पंजाब-हरियाणा में पीली पड़ने लगी गेहूं की फसल, पीला रतुआ रोग से आशंकित हुए किसान

Edited By Suraj Thakur,Updated: 30 Jan, 2020 10:31 AM

yellow rust disease spotted on wheat crop in punjab haryana

पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में मौसम में आए बदलाव और गिरते हुए तापमान की वजह से गेहूं की फसल पीली पड़नी शुरू हो गई है।

जालंधर। पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में मौसम में आए बदलाव और गिरते हुए तापमान की वजह से गेहूं की फसल पीली पड़नी शुरू हो गई है। पंजाब के रोपड़, होशियारपुर, पठानकोट और हरियाणा के पंचकूला, यमुनानगर और अंबाला जिलों के कुछ गांवों में गेहूं की फसल में पीलेपन की शिकायतें मिलने शुरू हो गई हैं, जोकि इस साल गेहूं की उत्पादन पर असर डाल सकती हैं। दोनों राज्यों के कृषि विभाग ने किसानों को फसल पीले होने से बचाने के लिए खास एतिहात बरतने के निर्देश दिए हैं, जिससे उन्हें फसल के उत्पादन में नुकसान न उठाना पड़े।

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तापमान में गिरावट से पीली हुई फसल
कृषि विभाग के अलर्ट जारी करने के बाद फसल के पीलेपन को दूर करने के लिए कई तरह की खादें और दवाओं का प्रयोग किया जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो फसल के पीले पड़ने पर किसान यही समझते हैं कि गेहूं में यूरिया की कमी के कारण पीलापन आ गया है। ऐसे में किसान पीला रतुआ रोग समझकर यूरिया खाद का प्रयोग शुरू कर देते हैं। हकीकत यह है कि पिछले कुछ दिनों के दौरान पंजाब के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से लगभग 1.6 से 3.0 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है। जिसके चलते गेहूं की फसल में पीलापन आने शुरू हो गया है। मौसम विभाग के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में बारिश के बाद नमी के साथ न्यूनतम तापमान थोड़ा बढ़ गया था। हालांकि, अगले 3-4 दिनों में न्यूनतम तापमान के कम होने की संभावना है। 

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भारतीय किसान यूनियन ने सरकार से लगाई गुहार
भारतीय किसान यूनियन (सिधूपुर) के मुख्य संरक्षक परगट सिंह का कहना है कि उन्होंने अपने खेतों में लगभग 14 एकड़ खेत में गेहूं बोया है। वह बताते हैं कि क्षेत्र में किसान चिंतित हैं क्योंकि पीला रतुआ हमले की खबरें सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा इसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। यह तेज रफ्तार के साथ फैल सकता है और अगर समय पर जांच नहीं की गई तो फसल की पैदावार में भारी नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार  से मांग करते हुए कहा कि नियंत्रित करने के लिए कृषि विभाग को कारगर कदम उठाने चाहिए। गौरतलब है कि गेहूं की फसल को अक्टूबर के अंत से दिसंबर के बीच बोया जाता है, जबकि फसल की कटाई अप्रैल से शुरू होगी।

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पीलेपन का कारण और उपाय
खेती विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं की फसल के पीले पड़ने के कई कारण हैं जिनमें मुख्य रूप से गेहूं के बीज की किस्म, बिजाई का ढंग, फसल में इस्तेमाल की गई खादों की मात्रा, खेत की मिट्टी की किस्म, मौसम का प्रभाव, खेत में नमी और सेम का प्रभाव आदि कारण शामिल हैं। इसी तरह कुछ बीमारियां और कीड़ों का हमला भी पीलेपन का कारण बनता है। इनमें से मौसम और पानी से संबंधित कारणों के चलते पीली हुई गेहूं की फसल तो मौसम में परिवर्तन के बाद अपने आप ठीक हो जाती है। उक्त समस्याओं के अलावा पराली को आग लगाए बिना हैप्पी सीडर से बीजी गई गेहूं के पौधे भी शुरुआती दौर में कई बार पीले पड़ जाते हैं। यह समस्या जल्द ठीक न होने पर पौधों की शाखाएं कम निकलती हैं और पौधे का कद छोटा रह जाता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए एक एकड़ खेत में एक किलो यूरिया को 100 लीटर पानी में घोल कर छिड़का जा सकता है। उधर हरियाणा में संयुक्त निदेशक (कृषि) राम प्रताप सिहाग ने कहा कि विभाग पहले ही किसानों को पीले रतुआ के बारे में एक एडवाइजरी जारी कर चुका है। उन्होंने कहा कि स्थिति चिंताजनक नहीं है। हमले को रोकने के लिए किसानों को सलाह के अनुसार अपनी फसल कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए। 


 

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