नगर निगम से नहीं चल पा रही देसी स्वीपिंग मशीनें

Edited By Vaneet,Updated: 06 Jul, 2020 03:33 PM

desi sweeping machines could not run from the municipal corporation

अकाली भाजपा कार्यकाल दौरान तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के निर्देशों पर जालंधर नगर निगम ने ..

जालंधर(खुराना): अकाली भाजपा कार्यकाल दौरान तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के निर्देशों पर जालंधर नगर निगम ने मैकेनिकल स्वीपिंग का प्रोजेक्ट शुरू किया था जिसके तहत विदेशी मशीनों की सहायता से 5 साल तक दिल्ली की एक कंपनी ने हर रोज 50 किलोमीटर लंबी सड़कों की सफाई करनी थी और बदले में 5 सालों में 30 करोड़ लेने थे। उस प्रॉजेक्ट को उस समय विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने 25 करोड़ का घोटाला बताया था और दावे किए थे कि मैकेनिकल स्वीपिंग का प्रोजैक्ट काफी सस्ता बन सकता है, अगर निगम खुद अपनी मशीनें खरीद लें। उसके बाद पंजाब तथा जालंधर निगम की सत्ता पर कांग्रेस का कब्जा हो गया, जिसके बाद कांग्रेसियों ने अकाली-भाजपा द्वारा शुरू किए गए प्रोजैक्ट को रद्द करवा दिया।

हैरानी उस समय हुई जब स्मार्ट सिटी के पैसों से जालंधर नगर निगम ने एक देसी स्वीपिंग मशीन खरीद ली जिस पर भी करीब 45 लाख रुपए खर्च आया और उसे चलाने इत्यादि के लिए निगम ने जो स्टाफ  रखा उस पर भी 35 लाख रुपए खर्च किए गए। इस सबके बावजूद कांग्रेसियों या नगर निगम से देसी स्वीपिंग मशीन नहीं चल पा रही है और अंदेशा है कि कहीं यह देसी स्वीपिंग मशीन निगम की पार्किंग में खड़े खड़े ही कबाड़ में तब्दील न हो जाए। खुद कांग्रेसी पार्षद मानते हैं कि देसी स्वीपिंग मशीन का कामकाज तसल्लीबक्श नहीं है और इसे कभी कभार ही शहर की सड़कों पर चलता देखा जा सकता है।  इस मशीन ने कभी भी अपनी क्षमता के अनुरूप काम नहीं किया और इसे चलाने के लिए भी अतिरिक्त कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है जो निगम के पास उपलब्ध नहीं होते।

अक्टूबर से अभी तक कंट्रोल रूम ही नहीं बना 
जब निगम ने देसी मशीन की खरीद की थी तब निगम में उपस्थित सांसद चौधरी संतोख सिंह तथा शहर के चारों विधायकों के अलावा मेयर जगदीश राजा ने दावा किया था कि निगम में कंट्रोल रूम बना कर इस स्वीपिंग मशीन की कार्यप्रणाली को नियमित चैक किया जाएगा और इससे शहर की सड़कें चकाचक हो जाएंगी परंतु कांग्रेसियों के यह दावे हवाई साबित हुए और आज तक निगम इस मशीन हेतु कंट्रोल रूम तक नहीं बना पाया।
 
हैरानीजनक बात यह भी है कि इस मशीन को सड़क पर उतारने से पहले उस सड़क की मैनुअल सफाई तक करनी पड़ती है जिस कारण समझा जा रहा है कि यह मशीन अकाली-भाजपा द्वारा शुरू किए गए प्रोजैक्ट वाली मशीन के आसपास भी नहीं फटकती। चाहे स्मार्ट सिटी ने एक और ऑटोमैटिक मशीन खरीदकर निगम को सौंप रखी है पर निगम से वो भी चालू नहीं हो रही।

हाईकोर्ट में गई पुरानी कंपनी, मांगा 4.85 करोड का क्लेम
इस बीच अकाली-भाजपा कार्यकाल दौरान शहर में स्वीपिंग मशीन प्रोजैक्ट शुरू करने वाली दिल्ली की कंपनी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की शरण में चली गई है, जहां उसने नगर निगम से 4.85 करोड़ रुपए का बिल क्लेम किया है। कंपनी अधिकारियों ने बताया कि निगम ने उनसे काम करवाया परंतु बदले में उसकी पेमैंट नहीं की इसलिए कंपनी को अदालत की शरण लेनी पड़ी। 

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