा। हालांकि राजस्थान में जाट आंदोलन के दौरान वहां की सरकार ने विकल्प के तौर पर ट्रेनों के लिए नया रास्ता निकाल दिया था लेकिन पंजाब सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। 

पहले कोविड-19 और अब किसान मोर्चा निर्यातकों को कर रहा बर्बाद
पंजाब के निर्यातकों को पहले कोविड-19 के कारण विदेशों से ऑर्डर नहीं आ रहे थे लेकिन अब अगर ऑर्डर आए हैं तो उनके भुगतान में किसान मोर्चा रास्ते में आ गया है। निर्यातकों व आयातकों के 10 हजार के करीब कंटेनर अलग-अलग डिपुओं पर जाम होकर रह गए हैं जिससे दोनों को माल का नुकसान तो हो ही रहा है, कंटेनर के भी प्रतिदिन के डैमेज चार्जेज अदा करने पड़ रहे हैं। आयात होने वाले एक कंटेनर के प्रतिदिन के चार्जेज करीब 7300 रुपए हैं। अमृतसर के एक व्यापारी के 22 कंटेनर रास्ते में हैं यानी 15 दिनों में खड़े कंटेनरों का ही उसका 25 लाख रुपए किराया बन चुका है। 

भारतीय किसान यूनियन कादियां के प्रधान हरमीत सिंह कादियां का कहना है कि मोदी सरकार ने जो बिल बनाया है अगर इस पर किसान अमल कर लें तो उनकी कई पुश्तें बर्बाद हो जाएंगी। आज केंद्र सरकार या राज्य की कैप्टन सरकार को लगता है कि किसान रेल रोक कर गलत कर रहे हैं तो उन्हें किसानों की मांगों को मान लेना चाहिए। आज दिल्ली में पंजाब की 29 किसान जत्थेबंदियों की बैठक बुलाई गई थी जिसमें मोदी सरकार के कोई भी मंत्री न आने के कारण उसे रद्द करना पड़ा। जहां तक करोड़ों बोरी बारदाना फंसा पड़ा है, उसका नुकसान किसानों को जरूर है लेकिन जो नुकसान भविष्य में होना है, उससे बचने के लिए इस नुकसान को बर्दाश्त करना जरूरी है, तभी सरकारें नींद से जागेंगी। फिलहाल कल चंडीगढ़ के किसान भवन में सारी जत्थेबंदियां बैठक करेंगी जिसमें रेल ट्रैक के बारे में फैसला सब मिलकर लेंगे।

भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल के प्रधान हरिंद्र सिंह लक्खोवाल ने कहा कि उन्हें मालूम है कि बारदाना न आने से किसानों को ही नुकसान सबसे ज्यादा होगा लेकिन मोदी सरकार ने जो नया कानून बनाने की कोशिश की है, उसके सामने यह नुकसान बहुत छोटा है। अगर नए कानून के मुताबिक काम शुरू कर दिया गया तो किसानों का नाम इतिहास में आएगा और बड़े कार्पोरेट घराने किसान बनेंगे। लगता नहीं है कि किसी को भी रेल ट्रैक रोकने से नुकसान हो रहा हो। अगर ऐसा होता तो सरकार अब तक कोई न कोई फैसला ले लेती। आम जनता को नुकसान न हो, इसलिए सड़कें जाम करने की बजाय किसान रेल ट्रैक पर बैठे हैं। 

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