Study:भारत के 34 करोड़ लोग आ सकते हैं कोरोना की जद में, 7 लाख की हो सकती है मौत

Edited By Suraj Thakur,Updated: 24 Mar, 2020 06:44 PM

india 34 million population may be affected by corona

ICMR द्वारा किए गए एक गणितीय विश्लेषण के मुताबिक भारतीय आबादी का एक चौथाई हिस्सा कोरोनावायरस की चपेट में आ सकता है।

जालंधर। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा किए गए एक गणितीय विश्लेषण के मुताबिक भारतीय आबादी का एक चौथाई हिस्सा कोरोनावायरस की चपेट में आ सकता है। मतलब यदि महामारी की रोकथाम नहीं की गई तो देश की करीब 34 करोड़ आबादी संक्रमित हो सकती है और भयावह स्थिति में करीब 7 लाख लोगों की मौत हो सकती है। "डाउन टू अर्थ" पत्रिका ने ICMR की इस रिपोर्ट का अपने न्यूज पोर्टल पर विश्लेषण भी किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के जिन मरीजों में लक्षण नहीं दिखते हैं वह परीक्षण से बच जाते हैं और उनकी पहचान भी नहीं हो पाती है। इस तरह के मरीज समुदाय में संक्रमण फैलने का कारण बन जाते हैं।

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रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ रोग के लक्षण संबंधी मामलों पर केन्द्रित आक्रामक से आक्रामक नियंत्रण रणनीति भी असफल हो जाएगी। हवाई उड़ानें बंद होने से पहले हवाई अड्डों पर यात्री स्क्रीनिंग के संदर्भ में शोधकर्ताओं ने इसका उल्लेख किया है। रिपोर्ट कहती है कि शरीर का तापमान मापना स्क्रीनिंग का कारगर तरीका नहीं था। अध्ययनों के हवाले से बताया है कि इस तरह की स्क्रीनिंग से 46-50 प्रतिशत यात्रियों में लक्षण का पता नहीं लगाया जा सका। रिपोर्ट में लिखा है,“देश के भीतर इस प्रकोप के फैलने में देरी लाने के लिए कम से कम 75 प्रतिशत ऐसे व्यक्तियों की पहचान करना आवश्यक है, जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते। और अगर 90 प्रतिशत ऐसे व्यक्तियों का पता लगा लेते है तो महामारी फैलने के औसत समय में 20 दिन की देरी लाई जा सकती है।

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रिपोर्ट के मुताबिक, " विश्लेषण से पता चला है कि भले ही लक्षण दर्शाने वाले लोगों की व्यापक रूप से पहचान की जाए और उन्हें एकांत में रखा जाए तब भी भारत में महामारी के प्रसार में संभावित देरी दिनों में होगी न कि हफ्तों में।" इसमें कहा गया है कि स्क्रीनिंग केवल संक्रमण की शुरुआत में देरी करेगी, लेकिन इसे रोकने या कम करने में कारगर नहीं होगी। एक अच्छी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को विस्तारित करना इस समय की आवश्यकता है। आईसीएमआर ने तीन दिन पहले अपने परीक्षण मानदंडों का विस्तार किया है। इसने अब सांस की गंभीर बीमारी से पीडित उन लोगों की भी जांच की अनुमति दे दी है, जिनका कोई यात्रा या संपर्क इतिहास नहीं है।

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इस रिपोर्ट ने भारत में प्रजनन संख्या (आरओ)  दो होने की भविष्यवाणी की है। ये संख्या, वो दर है जिसके हिसाब से वायरस के वाहक अन्य व्यक्तियों को संक्रमित कर सकते हैं। सबसे खराब स्थिति में, आरओ चार हो सकता है और सबसे अच्छी स्थिति में ये संख्या 1.5 हो सकती है। अभी वैश्विक औसत आरओ दो से तीन है। इटली के लिए अभी यह संख्या तीन है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक अपनाए गए सामाजिक दूरी उपायों से घटनाओं में 60-62 प्रतिशत की कमी आएगी। इस रिसर्च रिपोर्ट को चार महानगरों के विश्लेषण के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों का कोई ब्योरा नहीं है।

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