निगम ने शहर में लगवा लीं 30-35 लाख रुपए की 2 एल.ई.डी. स्क्रीनें

Edited By Sunita sarangal,Updated: 19 Feb, 2020 11:32 AM

corporation got 2 led screens

कम्पनी बाग चौक और मॉडल टाऊन लाइटों के पास लगी हैं स्क्रीनें

जालंधर(खुराना): इस समय शहर के चारों विधायक परगट सिंह, राजिन्द्र बेरी, बावा हैनरी तथा सुशील रिंकू कांग्रेस पार्टी से हैं और नगर निगम पर भी पूरी तरह कांग्रेस का ही कब्जा है। निगम की देखरेख के लिए कांग्रेस ने मेयर के रूप में जगदीश राजा, सीनियर डिप्टी मेयर के रूप में सुरिन्द्र कौर और डिप्टी मेयर के रूप में हरसिमरनजीत सिंह बंटी को तैनात कर रखा है। देखा जाए तो जहां मेयर राजा, सीनियर डिप्टी मेयर सुरिन्द्र कौर तथा डिप्टी मेयर बंटी अपने-अपने वार्डों के अलावा पूरे शहर में सक्रिय हैं और नियमित रूप से निगम आते-जाते हैं वहीं निगम के हर विभाग में पूरी तरह दबदबा भी रखते हैं। 

इसी तरह विधायक परगट सिंह, बावा हैनरी, राजिन्द्र बेरी तथा सुशील रिंकू को भी जालंधर नगर निगम के चप्पे-चप्पे की जानकारी है, हर विभाग में इनका बोलबाला है। इन विधायकों की निगम में पूरी तरह चलती है और दिन में कई बार ये चारों विधायक निगमाधिकारियों से बात करके उन्हें दिशा-निर्देश भी देते हैं। इतना सब होने के बावजूद यदि नगर निगम के कुछ अधिकारी चारों विधायकों और तीनों मेयरों की जानकारी में मामला लाए बगैर शहर में 2 स्थानों पर एल.ई.डी. स्क्रीनें लगवा लें और उस पर 30-35 लाख रुपए खर्च भी कर दें तो साफ समझ में आता है कि या तो दाल में काला है या विधायकों तथा मेयरों पर अफसरशाही इस कदर हावी है कि उसने राजनीतिज्ञों की परवाह करनी छोड़ दी है।

फिजूल की जानकारी भरी है इन स्क्रीनों में
नगर निगम ने हाल ही में ये दो स्क्रीनें कम्पनी बाग स्थित पार्किंग के ऊपर तथा मॉडल टाऊन ट्रैफिक लाइटों के निकट लगवाई हैं। ये स्क्रीनें दिन के समय भी चलती रहती हैं। हालांकि कुछ नजर नहीं आता। रात को जब इनमें स्क्रीन रोलिंग होती है तो फिजूल की जानकारी दिखाई देती है। स्वच्छ भारत अभियान तथा कुछ ट्रैफिक रूलों की पालना के अलावा इसमें दिखाई देता है कि कम्पनी बाग से दिल्ली बस अड्डे की दूरी 7 घंटे 5 मिनट में तय हो सकती है। 

अब सवाल यह है कि निगम को ऐसी जानकारी देने की क्या तुक है जबकि बच्चे-बच्चे को पता है कि दिल्ली कितनी दूर है। इसके अलावा जालंधर से आदमपुर हवाई अड्डे तक की दूरी भी यह स्क्रीन बताती है। चीन में फैले कोरोना वायरस से बचाव तथा निपटने के उपाय इस स्क्रीन पर दिखाए जा रहे हैं जबकि उनकी कोई जरूरत नहीं है। पंजाब सरकार के फेल हो चुके इन्वैस्ट पंजाब कार्यक्रम का विज्ञापन भी इस स्क्रीन पर निगम दिखा रहा है। दिखाने को तो समय तथा मौसम की जानकारी या वर्तमान टैम्प्रेचर इस स्क्रीन पर डिस्प्ले हो सकता है परंतु ये जानकारी नहीं दिखाई जा रही।

लोकल मार्कीट में 4 लाख में उपलब्ध हैं ये अनब्रांडिड स्क्रीनें
इन स्क्रीनों के बारे में जब विधायक बेरी तथा मेयर राजा से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने इसकी कीमत की जानकारी होने से इंकार किया। मेयर ने कहा कि वह कीमत पता करके बताएंगे। सीनियर डिप्टी मेयर सुरिन्द्र कौर और डिप्टी मेयर बंटी को तो इनके बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी कि क्या इन्हें निगम ने लगवाया है। इन एल.ई.डी. स्क्रीनों के बारे में जब एक स्थानीय विक्रेता से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि ऐसी स्क्रीन 3000 रुपए प्रति फुट में उपलब्ध है। यदि निगम को 5000 रुपए प्रति फुट भी सप्लाई की जाए तो भी एक स्क्रीन की कीमत 2 लाख से ज्यादा नहीं है। कुल मिलाकर 4 लाख रुपए की स्क्रीनों का यदि निगम में 30-35 लाख रुपए बिल बने तो समझा जा सकता है कि निगम की आर्थिक स्थिति कभी भी ठीक नहीं हो सकती।

पैंशनें देने को पैसे नहीं परंतु फिजूलखर्ची में निगम सबसे आगे
कांग्रेस सरकार आने के बाद इन स्क्रीनों को नगर निगम में फिजूलखर्ची का सबसे बड़ा उदाहरण माना जाने लगा है क्योंकि इस समय जालंधर निगम की आर्थिक स्थिति डावांडोल है। कई मौके ऐसे आए हैं जब कर्मचारियों को दो-दो महीने वेतन नहीं मिला। हाल ही में निगम के पैंशनरों ने कई बार पैंशन न मिलने के कारण रोष प्रदर्शन किया, जिस शहर की टूटी सड़कें फंड की कमी के कारण न बन पा रही हों वहां 30-35 लाख रुपए की एल.ई.डी. स्क्रीनें लगवा लेना कहां की समझदारी है।

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