पंजाब में बड़े भाई की भूमिका निभाएगी भाजपा: मित्तल

Edited By swetha,Updated: 15 Feb, 2020 11:18 AM

madan mohan mittal

सिख सीटों पर अकाली दल ने नहीं दिया साथ

जालंधर(रमनदीप सोढी): पूर्व अकाली-भाजपा सरकार में मंत्री रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता मदन मोहन मित्तल ने कहा है कि भाजपा 2022 के विधानसभा चुनाव में अकाली दल के साथ बड़े भाई की भूमिका में चुनाव लड़ेगी और पार्टी राज्य की 117 सीटों में से 59 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग करेगी। पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत के दौरान मित्तल ने कहा कि पार्टी मालवा की सीटों पर चुनाव नहीं लड़ती लेकिन इस बार पार्टी ने मालवा में ही संगठन को मजबूत करने का काम शुरू किया है और पार्टी मालवा के फरीदकोट, बङ्क्षठडा, संगरूर, मोगा जिलों में मजबूती के साथ उम्मीदवार उतारेगी।

भाजपा फिलहाल राज्य की 23 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ती है लेकिन मित्तल ने कहा कि यह समझौता 1997 में हुआ था और आज के राजनीतिक हालात में यह सियासी समझौता रिन्यू करने की जरूरत है और भाजपा राज्य में बड़े भाई की भूमिका निभाने को तैयार है। दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे और जिस दल के ज्यादा विधायक होंगे उसी दल का मुख्यमंत्री बन सकता है। हालांकि मित्तल ने साथ ही कहा कि यह चुनाव नतीजों के बाद की बात है लेकिन भाजपा अब पूरे पंजाब में पैर पसारने की तैयारी कर रही है और मैं यह बात पार्टी हाईकमान के साथ बातचीत करने के बाद मीडिया में बोल रहा हूं। भाजपा की राज्य इकाई का स्पष्ट मत है कि पार्टी को पंजाब में मजबूत होना चाहिए और सभी वर्गों को साथ लेकर मजबूती से लडऩा चाहिए। मित्तल ने कहा कि भाजपा के पास बड़ी संख्या में उम्मीदवार हैं और वक्त आने पर उनका खुलासा किया जाएगा। भाजपा न सिर्फ ङ्क्षहदू उम्मीदवार मैदान में उतारेगी बल्कि सिखों व दलितों को भी पार्टी उचित मंच मुहैया करवाएगी और सत्ता में उनकी भी भागीदारी होगी। 

2017 के विधानसभा चुनाव में हुई हार पर बोलते हुए मित्तल ने कहा कि लोगों की धारणा अकाली दल के खिलाफ थी जिसका नुक्सान भाजपा को भी हुआ। मित्तल ने कहा कि पानी में लकड़ी के साथ लोहा भी तर जाता है लेकिन 2017 के चुनाव में लकड़ी ही डूब गई। लिहाजा उसके साथ जुड़ी भाजपा को भी नुक्सान हुआ और पार्टी 3 सीटों पर सिमट गई लेकिन अब हालात बदलेंगे क्योंकि कांग्रेस ने पिछले 3 साल में कोई काम नहीं किया। कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए मित्तल ने कहा कि कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में गरीबों को आटा-दाल के साथ-साथ चायपत्ती और घी देने की भी बात कही थी लेकिन उन्हें अब आटा-दाल भी नहीं मिल रहा। न बुजुर्गों और विधवाओं को पैंशन मिल रही है और न ही युवाओं को स्मार्टफोन मिले हैं।

मित्तल ने आरोप लगाया कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने हाथ में गुटका साहिब पकड़ कर राज्य में नशे का खात्मा करने की सौगंध खाई थी लेकिन न तो नशा खत्म हुआ और न ही पंजाब में रेत का अवैध कारोबार बंद हुआ। कैप्टन और बादल परिवार की सांठ-गांठ के लगाए जा रहे आरोप पर बोलते हुए मित्तल ने इस तरह की किसी सांठ-गांठ से साफ इंकार किया और कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने 2002 से लेकर 2007 के अपने शासनकाल में हुई गलतियों से सबक लिया है और अब बदले की राजनीति नहीं कर रहे। लिहाजा जनता में यह संदेश जा रहा है कि कैप्टन और बादल मिले हुए हैं। 

सिख सीटों पर अकाली दल ने नहीं दिया साथ
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत को अचम्भा बताते हुए मित्तल ने कहा कि दिल्ली में भाजपा को और ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है लेकिन पार्टी सिख मतदाताओं के प्रभाव वाली सीटों पर इसलिए चुनाव हार गई क्योंकि अकाली दल ने दिल के साथ भाजपा के लिए चुनाव प्रचार नहीं किया। यदि अकाली दल के नेता और वर्कर सिख प्रभाव वाली सीटों पर जोर लगाते तो शायद नतीजे कुछ और होते। इसके अलावा कांग्रेस के मैदान से हट जाने का भी भाजपा को नुक्सान हुआ और लड़ाई त्रिकोणीय नहीं बनी जिस कारण आम आदमी पार्टी को फायदा हुआ। 

मित्तल ने कहा कि भाजपा पंजाब में 1991-92 में विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ चुकी है और उस समय भी भाजपा ने अपने दम पर राज्य भर में उम्मीदवार खड़े किए थे और करीब 17 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। पार्टी का पूरे पंजाब में जिला स्तर पर संगठन है इसलिए उम्मीदवारों और नेताओं को लेकर ङ्क्षचता की कोई बात नहीं है। भाजपा के सम्पर्क में पंजाब के कई बड़े नेता हैं जो समय आने पर पार्टी में शामिल होंगे और पार्टी मजबूती के साथ 2022 के चुनाव में टक्कर देगी। 

सिद्धू को सी.एम. पद का लालच
नवजोत सिंह सिद्धू के कांग्रेस में जाने पर टिप्पणी करते हुए मित्तल ने कहा कि सिद्धू अति-महत्वाकांक्षा के शिकार हैं। लिहाजा उन्होंने अपने राजनीतिक गुरु अरुण जेतली को भी छोड़ दिया। वह सी.एम. बनना चाहते थे और इसी मांग को लेकर उन्होंने आम आदमी पार्टी के साथ डील करने की कोशिश की लेकिन वहां भी उनकी बात नहीं बनी और अब कांग्रेस में भी उनकी हालत किसी से छिपी नहीं है। 

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