इन्फ्लुएंजा 1918: गांधी भी आ गए थे महामारी की जद में, आइसोलेशन में रहकर बची थी जान

Edited By Suraj Thakur,Updated: 19 Mar, 2020 01:23 PM

mahatma gandhi had also come in the grip of the 1918 epidemic

स्पैनिश फ्लू महामारी में करीब 2 करोड़ भारतीयों की जान चली गई थी और देश की आबादी 7 फीसदी घट गई थी।

जालंधर। (सूरज ठाकुर) पूरा देश आज कोरोनावायरस के डर से भयभीत है। दवाओं और वैक्सीन के आभाव में चिकित्सा विशेषज्ञ और वैज्ञानिक इससे बचने की एक ही सलाह दे रहे हैं कि अपने को भीड़ से दूर रखें। मतलब किसी भी संक्रमित होने वाली महामारी से बचने का एक ही तरीका है आइसोलेशन। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी जब 1918 में स्पैनिश फ्लू  (इन्फ्लुएंजा)  महामारी की चपेट में आ गए थे तो उन्होंने भी अपने को भीड़ से अलग रखा था। कई दिनों तक गुजरात के साबरमती आश्रम में वह लोगों से अलग रहे और पूर्ण रूप से बैड रैस्ट करने के बाद ही उनकी जान बच पाई थी। इस महामारी में करीब 2 करोड़ भारतीयों की जान चली गई थी और देश की आबादी 7 फीसदी घट गई थी।

PunjabKesari 

फ्लू से बचने की दी थी ये सलाह
इतिहासकारों का मानना है कि जब अंग्रेज इस बीमारी से भारतीयों को बचाने में नाकायाब हुए तो स्वतंत्रता आंदोलन ने रफ्तार पकड़ ली थी। महामारी फैलने पर उन्होंने गंगाबेन को एक खत भी लिखा था। जिसमें उन्होंने स्पैनिश फ्लू से बचने के दो उपाय बताए थे। उन्होंने खत में लिखा था कि हमारा मानना है कि "जो धर्म की राह पर चलने का निर्णय लेता है उसका शरीर इस्पात की तरह से मजबूत हो जाता है। पहले हमारे पुरखों का शरीर मजबूत होता था। आज हम कमजोर हो गए हैं और बीमारियों के कीटाणु हमें आसानी से घेर लेते हैं और शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। हम आज भी आत्मसंयम और अपने कामों को कम करके अपनी सेहत को बचा सकते हैं। इन्फ्लुएंजा से हमारा शरीर सुरक्षित रहता है अगर हम दो काम करें। पहली चीज यह है कि ठीक हो जाने पर भी हम आराम करें और तुरंत काम पर न जाएं। दूसरी बात यह है कि ऐसा भोजन करें जो हमें हजम हो जाए। ज्यादातर लोग बुखार से जरा आराम होते ही तीसरे दिन काम पर चल जाते हैं और बीमारी दोबारा हमला बोल देती है"।

 PunjabKesari

ऐसे पाई थी गांधी ने इन्फ्लुएंजा से निजात 
महामारी के दौरान गुजरात के साबरमती आश्रम में काफी लोग भी स्पैनिश फ्लू की जद में आ गए थे। महात्मा गांधी की भी फ्लू के कारण हालत गंभीर हो गई थी। इस दौरान वह कई महीने तक बिस्तर पर ही रहे और भोजन में केवल तरल पदार्थ ही लेते थे। आश्रम में फ्लू से पीड़ित लोगों को आइसोलेशन में रखा गया था। खुद भी लोगों भीड़ से काफी समय तक गांधी दूर रहे और धीरे-धीरे उन्होंने इस महामारी से निजात पाई। इस दौरान गांधी के सेहत को लेकर अखबार रोजाना जानकारी देते रहते थे। महामारी के दौरान बीमार पुरूषों की देखभाल औरत कर रही थीं, यही वजह कि महामारी में मरने वालों की संख्या बढ़ती चली गई। भारत के महान कवि निराला की बीवी और कई रिश्तेदारों की जान चली गई थी। महामारी इतनी भयंकर थी कि गंगा नदी के तट पर लाशों के अंबार लग गए थे, क्योंकि महामारी से मरने पर उस समय कई लोग लाशों को नदी में बहा देते थे।

PunjabKesari

ब्रिटिश इंडिया के सैनिक लाए थे इन्फ्लुएंजा फ्लू
प्रथम विश्व युद्ध के बाद जब ब्रिटिश इंडिया के सैनिक मई 1918 में मुंबई बंदरगाह पर उतरे तो वह अपने साथ इन्फ्लुएंजा फ्लू को भी साथ ले आए थे। इस फ्लू ने मुंबई के साथ-साथ पूरे देश में मौत का ऐसा कहर ढाया कि पूरे देश में एक माह के भीतर ही लाशों के अंबार लग गए। उस समय आमतौर पर जुकाम और बुखार आते थे। यह बीमारी अक्तूबर और नवंबर के गंभीर रुप धारण कर गई थी। मुंबई के तत्कालीन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जेएस टर्नर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि 10 जून, 1918 को बीमार होने पर सिपाहिओं को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जिन्हें जांच में मलेरिया नहीं पाया गया था। टर्नर ने कहा कि 24 जून तक मुंबई के लोगों की हालत खराब हो चुकी थी। बुखार, हाथ-पांव में जकड़न, फेफड़ों में सूजन और आंखों में दर्द के मरीज बड़ी संख्या में अस्पताल में दाखिल होने लगे। एक ही माह के भीतर बंबई बुखार यूपी और पंजाब के कई हिस्सों में बुरी तरह फैल गया था। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!